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बुधवार, अप्रैल 22, 2009

हम डायरेक्टर तुम कलाकार-नहीं कर सकते कोई प्रतिकार

इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल का खेल अब लगता है कि पूरी तरह से सिनेमा बन गया है। सिनेमा इसलिए क्योंकि इसके फ्रेंचाइजी मालिकों में शुमार फिल्मी जगत की शाहरुख खान जैसी हस्ती अपने को अब एक तरह से डायरेक्टर समझने लगे हैं, और वे सोचते हैं कि हम डायरेक्टर हैं और मैच में खेलने वाले खिलाड़ी कलाकार हैं जिनको उनके इशारे पर नाचना ही होगा। अगर ऐसा नहीं होता तो कभी भी खान की टीम के कप्तान सौरभ गांगुली को कप्तानी से हाथ धोना नहीं पड़ता। वैसे यह बात तो उसी दिन तो तय हो गई थी जिस दिन क्रिकेट में फिल्मी सितारों की घुसपैठ हुई थी कि क्रिकेट का हाल बुरा होने वाला है, अभी तो यह एक महज शुरुआत है, आगे आगे देखिए होता है क्या। इधर तो ऐसी गूंज भी सुनाई देने लगी है कि आईपीएल में भी मैच फिक्सिंग ने अपने पैर पसार लिए हैं और फ्रेंचाइजी मालिक अब अपने पैसों की भरपाई करने के लिए कभी भी खिलाडिय़ों के ऊपर हार-जीत के लिए दबाव बनाने का काम कर सकते हैं।
आईपीएल के पहले संस्करण में यह बात का खुलकर सामने आई कि क्रिकेट में फिल्मी सितारों की घुसपैठ के कारण क्रिकेट एक तरह से बर्बादी की तरफ जा रहा है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि आईपीएल की फ्रेंचाइजी खरीदने वाले फिल्मी सितारे अब अपनी मनमर्जी पर भी उतर आए हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण शाहरुख खान की टीम है। शाहरुख खान ने अंतत: अपने बंगाल टाइगर को ठिकाने लगा ही दिया और उनके हाथ से टीम की कमान छीन ही ली। सौरभ को यह खामियाजा इसलिए भुगतना पड़ा है क्योंकि उन्होंने टीम के मालिक शाहरुख खान और कोच जान बुकीनन की उस योजना पर सहमति नहीं जताई जिसमें टीम में कई कप्तान रखने की योजना थी। वैसे भी यह योजना है तो बकवास ही, इस योजना पर कैसे भला सौरभ गांगुली जैसे खिलाड़ी सहमत हो सकते हैं। दादा का फैसला सही था कि वे नहीं चाहते कि टीम में एक साथ कई कप्तान हों। ऐसे में उनको अपने मालिक यानी अपने डायरेक्टर के खिलाफ जाने का दंड तो मिलना ही था। ऐसे में भारत में तो उनके साथ कुछ नहीं किया गया लेकिन जैसे ही टीम द. अफ्रीका पहुंची दादा के हाथ से कप्तानी ले ली गई। हालांकि एक तरफ शाहरुख यह कहते रहे हैं कि कप्तान बदलने में गांगुली की भी सहमति है, लेकिन गांगुली ने साफ कहा कि हमेशा उनके साथ ही ऐसा क्यों होता है। इसका मतलब साफ है कि दादा कि कप्तान बदलने में कोई सहमति नहीं थी। यह तो महज एक शुरुआत है, आगे चलकर जरूर आईपीएल का हाल एक फिल्मी की तरह ही हो जाएगा जहां पर क्रिकेटरों की दाल नहीं गलेगी और हर टीम के मालिक जैसे चाहेंगे वैसा होगा। किसी भी क्रिकेटरों के पास अपने लिए कुछ नहीं बचेगा। इसमें भी कोई दो मत नहीं है कि आगे चलकर टीमों के फ्रेंचाइजी क्रिकेट के सट्टे में भी उलझ जाए और अपनी टीम के खिलाडिय़ों को जीत हार के भी निर्देश देने लगे। आईपीएल का सारा खेल तो पैसों पर टिका है। जब किसी टीम के मालिक को यह लगने लगेगा कि उन्होंने जो पैसा टीम पर लगाया है, वह निकलने वाला नहीं है तो कोई भी मालिक कुछ भी करने को तैयार हो जाएगा, ऐसे में आईपीएल के मैच भी फिक्स होने लगे तो आश्चर्य नहीं होगा। वैसे तो अब भी यह कहा जाता है कि इसकी शुरुआत आईपीएल में हो गई है और मैच फिक्सिंग ने आईपीएल में भी पैर पसार लिए हैं, लेकिन अधिकृत तौर पर इसका खुलासा नहीं हुआ है। वैसे देखा जाए तो क्रिकेट और मैच फिक्सिंग का तो चोली-दामन का साथ है। ऐसे में भला आईपीएल उससे कैसे बच सकता है। कुल मिलाकर आईपीएल में होना यही है कि जैसा फ्रेंचाइजी मालिक चाहेंगे क्रिकेटरों को वैसा ही करना पड़ेगा। हमें तो ऐसा लगता है कि आगे चलकर हमारे क्रिकेटर फ्रेंचाइजी मालिकों के हाथों की कठपुतली बन जाएंगे। अब इससे पहले की ऐसा दिन आए क्रिकेटरों को चेत जाना चाहिए। नहीं चेत को उनको कभी प्रतिकार करने का भी मौका नहीं मिलेगा। जब सौरभ गांगुली जैसे खिलाड़ी को बलि का बकरा बनाया जा सकता है तो बाकी खिलाडिय़ों की बिसात ही क्या है।

6 टिप्पणियाँ:

नीरज गोस्वामी बुध अप्रैल 22, 12:22:00 pm 2009  

अच्छे खास खेल का सत्यानाश अगर देखना है तो आई पी.एल देखिये...
नीरज

guru बुध अप्रैल 22, 02:24:00 pm 2009  

क्रिकेटर तो बंधवा मजदुर हो गए हैं गुरु

rajesh patel बुध अप्रैल 22, 02:40:00 pm 2009  

आगे चलकर हमारे क्रिकेटर फ्रेंचाइजी मालिकों के हाथों की कठपुतली बन जाएंगे। बिलकुल सही फरमाया है आपने

बेनामी,  बुध अप्रैल 22, 02:43:00 pm 2009  

मैच फिक्सिंग से जब असली क्रिकेट नहीं बचा तो फिर आईपीएल कैसे बचेगा भाई

anu बुध अप्रैल 22, 02:57:00 pm 2009  

अब आया है ऊंठ पहाड़ के नीचे, यही सोच रहे होंगे फिल्मी सितारे, क्योंकि हमेशा फिल्म स्टारों से क्रिकेटर आगे रहे हैं, ऐसे में अब फिल्म स्टारो को उनके उपर हावी होने का मौका मिला है तो उसे कैसे गंवा सकते हैं।

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