अच्छा लिखते हैं तो क्यों नहीं आते जनाब
अपने ब्लाग जगत में हर दूसरा ब्लागर एक ही नसीहत देने का काम करता है कि ब्लागरों को अच्छे लेखन की तरफ ध्यान देना चाहिए। हम जानते हैं कि अच्छा लेखन करने वालों की कमी नहीं है। लेकिन अपने ब्लाग जगत में उनकी वही हालत है जिस तरह की हालत अपने देश में सच बोलने वालों और ईमानदारी से चलने वालों की है। सच बोलने वालों को सच बोलने नहीं दिया जाता और ईमानदारों को बेईमान बनने मजबूर कर दिया जाता है।
ब्लाग जगत में आए हम भी अब दो साल होने जा रहे हैं। इन दो सालों में हम भी यह बात अच्छी तरह से समझ गए हैं कि यहां पर वास्तव में अच्छा लिखने वालों की कदर नहीं होती है। बहुत से ऐसे ब्लागों को हमने देखा है और कई मित्रों की भी हमेशा शिकायत रही है कि यार अच्छा लिखे तो किसके लिए? क्या खुद लिखे और खुद पढ़े? जब भी हम अच्छा लिखते हैं तो न तो उसको कोई पढऩे आता है और न ही कोई टिप्पणी मिलती है।
वास्तव में यह कड़वी सच्चाई है कि अच्छा लिखने वालों के ब्लागों में कोई झांकने नहीं जाता है। अगर कोई चंद लाइनों के जोक्स भी लिख दे, तो उनके ब्लाग में कतर लग जाती है। आखिर ऐसा क्यों है? किसके पास है इसका जवाब। इसी तरह से किसी भी विवादित मुद्दे पर लिखा नहीं है कि आ जाते हैं सभी ब्लाग में झांकने के लिए और तरह-तरह की बातें लिख जाते हैं, जैसे उनसे बड़ा कोई ज्ञाता ही नहीं है। अब अगर हम अपनी कल की पोस्ट की बात करें तो चिट्ठा जगत के खिलाफ हमने कोई बेवजह नहीं बल्कि सच में की गई गलती के बारे मे लिखा था। कल के हमारे ब्लाग का ट्रैफिक एक सप्ताह के टै्रफिक के बराबर था। इसका क्या मलतब निकाला जाए।
मतलब साफ है कि अच्छा लिखो और खुद पढ़ो, विवादास्पद लिखो और पाठक बुलाओ। लेकिन हम महज पाठक बुलाने के लिए कुछ भी विवादास्पद लिखना पसंद नहीं करते हैं। हम हमेशा मुद्दे की बात लिखने में विश्वास रखते हैं। हमारे एक ब्लाग खेलगढ़ में नहीं के बराबर पाठक आते हैं इसके बाद भी हम इस ब्लाग को करीब दो साल से चला रहे हैं। हमने ब्लाग चौपाल का प्रारंभ किया, इसके भी ज्यादा पाटख नहीं है। पाठक आए या न आए इससे क्या फर्क पड़ता है। लेकिन हमारा ऐसा मानना है कि ब्लाग जगत में अच्छे लेखन की कदर होनी चाहिए। अब यहां पर लोग तर्क जरूर देंगे कि अच्छे लेखन की कदर होती है, अगर होती है तो उसे साबित करके दिखाया जाए।
वास्तव में आज का जमाना दिखावे और तामझाम का है। अपने देश में जिस तरह से सच का कोई मोल नहीं, वैसे ही ब्लाग जगत में अच्छे लेखन का कोई मोल नहीं है। कहते हैं कि नेकी कर और दरिया में डाल। लेकिन आज का जमाना नेकी कर और जुते खा वाला ज्यादा हो गया। इसी के साथ एक बात यह भी है कि सच बोल और मार खा। अपने देश में लोगों को ईमानदार से बेईमान बनाने का काम किया जाता है। इस पर हम बाद में लिखेंगे। फिलहाल हमारा ब्लागर मित्रों से आग्रह है कि वास्तव में अच्छे लेखन की कदर की जाए ताकि ब्लाग जगत को एक सही रूप मिल सके। महज हंसी-मजाक और विवादास्पद लेखन पढऩे और उस पर टिप्पणी करने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। कुछ ब्लागों में ज्यादा टिप्पणियों की वजह हम भी जानते हैं कि वास्तव में अपने ब्लागजगत में बहुत ज्यादा गुटबाजी है। इसे भी कोई मानता नहीं है, लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि ब्लाग जगत गुटबाजी का बहुत ज्यादा शिकार है। ब्लाग जगत को इससे भी उबरने की जरूरत है।
ब्लाग जगत में आए हम भी अब दो साल होने जा रहे हैं। इन दो सालों में हम भी यह बात अच्छी तरह से समझ गए हैं कि यहां पर वास्तव में अच्छा लिखने वालों की कदर नहीं होती है। बहुत से ऐसे ब्लागों को हमने देखा है और कई मित्रों की भी हमेशा शिकायत रही है कि यार अच्छा लिखे तो किसके लिए? क्या खुद लिखे और खुद पढ़े? जब भी हम अच्छा लिखते हैं तो न तो उसको कोई पढऩे आता है और न ही कोई टिप्पणी मिलती है।
वास्तव में यह कड़वी सच्चाई है कि अच्छा लिखने वालों के ब्लागों में कोई झांकने नहीं जाता है। अगर कोई चंद लाइनों के जोक्स भी लिख दे, तो उनके ब्लाग में कतर लग जाती है। आखिर ऐसा क्यों है? किसके पास है इसका जवाब। इसी तरह से किसी भी विवादित मुद्दे पर लिखा नहीं है कि आ जाते हैं सभी ब्लाग में झांकने के लिए और तरह-तरह की बातें लिख जाते हैं, जैसे उनसे बड़ा कोई ज्ञाता ही नहीं है। अब अगर हम अपनी कल की पोस्ट की बात करें तो चिट्ठा जगत के खिलाफ हमने कोई बेवजह नहीं बल्कि सच में की गई गलती के बारे मे लिखा था। कल के हमारे ब्लाग का ट्रैफिक एक सप्ताह के टै्रफिक के बराबर था। इसका क्या मलतब निकाला जाए।
मतलब साफ है कि अच्छा लिखो और खुद पढ़ो, विवादास्पद लिखो और पाठक बुलाओ। लेकिन हम महज पाठक बुलाने के लिए कुछ भी विवादास्पद लिखना पसंद नहीं करते हैं। हम हमेशा मुद्दे की बात लिखने में विश्वास रखते हैं। हमारे एक ब्लाग खेलगढ़ में नहीं के बराबर पाठक आते हैं इसके बाद भी हम इस ब्लाग को करीब दो साल से चला रहे हैं। हमने ब्लाग चौपाल का प्रारंभ किया, इसके भी ज्यादा पाटख नहीं है। पाठक आए या न आए इससे क्या फर्क पड़ता है। लेकिन हमारा ऐसा मानना है कि ब्लाग जगत में अच्छे लेखन की कदर होनी चाहिए। अब यहां पर लोग तर्क जरूर देंगे कि अच्छे लेखन की कदर होती है, अगर होती है तो उसे साबित करके दिखाया जाए।
वास्तव में आज का जमाना दिखावे और तामझाम का है। अपने देश में जिस तरह से सच का कोई मोल नहीं, वैसे ही ब्लाग जगत में अच्छे लेखन का कोई मोल नहीं है। कहते हैं कि नेकी कर और दरिया में डाल। लेकिन आज का जमाना नेकी कर और जुते खा वाला ज्यादा हो गया। इसी के साथ एक बात यह भी है कि सच बोल और मार खा। अपने देश में लोगों को ईमानदार से बेईमान बनाने का काम किया जाता है। इस पर हम बाद में लिखेंगे। फिलहाल हमारा ब्लागर मित्रों से आग्रह है कि वास्तव में अच्छे लेखन की कदर की जाए ताकि ब्लाग जगत को एक सही रूप मिल सके। महज हंसी-मजाक और विवादास्पद लेखन पढऩे और उस पर टिप्पणी करने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। कुछ ब्लागों में ज्यादा टिप्पणियों की वजह हम भी जानते हैं कि वास्तव में अपने ब्लागजगत में बहुत ज्यादा गुटबाजी है। इसे भी कोई मानता नहीं है, लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि ब्लाग जगत गुटबाजी का बहुत ज्यादा शिकार है। ब्लाग जगत को इससे भी उबरने की जरूरत है।
9 टिप्पणियाँ:
क्या बात कर रहे हैं..श्रीमान जी.. हमने तो आपकी बात पहले ही मान ली है... :P
5/10
सार्थक पोस्ट / सटीक मुद्दा
बातें विचारणीय हैं
यहां ऐसा ही है जी
चर्चा में रहना और ब्लॉग की टी आर पी बढाने के लिये विवादास्पद लिखना पडेगा या विवाद बनाने पडेंगें। आजकल मैं तो यही कर रहा हूँ :)वर्ना मेरे पास क्या है लिखने के लिये।
प्रणाम
यह भी एक सच्चाई है कि ब्लाग जगत गुटबाजी का बहुत ज्यादा शिकार है। ब्लाग जगत को इससे भी उबरने की जरूरत है
सच कहा है लेकिन आप सोंचें की क्या आप इस से बाहर निकल पे हैं और मैं सोंचुं की मैं कहीं इस गुटबाजी का शिकार तो नहीं. जिस दिन दोनों इमानदार हो जाएंगे , इस बीमारी का निदान हो जाएगा.
आपका मनोरथ पूर्ण हो यही कामना है वैसे उम्मीद कम है।
ठीक बात !
aapne bilkul sahi kaha...achchha likhne se pathak milenge zaruri nahi..aaj kal mai bhi isi dukh se guzar raha hun..kabhi kabhi lagta hay
blog is liye likh raha hun ki likhe baat ko sangrah kar saku ya dekh sakun.
ज्यादा ट्राफ़िक के लिये विवादास्पद लिखना बहुत जरुरी है, यही शायद हिन्दी चिट्ठाजगत का नियम है,यह भी किसी मौहल्ले से कम थोड़े ही है, कि जहाँ किसी ने कुछ उलट सीध बोल दिया बस उसी के घर के आगे भीड़ लग गई, पूजन कर्म तो हर घर में होता रहता है, वहाँ अलग क्या है, विवाद में लोगों का हमेशा आकर्षण रहा है ।
100 pratishat sach baat. yahee haal raha to blog kabhee Gambheer madhyam nahin ban sakega. waise V abhee tak BLOG kee koi pahchan nahin banee hai..
एक टिप्पणी भेजें