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शुक्रवार, अप्रैल 24, 2009

छत्तीसगढ़ की नारी-सब पर भारी

नारी को अबला कहे जाने के दिन अब लद चुके हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि आज की नारी हर वह काम करने लगी है जो पुरुष करते हैं। नारी किसी भी हालत में पुरुषों से काम नहीं है। अपने छत्तीसगढ़ में एक सुखद खबर यह है कि यहां की नारी अब काम के मामले में भी सब पर भारी पड़ रही है। एक शोध में यह बात सामने आई है कि निम्न स्तर पर जीवन यापन करने वाली महिलाएं अब काम में इतनी ज्यादा सक्रिय हो गई हैं कि जहां वह घर का 75 प्रतिशत खर्च उठाने का काम कर रहीं हैं, वहीं उनका प्रतिशत अब गिरकर 39 से महज 5 हो गया है। आने वाले दिनों में यह प्रतिशत शून्य होने के भी आसार नजर आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की महिलाओं पर तो परिवार का दबाव भी काफी कम है। संस्कारधानी बिलासपुर में जरूर यह प्रतिशत ज्यादा है।
अपने देश में महिला सशक्तिकरण की जो बात लगातार की जा रही है, उस दिशा में और कोई राज्य आगे बढ़ा हो या न बढ़ा हो लेकिन अपना राज्य छत्तीसगढ़ इस दिशा में काफी आगे बढ़ गया है। आज छत्तीसगढ़ की महिलाएं हर क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही हैं। पं. रविशंकर विश्व विद्यालय की भूगोल की रीडर डॉ. सरला शर्मा ने एक शोध किया है। इस के परिणाम आश्चर्यजनक हैं। इस शोध में बताया गया है कि निम्न स्तर पर जीवन यापन करने वाली महिलाओं की जीवन शैली में नौकरी के कारण काफी बदलाव आया है। एक समय वह था जब निम्न वर्ग में महिलाओं को काम करने नहीं दिया जाता था, लेकिन अब समय की मांग को देखते हुए इस वर्ग ने भी अपने घर की महिलाओं को घर की चारदीवारी से बाहर जाने की इजाजत दी है। इसका नतीजा यह रहा है कि जहां निम्न वर्ग के लोगों के रहन-सहन में बदलाव आया है, वहीं महिलाओं ने घर को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का काम किया है। छत्तीसगढ़ में पूर्व में निम्न स्तर पर महिलाओं का प्रतिशत 39 था जो अब घटकर महज पांच प्रतिशत रह गया है। रायपुर की बात करें तो यहां का प्रतिशत 41 से घटकर 7 हुआ है। एक तरफ जहां निम्न वर्ग की महिलाओं का रूझान काम के प्रति बढ़ा है तो दूसरी तरफ उच्च वर्ग की महिलाएं अब काम करने की बजाए घर संभालने की दिशा में अग्रसर हो रही हैं। उच्च वर्ग में पहले 14 प्रतिशत महिलाएं ही घरों को संभालती थीं, लेकिन अब इसका प्रतिशत 48 हो गया है। यानी आज करीब आधी महिलाएं ही बाहर काम करने में रूचि रखती हैं।
जो महिलाएं बाहर काम करती हैं उन पर घर के काम का दवाब कम नहीं होता है। शोध में यह बात सामने आई है कि दबाव के मामले में रायपुर की महिलाएं किस्मत वाली हैं। उन पर घर के काम का दबाव महज 34 प्रतिशत है। इस मामले में बिलासपुर की महिलाएं बदकिस्मत हैं कि उनको बाहर का काम करने के बाद भी घर का ज्यादा से ज्यादा काम करना पड़ता है। बिलासपुर का प्रतिशत 66 हैं। एक तरफ जहां बिलासपुर की महिलाएं घर के काम के बोझ से भी दबी हुई हैं, वहीं उन पर ही घर का खर्च चलाने का जिम्मा ज्यादा है। शोध में यह बात सामने आई है कि बिलासपुर की 43 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं घर का 75 प्रतिशत खर्च उठाती हैं। रायपुर में यह प्रतिशत महज 13 प्रतिशत है। शोध में किए गए सर्वे में जहां प्रदेश के मुख्य जिलों राजधानी रायपुर के साथ बिलासपुर को शामिल किया गया, वहीं भिलाई और कोरबा जैसा उद्योग नगरी को भी शामिल किया गया। इन शहरों में शिक्षा, बैंक, प्रशासनिक क्षेत्र,ब्यूटी पार्लर, नर्सिंग होम, रेलवे अस्पताल के साथ निजी संस्थानों में काम करने वाली महिलाओं को शामिल किया गया था। सर्वे में आर्थिक आधार पर ही महिलाओं को उच्च, मध्यम और निम्न वर्ग में रखा गया था। कुल मिलाकर यह एक सुखद शोध है कि अपना छत्तीसगढ़ महिला सशक्तिकरण की तरफ तेजी से बढ़ रहा है।

12 टिप्पणियाँ:

anu शुक्र अप्रैल 24, 08:47:00 am 2009  

छत्तीसगढ़ को पिछड़ा राज्य समझने वालों के लिए यह करारा जवाब है कि छत्तीसगढ़ की महिलाएं आज कितनी आगे निकल गई है। ऐसा शोध करने के लिए सरला शर्मा के साथ इस खबर को ब्लाग जगत तक पहुंचाने के लिए आपको भी बधाई

बेनामी,  शुक्र अप्रैल 24, 08:54:00 am 2009  

चलिए आप भी महिलाओं पर लिखने लगे, अब तो जरूर महिला मोर्चा की नाराजगी में फर्क आया होगा। वरना आप तो कपड़ों के जंजाल में फंस ही गए थे। अच्छी जानकारी के लिए आपके आभारी हैं।

guru शुक्र अप्रैल 24, 09:05:00 am 2009  

महिलाओं की जय हो गुरु

बेनामी,  शुक्र अप्रैल 24, 11:27:00 am 2009  

इस तथ्यपरक शोध को ब्लॉग जगत तक पहुँचाने के लिए धन्यवाद।

आप पत्रकारिता में हैं, मुझसे ज़्यादा जानते ही होंगे, लेकिन अपने लेख को कुछ पैराग्राफ में बांट दें तो मुझ जैसे पाठकों की रूचि बनी रहेगी पढ़ने में

Rachna Singh शुक्र अप्रैल 24, 11:28:00 am 2009  

good inspiring stories about woman insire other woman to do better

rajesh patel शुक्र अप्रैल 24, 11:29:00 am 2009  

ऐसे शोध हर राज्य में होने चाहिए, जानकारी के लिए आभार

बेनामी,  शुक्र अप्रैल 24, 11:39:00 am 2009  

इस कमर तोड़ महंगाई में अब यह संभव ही नहीं है कि एक अकेले पुरुष के दम पर घर चलाया जा सकें। अगर छत्तीसगढ़ की महिलाएँ घर से बाहर निकल करे पुरुषों का साथ दे रहीं है तो इसके लिए वह साधुवाद की पात्र हैं। छत्तीसगढ़ की महिलाओं से दूसरे राज्यों की महिलाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए।

अनिल कान्त शुक्र अप्रैल 24, 03:20:00 pm 2009  

mahilaon ka is tarah aage badhna ...ek tarah se samaj ka sudharna aur ....vikaas ke swaroop ka badalna hai ...striyon ke vikas ke bina na hi desh ka bhala ho sakta hai na hi samaaj ka

Anil Pusadkar शुक्र अप्रैल 24, 07:52:00 pm 2009  

अब आये राजकुमार सही रास्ते पर्।बहुत-बहुत बधाई॥

बेनामी,  शुक्र अप्रैल 24, 08:08:00 pm 2009  

छत्तीसगढ़ के लिए ऐसे ही लिखे और छत्तीसगढ़ का नाम देश-दुनिया में रौशन करें यही हमारी शुभकामनाएँ हैं।
अजय साहू रायपुर

बेनामी,  शुक्र अप्रैल 24, 08:18:00 pm 2009  

छत्तीसगढ़ की महिलाएं तो हमेशा से मेहनती रही हैं। बस्तर से लेकर सरगुजा तक किसी भी वर्ग की महिला हो उसकी मेहनत का गाथा छत्तीसगढ़ का इतिहास कहता है। महिलाओं पर किए गए शोध के लिए शोधकर्ता सरला शर्मा को कोटिश-कोटिश बधाई आपको ऐसी जानकारी देने के लिए आभार।
बस्तर से आपका एक मित्र

जयंत - समर शेष शुक्र अप्रैल 24, 08:37:00 pm 2009  

वाह जी वाह...
नारी मुक्ति सही अर्थों में...

जब हम दुर्गा, काली, लक्ष्मी और सरस्वती माँ को पूजते हैं,
तो नारी को अवश्य ही उनका स्थान देना चाहिए...

जानकारी के लिए धन्यवाद..
सुन्दर लेख था.

~जयंत

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