स्टेज चेयर एक और सोफा दो पैसे किराए में
खेल विभाग ने एक बार फिर से टेंट के सामानों का ऐतिहासिक टेंडर देकर लाखों रुपए बचत करने का रास्ता बना लिया है। जिस टेंट हाऊस को ठेका दिया गया है, वह स्टेज चेयर और सेंटर टेबल का किराया एक पैसे ले रहा है। पांच सीटर सोफा का किराया सिर्फ दो पैसे है। इसी के साथ 10 सामान ऐसे हैं जो एक पैसे किराए पर दिए जा रहे हैं। इस बार के टेंडर में पिछले टेंडर से 20 प्रतिशत किराया कम किया गया है। चार संभागों के लिए निकाले गए टेंडर में सभी संभागों के लिए लगभग एक सा किराए देकर एक टेंट हाऊस ने बाजी मार ली है।
खेल विभाग ने एक बार फिर से टेंट के सामानों के लिए टेंडर पैसों में निकालकर विभाग के लाखों रुपए बचाने का काम किया है। खेल विभाग प्रदेश का एकमात्र विभाग है जहां पर पिछले साल से ही टेंट का टेंडर पैसों में निकाला जा रहा है। विभाग के इस कदम से दूसरे विभागों में हडंकम मचा हुआ है।
विभाग ने टेंट के लिए जो टेंडर निकाला था उसमें कुल 32 सामानों के रेट मांगे गए थे। इस टेंडर में सात टेंट वालों ने अपने रेट दिए थे। सबसे कम रेट नवभारत किराया भंडार ने दिए जिसके कारण टेंडर उसके नाम हो गया है। इस टेंट हाऊस वाले ने जिन सामानों के सबसे कम रेट दिए हैं उसमें प्रमुख रूप से स्टेज चेयर और सेंटर टेबल हंै जिसका किराया महज एक पैसे लिया जा रहा है। इसी के साथ तखत, टेबल क्लाथ, दरी, वीआईपी गेट, गलीचा, सफेद चादर, तालपत्री का किराया एक पैसे फिट के हिसाब से लिया जा रहा है। अन्य सामानों में जिनका किराया कम है उसमें वीआईपी चेयर 20 पैसे, फाइवर कुर्सी एक नग प्रति दिन 70 पैसे, टीन बाऊंड्री प्रति वर्ग फीट 60 पैसे, शामियाना वाटर प्रुफ 2.28 रुपए प्रति वर्ग फीट, प्रतिदिन शामिल है।
दूसरे विभाग सबक लें
कम कीमत पर टेंट के सामान पूरे प्रदेश में खेल विभाग को उपलब्ध कराने वाले टेंट हाऊस के संचालक जसपाल सिंह का कहना है कि यह खेल विभाग के बस की बात है कि वह पिछले साल से ऐसा काम कर रहा है, जैसा काम आज तक प्रदेश में कोई विभाग नहीं कर पाया। खेल विभाग से दूसरे विभागों को सबक लेना चाहिए। वे कहते हैं कि हम छोटे टेंट वाले हैं, लेकिन हमने दिखा दिया है कि कम कमाई करके बड़ा काम लिया जा सकता है। वे कहते हैं कि हम सिक्ख समाज के हैं और हमारा समाज सेवा में भरोसा करता है। हम खिलाड़ियों के लिए काम करके सोचते हैं कि हम देश की सेवा कर रहे हैं।
लाखों बचेंगे: खेल संचालक
खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि इस बार के टेंडर से भी विभागों को लाखों की बचत होगी। इस बार का डेंटर पिछले साल से 20 प्रतिशत कम में गया है। पिछले साल राज्य खेल महोत्सव के कारण विभाग को 30 लाख से ज्यादा की बचत हुई है, इस बार कोई ऐसा बड़ा आयोजन तो नहीं होना है, लेकिन फिर भी विभाग को कम से कम दस लाख की बचत जरूर होगी।
खेल विभाग ने एक बार फिर से टेंट के सामानों के लिए टेंडर पैसों में निकालकर विभाग के लाखों रुपए बचाने का काम किया है। खेल विभाग प्रदेश का एकमात्र विभाग है जहां पर पिछले साल से ही टेंट का टेंडर पैसों में निकाला जा रहा है। विभाग के इस कदम से दूसरे विभागों में हडंकम मचा हुआ है।
विभाग ने टेंट के लिए जो टेंडर निकाला था उसमें कुल 32 सामानों के रेट मांगे गए थे। इस टेंडर में सात टेंट वालों ने अपने रेट दिए थे। सबसे कम रेट नवभारत किराया भंडार ने दिए जिसके कारण टेंडर उसके नाम हो गया है। इस टेंट हाऊस वाले ने जिन सामानों के सबसे कम रेट दिए हैं उसमें प्रमुख रूप से स्टेज चेयर और सेंटर टेबल हंै जिसका किराया महज एक पैसे लिया जा रहा है। इसी के साथ तखत, टेबल क्लाथ, दरी, वीआईपी गेट, गलीचा, सफेद चादर, तालपत्री का किराया एक पैसे फिट के हिसाब से लिया जा रहा है। अन्य सामानों में जिनका किराया कम है उसमें वीआईपी चेयर 20 पैसे, फाइवर कुर्सी एक नग प्रति दिन 70 पैसे, टीन बाऊंड्री प्रति वर्ग फीट 60 पैसे, शामियाना वाटर प्रुफ 2.28 रुपए प्रति वर्ग फीट, प्रतिदिन शामिल है।
दूसरे विभाग सबक लें
कम कीमत पर टेंट के सामान पूरे प्रदेश में खेल विभाग को उपलब्ध कराने वाले टेंट हाऊस के संचालक जसपाल सिंह का कहना है कि यह खेल विभाग के बस की बात है कि वह पिछले साल से ऐसा काम कर रहा है, जैसा काम आज तक प्रदेश में कोई विभाग नहीं कर पाया। खेल विभाग से दूसरे विभागों को सबक लेना चाहिए। वे कहते हैं कि हम छोटे टेंट वाले हैं, लेकिन हमने दिखा दिया है कि कम कमाई करके बड़ा काम लिया जा सकता है। वे कहते हैं कि हम सिक्ख समाज के हैं और हमारा समाज सेवा में भरोसा करता है। हम खिलाड़ियों के लिए काम करके सोचते हैं कि हम देश की सेवा कर रहे हैं।
लाखों बचेंगे: खेल संचालक
खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि इस बार के टेंडर से भी विभागों को लाखों की बचत होगी। इस बार का डेंटर पिछले साल से 20 प्रतिशत कम में गया है। पिछले साल राज्य खेल महोत्सव के कारण विभाग को 30 लाख से ज्यादा की बचत हुई है, इस बार कोई ऐसा बड़ा आयोजन तो नहीं होना है, लेकिन फिर भी विभाग को कम से कम दस लाख की बचत जरूर होगी।
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