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सोमवार, अप्रैल 13, 2009

ऐसी दीवानगी देखी नहीं कहीं


चंचल, शोख अदा
देखते ही सब हो गए फिदा
उनका अंदाज था जुदा
उनका हामी था खुदा


ये बातें और किसी के लिए नहीं बल्कि उन छुटकी अविका गौर के लिए कही जा रही हैं, जो रायपुर की जमीं पर उतरीं तो सब उनके दीवाने हो गए। अविका यानी बालिका बधु की आनंदी को तो इस बात का अंदाज भी नहीं था कि रायपुर जैसे शहर में उनके इतने ज्यादा दीवाने हो सकते हैं जो उनको सर आंखों पर बिठाने का काम करेंगे। कोई अविका के साथ फोटो खींचवाना चाहता था तो कोई उनका आटोग्राफ लेना चाहता था, तो कोई उनको करीब से देखना चाहता था, तो कोई उनसे हाथ मिलना चाहता था। हर किसी में उनकी एक झलक पाने की ललक थी। जनसैलाव ऐसा मानो कोई बड़ा स्टार उतर आया हो रायपुर की जमीं पर। यह सब देखकर अविका हैरान थी, लेकिन उनको इस बात की खुशी थी कि वह एक ऐसे शहर में आई हैं, जहां पर लोगों की दीवानगी सारे हदें पार कर जाती हैं। अविका को अंतत: यह मानना पड़ा कि ऐसी दीवानगी देखी नहीं कहीं। वैसे भी अपना शहर रायपुर हमेशा से कला और कलाकारों की कद्र करने में नंबर वन रहा है।
बालिका बधू सीरियल से घर-घर तक अपनी पहुंच बनाने वाली अविका गौर का जब रायपुर आना हुआ तो उनको इस बात का अहसास नहीं था कि वह एक ऐसे शहर में कदम रखने वाली हैं, जहां पर उनके चाहने वालों की पूरी फौज है। उनको इस बात का अंदाज तो तब हुआ जब वह रोटरी क्लब के कार्यक्रम में कार्यक्रम स्थल पर पहुंचीं। वहां की भीड़ देखकर तो अविका को यकीन ही नहीं हुआ कि उनको देखने के लिए इतने लोग आए हैं। महिलाओं के साथ बच्चों और बड़ों का ऐसा जनसैलाब था जो अविका को ज्यादा और ज्यादा करीब से देखना चाहता था। जैसे ही वह मंच पर आईं लोग बेकाबू हो गए और मंच पर चढऩे लगे। बड़ी मुश्किल से बेकाबू होते लोगों को काबू में किया गया। हर कोई बस अविका के पास पहुंचना चाहता था। यहां तक कि आयोजक रोटरी क्लब से जुड़ीं महिलाएं भी अविका के साथ फोटो खींचवाने के लिए मशक्कत करती रहीं। कुल मिलाकर एक ऐसा माहौल था जिसके बारे में कोई भी कलाकार बस कल्पना करता है लेकिन हकीकत में उनको ऐसी कल्पना से दो-चार होने के मौके बहुत कम मिलते हैं, जब कलाकार को चाहने वाले इतना ज्यादा महत्व देते हैं।
अविका जहां रायपुर से सुखद यादें लेकर लौटीं, वहीं उन्होंने अपने सपनों के बारे में भी मीडिया के सामने खुलासा किया कि उनकी तमन्ना अब आगे चलकर सुष्मिता सेन की तरह की मिस यूनिवर्स बनने की है। अविका को इस बात की खुशी है कि उनको बालिका वधू ने एक ऐसे मुकाम पर पहुंचाया है जहां पर पहुंचने की तमन्ना पर हर कलाकार की रहती है। अविका अपने कला के सफर के बारे में बताती हैं कि उन्होंने यूं तो बालिका वधू के पहले कुछ सीरियलों में काम किया था, लेकिन उनमें उनको वैसा नाम नहीं मिला, जैसा नाम बालिका वधू में मिला। किसी भी कलाकार तो तब सफल माना जाता है, जब उनको उनके सही नाम के स्थान पर सीरियल या फिल्म में निभाए गए किरदार के नाम से जाना जाता है। यही बात अविका के साथ बालिका वधू में काम करने के बाद हुई है। उनको लोग अविका के नाम से कम और आनंदी के नाम से ज्यादा जानते हैं। अविका बताती हैं कि बालिका वधू के लिए एक बाल कलाकार की जरूरत थी और वह भी चली गईं आडिशन देने। फिर क्या था वह रोल उनको मिल गया। अब तो सफलता लगातार उनके कदम चूम रही है। इस समय उनके पास कुछ अच्छी फिल्में भी हैं। बकौल अविका वह मार्निंग वाक में जहां ओमपुरी और शर्मिला टैगोर जैसी कलाकार के साथ काम कर रही हैं, वहीं पाठशाला में शाहिद कपूर के साथ उनको काम करने का मौका मिला है। बालिका वधू में वह फरीदा जलाल जैसी कलाकार के साथ काम करके काफी खुश हैं। उनका मानना है कि फरीदा जी के साथ काम करना किस्मत की बात है। अविका अपने मनपसंद अभिनेता के रूप में रितिक रौशन का नाम लेती हैं। इसी के साथ वह यह भी कहती हैं कि वह भी चाहती हैं कि वह एक दिन रितिक जैसी बड़ी कलाकार बनें। अपने सपनों को साकार करने के लिए वह मेहनत भी करने की बात कहती हैं। उनका कहना है कि सफलता पाने के लिए वैसी मेहनत भी जरूरी है।

3 टिप्पणियाँ:

guru सोम अप्रैल 13, 09:19:00 am 2009  

जय हो आपके रायपुर की

दिल दुखता है... सोम अप्रैल 13, 10:21:00 am 2009  

ये तो छोटो उस्तादों का जादू है...

संगीता पुरी सोम अप्रैल 13, 03:13:00 pm 2009  

अवक‍ि गौर को उसके बेहतर भविष्‍य के लिए शुभकामनाएं।

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