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बुधवार, अप्रैल 29, 2009

खल्लारी में हैं प्रकृति के अद्भूत नजारे- जो आंखों को लगते हैं प्यारे

छत्तीसगढ़ में खल्लारी माता के दरबार में ऐसे-ऐसे अद्भूत नजारे हैं जो वास्तव में आंखों को प्यारे लगते हैं। यहां आने के बाद जिस तरह की शांति का अहसास होता है, उस शांति की तलाश आज की भागमभाग वाली जिंदगी में सभी को रहती है। 355 मीटर की ऊंचाई पर 981 सीढिय़ों को लांघने के बाद जब आप ऊपर पहुंचते हैं तो वहां की छटा देखकर सारी थकान गायब हो जाती है।

हम काफी दिनों से किसी ऐसे प्राकृतिक स्थान पर सपरिवार जाना चाहते थे, जहां पहुंच कर शांति से चंद पल गुजार सकें। ऐसे में हमें खल्लारी माता के दरबार की याद आई। अपने पत्रकारिता जीवन में काफी कम वक्त निकलता है जिसमें अपने परिवार के साथ कहीं जा सकें। ऐसे में अचानक खल्लारी जाने का कार्यक्रम बना तो मेरी बिटिया स्वप्निल और बेटा सागर काफी दिनों से लगातार रटते रहे कि पापा खल्लारी कब जाएंगे। अंतत: कार्यक्रम बना और हम निकल पड़े खल्लारी के लिए। वहां जाने से पहले हमको भी मालूम नहीं था कि वहां ऐसे नजारे होंगे जिनको देख कर आंखों को काफी सकून पहुंचेगा। लेकिन वहां जाने पर मालूम हुआ कि वास्तव में पहाड़ों के ऊपर बैठी देवी के दरबार में कितनी शांति मिलती है।

भरी गर्मी में वहां एक बजे पहुंचे और इतनी गर्मी होने के बाद भी 981 सीढिय़ों को चढऩे का सबने साहस दिखाया। हमारे बच्चे तो काफी खुश थे। खासकर हमारा पांच साल का बेटा सागर तो काफी प्रसन्न था। वह तो हंसते-हसंते सभी सीढिय़ां चढ़ गया। सबसे पहले माता के दरबार में उसके ही नन्हें पांव पड़े। बहरहाल वहां जाने के बाद ऊपर से जब नीचे का नजारा देखा तो देखते ही रह गए। पहाड़ के चारों तरफ प्रकृति के ऐसे नजारे हैं जिनको शब्दों में बयान करना आसान नहीं है। ऊपर से जिस दिशा में नजरें जाती थीं लगता था कि प्रकृति अपनी गोद में सारे जहान का सौंदर्य लिए हुए है। एक ऐसा सौंदर्य जिसको हर कोई कैमरे में कैद करना चाहेगा। हमने भी जितना हो सका प्रकृति के उन नजारों को कैमरे में कैद करने का प्रयास किया।




माता के दरबार में जहां माता खल्लारी देवी के दर्शन होते हैं। यहां पर 14 वीं शताब्दी का दंतेश्वरी देवी का ऐतिहासिक मंदिर है। इसके अलावा वहां पर भीम पांव के साथ उनके चूल्हे और साथ ही डोंगा पत्थर है जिसमें राम और लक्ष्मण को दिखाया गया है। दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, भैरव गुफा, सिंह गुफा, शीत बाबा, राम जानकी निषाद राज, जंवारा खोल, शिव गंगा भागीरथी के भी दर्शन होते हैं। जहां पर भीम पांव हैं वहां की छठा निराली है। यहां पर पहाड़ों के चारों तरफ का सौंदर्य निराला है। ऊपर ने नीचे देखने पर सड़क का भी अद्भूत नजारा नजर आता है। आस-पास जो तालाब हैं वे भी काफी सुंदर लगते हैं।

यह तो रही गर्मी की बात जानकारों को कहना है कि बारिश के समय में यहां की छठा और ज्यादा निराली रहती हैं। जब आसमान में इन्द्रधनुष दिखता है तो पहाड़ के चारों तरफ का नजारा वास्तव में देखने योग्य होता है। तब यहां आने वाले लोग अपने को धन्य समझते हैं। खल्लारी माता के दरबार को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है। आने वाले दर्शनार्थियों के लिए मंदिर के पहले एक गार्डन भी बनाया गया है। पानी आदि की समुचित व्यवस्था है। यहां पर साल में दो बार आने वाली नवरात्रि पर मेला लगता है जिसमें काफी दूर-दूर से लोग आते हैं माता के दरबार में। खल्लारी आने वालों को आस-पास में और भी कई दर्शनीय स्थालों पर जाने का मौका मिल सकता है।

4 टिप्पणियाँ:

कनिष्क कश्यप बुध अप्रैल 29, 01:13:00 am 2009  

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guru बुध अप्रैल 29, 01:57:00 pm 2009  

प्राकृतिक स्थान में ही मिलती है असली शांति गुरु

बेनामी,  बुध अप्रैल 29, 02:04:00 pm 2009  

प्रकृति अपनी गोद में सारे जहान का सौंदर्य लिए हुए है। यह ठीक कहा आपने

Unknown बुध अप्रैल 29, 02:48:00 pm 2009  

अच्छी जानकारी है- आभार

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