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रविवार, अप्रैल 12, 2009

नेता रहो या अभिनेता: शेखर

फिल्मों से राजनीति के मैदान में कूदने वाले शेखर सुमन का साफ तौर पर मानना है कि अभिनेता के साथ नेता का भी चोला पहनने वाले कभी सफल नहीं होते हैं। अगर वास्तव में देश की सेवा करनी है तो एक ही काम करें। अभिनेता का काम भी फिल्मों के जरिए अच्छा संदेश देते हुए देश की सेवा करना होता है और नेता का काम भी देश की सेवा करना होता है। (अब यह बात अलग है कि शायद शेखर जी यह सब जानते हुए भी नहीं मानते कि नेता देश की सेवा कम और अपनी सेवा ज्यादा करते हैं।) मैं आज राजनीति में आया हूं तो जरूर अब राजनीति में ही रमने के काम करूंगा। मैं बिहार को पुराने रूप में लाने के लिए ही राजनीति में आया हूं। बिहार का आज का रूप देखकर मुझे बहुत तकलीफ होती है।
लोकसभा चुनाव में पटना साहिब से बिहारी बाबू के नाम से जाने जाने वाले लोकप्रिय अभिनेता शत्रुधन सिंहा के खिलाफ चुनाव लडऩे वाले शेखर सुमन का अचानक रायपुर आना हुआ। शेखर साहब यहां पर अचानक इसलिए आएं क्योंकि उनको इस बात की जानकारी लगी थी कि रायपुर में एक ज्योतिषी हैं महेश जैन जो राजनीति में कूदने वालों का भविष्य बताने में महारथ रखते हैं। फिल्म जगत के कई ऐसे अभिनेता रहे हैं जो राजनीति में आए हैं तो उन्होंने श्री जैन से जरूर संपर्क किया है और राजनीति की पारी में अपना भविष्य जानने का प्रयास किया है। ऐसे में शेखर जी भी यहां श्री जैन से मिलने ही आए थे। अब यह बात अलग है कि उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि वे यहां श्री जैन से ही मिलने आए थे। लेकिन उन्होंने राजनीति पर जरूर खुलकर बात की। कांग्रेस की टिकट से चुनाव लडऩे वाले शेखर सुमन जहां खुद को बिहारी बाबू मानते हैं, वहीं उन्होंने साफ किया कि वे भले अटल बिहारी वाजपेयी को अपना आदर्श मानते हैं लेकिन चूंकि उनका पूरा परिवार कांग्रेस में आस्था रखता है और उनका मानना है कि इस देश को अगर विकास के रास्ते पर कोई पार्टी ले जा सकती है तो वह कांग्रेस पार्टी है। बकौल शेखर सुमन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही देश को सही दिशा दिखा सकते हैं। शेखर का अटल जी के बारे में ऐसा मानना है कि वे गलत पार्टी में हैं, अगर वे कांग्रेस में होते तो जरूर आज देश के सर्वोच्च पद पर रहते। लालकृष्ण अडवानी को शेखर प्रधानमंत्री के लायक मानते ही नहीं हैं।
एक समय नेताओं की पोल खोलने का काम एक टीवी सीरियल पोल खोल में करने वाले शेखर राजनीति में आने के बारे में कहते हैं कि उनकी अंतिम मंजिल राजनीति ही थी। उन्होंने कहा कि वे बिहार के वर्तमान हालात देखकर काफी दुखी हैं। उनका कहना है कि वे बिहार से भावनात्मक रूप से जुड़े हैं इसलिए चाहते हैं कि बिहार फिर से पहले ही तरह हो जाए। शेखर का एक तरह से यह कहना है कि वे बिहार को लालू यादव की गिरफ्त से मुक्त करना चाहते हैं। उनका ऐसा मानना है कि आज का बिहार काफी अराजक हो गया है। शेखर के राजनीति में आने का एक कारण यह भी नजर आया कि वे राज ठाकरे के व्यवहार से काफी दुखी हैं। उन्होंने राज ठाकरे के बारे में कहा कि उन्होंने उनकी बातों का एक आम आदमी की हैसियत से विरोध किया है। शेखर चाहते हैं कि वे बिहारी युवकों को रोजगार दिलाने का काम करें ताकि उनको दूसरों राज्यों का मुंह देखना न पड़े। शेखर का यह बिहार प्रेम है तो तारीफ के काबिल लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि वे इसमें कहां तक सफल होते हैं। आज शेखर साहब राजनीति को अच्छा मानने लगे हैं जबकि एक समय वे राजनीति की बुराई करते नहीं थकते थे। फिल्मी सितारों के राजनीति में आने को वे गलत नहीं मानते हैं लेकिन उनका कहना है कि एक तो फिल्मी सितारों का केवल प्रचार के लिए उपयोग करना गलत है, दूसरे फिल्मी सितारों को राजनीति में आने के बाद अभिनय से किनारा कर लेना चाहिए। जिसने भी राजनीति के साथ अभिनय से नाता जोड़े रखा है, वह सफल नहीं हुआ है। वैसे शेखर जी का यह कथन बिलकुल ठीक है दो नावों पर सवार रहने वाले फिल्म अभिनेता कभी सफल नहीं हुए हैं। शेखर को इस बात पर इतराज है कि मुंबई फिल्म जगत का नाम बॉलीवुड रख दिया गया है, उनका कहना है कि हिन्दी फिल्म जगत को किसी ऐसे किसी नकली नाम की जरूरत नहीं है। मायानगरी को फिल्म जगत ही कहना चाहिए। अपनी जीत के प्रति भरोसा रखने वाले शेखर कहते हैं कि यह तो चुनाव के परिणाम आने के बाद मालूम होगा कि शाटगन यानी शत्रु की गन में कितना दम है। बिहार में उनके और शत्रु साहब के बीच में बिहारी बाबू होने को लेकर एक तरह की जंग चल रही है। दोनों प्रत्याशी अपने को बिहारी बाबू बताने में लगे हैं। अब अंतिम फैसला को जनता को करना है कि वास्तव में बिहारी बाबू कौन हैं और किसके लिए बिहार के लोगों के दिलों में ज्यादा जगह है।

2 टिप्पणियाँ:

guru रवि अप्रैल 12, 04:59:00 pm 2009  

नेता बनने के बाद क्या शेखर अपनी बात पर कायम रह पाएंगे

Anil Pusadkar रवि अप्रैल 12, 10:05:00 pm 2009  

इनकी एक नही कई दुकान है राजकुमार्।फ़िलहाल ये नेतागिरी की दुकान की ग्राहकी देख रहे हैं,जमी तो ठीक नही तो फ़िर से नौटंकी शुरु॥

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