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शनिवार, अप्रैल 18, 2009

जिन्हें समझा सम्मान के लायक-वही निकले नालायक

क्रिकेट का नशा ऐसा है जो पूरे विश्व के सर चढ़कर बोलता है। जहां एक तरफ लोगों में क्रिकेट का नशा है तो दूसरी तरफ क्रिकेटरों में पैसों का नशा है। क्रिकेट के मोहजाल में अपने देश के सर्वोच्च सम्मान भी फंसे नजर आते हैं। लेकिन पद्मश्री जैसे सम्मान की भी कद्र ये क्रिकेटर नहीं करते हैं। अगर वास्तव में इनको अपने देश के इन सम्मानों की कद्र होती तो कभी भी भारतीय टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी और हरभजन सिंह इस सम्मान को लेने के लिए अपने सारे काम छोड़कर आते, लेकिन नहीं ये तो उस दिन पैसे कमाने में लगे थे। ऐसे खिलाडिय़ों को तो कभी ऐसा सम्मान नहीं देना चाहिए और सम्मान का अपमान करने वाले इन क्रिकेटरों को सजा भी मिलनी चाहिए। वास्तव में देखा जाए तो पद्मश्री के हकदार तो अपने ओलंपियन विजेन्द्रर और सुशील कुमार थे, पर इनको सम्मान देने वालों ने इस लायक नहीं समझा और जिनको लायक समझा वे ही नालायक निकले और सम्मान की कद्र तक नहीं की।
अपने क्रिकेटर पैसों के पीछे कितने दीवाने हैं इसका एक और बड़ा उदाहरण सामने आ गया है। आज पूरे देश में इसी बात की चर्चा है कि आखिर भारतीय टीम के वे कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी जिनको सभी एक ऐसा कप्तान मानते हैं जो पूरी टीम को साथ लेकर चलते हैं, वे कैसे पद्मश्री सम्मान लेने नहीं आए और शूटिंग करते रहे। यही बात हरभजन सिंह के लिए भी कही जा रही है। वैसे हरभजन सिंह तो शुरू से ही पैसों के दीवाने रहे हैं। उनकी यह बात गले उतरने वाली नहीं है कि वे उस दिन पारिवारिक काम में व्यस्त थे। ऐसा भी क्या काम जो देश का सर्वाेच्च सम्मान लेने भी आदमी न जा सके। हरभजन एक बार पैसों के मोह में ही सिख होने के बाद रैप पर बॉल खोलकर उतरे थे जिसके कारण उनकी काफी आलोचना हुई थी। अब वे पद्मश्री सम्मान लेने न पहुंचने के कारण आलोचना के शिकार हो रहे हैं। हरभजन और धोनी की हरकत पर जहां पर एक तरफ खेल मंत्री गिल साहब खफा हैं, वहीं पूरे देश की खेल बिरादरी भी नाराज है। अब तो हर तरफ से एक ही आवाज आ रही है, ऐसे खिलाडिय़ों को सजा मिलनी चाहिए। हरभजन और धोनी के मामले में ओलंपियन विजेन्दर का कहना है कि मैं सम्मान का अपमान करने वालों के खिलाफ हूं। विजेन्दर का ऐसा मानना है कि पद्मश्री पुरस्कार के हकदार वे और उनके साथ ओलंपिक में पदक जीतने वाले सुशील कुमार भी थे, लेकिन हमको इस लायक नहीं समझा गया और जिनको लायक समझा गया उन्होंने सम्मान का कितना बड़ा अपमान किया यह सबने देखा है। वास्तव में भारत में जो पुरस्कार दिए जाते हैं उन पुरस्कारों में क्रिकेटरों पर ही ज्यादा ध्यान दिया जाता है, जबकि ऐसा होना नहीं चाहिए। क्रिकेटरों तो अपने को देश से बढ़कर समझने लगे हैं ऐसा करने वालों क्रिकेटरों को सजा मिलनी ही चाहिए। अब होना तो यह चाहिए कि धोनी और हरभजन सिंह को इस सम्मान से वंचित कर दिया जाए। लेकिन लगता नहीं है कि अपनी सरकार ऐसा साहस दिखा पाएगी।
इस बारे में हमारे ब्लाग जगत के साथी क्या सोचते हैं उनके विचार भी आमंत्रित हैं।

9 टिप्पणियाँ:

guru शनि अप्रैल 18, 09:23:00 am 2009  

नालायकों का तो सम्मान होना ही नहीं चाहिए गुरु

निर्मला कपिला शनि अप्रैल 18, 11:01:00 am 2009  

हम लोगों ने ही इन्हें सिर पर चढा रखा है खेल के पैसे मिलते है एक मैच खेल कर करोड्पती बन जाते हैं दिमाग तो फिरेगा ही इनके खिलाफ ऐक्शन होना चाहिये्

rajesh patel शनि अप्रैल 18, 11:46:00 am 2009  

क्रिकेटरों को तो मीडिया ने ही सर चढ़ाया है, जब तक दूसरे खेलों पर मीडिया ध्यान नहीं देगा क्रिकेटर इस तरह की हरकतें करते रहेंगे। देश के सम्मान के साथ खिलवाड़ करने वालों को कभी माफ नहीं करना चाहिए। इनकी सजा यही है कि इनको पद्मश्री से वंचित कर दिया जाए।

बेनामी,  शनि अप्रैल 18, 11:50:00 am 2009  

और पूजा करो क्रिकेटरों की। क्रिकेटरों को भगवान समझोगे तो यही होगा। जब किसी इंसान को भगवान समझने की गलती की जाती है तो वह इंसान वास्तव में अपने को भगवान ही समझने लगता है। हमें भी ऐसा लगता है कि धोनी और हरभजन को पद्मश्री ने अब महरूम कर देना चाहिए।

परमजीत सिहँ बाली शनि अप्रैल 18, 12:02:00 pm 2009  

जब किसे सम्मान देना चाहिए इस बारे मेंचुनाव ही गलत होगें। तो यह तो होना ही है।

anu शनि अप्रैल 18, 07:31:00 pm 2009  

ऐसे खिलाडिय़ों को ऐसा सम्मान दिया ही क्यों जाता है जो इसका सम्मान करना नहीं जानते हैं। यह बात तो तय है कि अपने देश में मिलने वाले खेल पुरस्कारों में राजनीति जमकर होती है। अगर सही प्रतिभाओं को सम्मान मिले तो ऐसे सम्मानों का अपमान कभी नहीं होगा।

बेनामी,  शनि अप्रैल 18, 07:33:00 pm 2009  

क्रिकेटरों से तो कभी यह उम्मीद ही नहीं की जा सकती है कि वे देश और देश से मिलने वाले सम्मान का सम्मान करेंगे। क्रिकेटरों को तो बस पैसों का सम्मान करना आता है। पैसे के पीछे क्रिकेटर इस कदर भागते हैं जैसा कोई भूख रोटी की तरफ भागता है। ऐसे पैसों के भूखों से कैसे किसी सम्मान के सम्मान की उम्मीद की जा सकती है।
अजय साहू रायपुर

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद शनि अप्रैल 18, 08:48:00 pm 2009  

क्या ऐसा नहीं लगता कि हमारे सम्मान सम्मान के लायक नहीं हैं? आज भी नाइटहुड [सर की उपाधि] पाने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोग ललाइत रहते है और हमारे यहां......। इसका एक कारण इन सम्मानों का राजनीतिकरण है। जिसकी पहुंच जितनी, उसका उतना ऊंचा सम्मान... तो जो सही हकदार हैं, उनमें उदासीनता आ जाती है।

बेनामी,  रवि अप्रैल 19, 08:05:00 am 2009  

याने कि आप अपने सरकार और बाबुओं के चु****पन्थी, माफ़ कीजियेगा रोक नहीं पाया, के लिए हरभजन और धोनी को सजा देना चाहते हैं?

एक नजर इधर भी..
http://paricharcha.wordpress.com/2009/04/18/nahi-chahiye-samman-kya-kalloge/

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