भ्रष्टाचार रोकना है तो प्रधानमंत्री का चुनाव भी प्रत्यक्ष हो
आज पूरा देश अन्ना हजारे के साथ भ्रष्टाचार रोको मुहिम पर काम कर रहा है। ऐसे में यह सोचने वाली बात है कि आखिर भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के क्या अच्छे उपाय हो सकते हैं। ऐसे में हमारा ऐसा मानना है कि देश के प्रधानमंत्री से लेकर हर राज्य के मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री से लेकर राज्य के मंत्रियों के चुनाव प्रत्यक्ष होने चाहिए। जिस दिन देश में ऐसा होने लगेगा भ्रष्टाचार पर एक हद तक अंकुश लग जाएगा। समाप्त होने का दावा तो हम नहीं कर सकते हैं, लेकिन इतना तय है कि प्रत्यक्ष चुनाव होने से अच्छे लोग सामने आएंगे और चुने जाएंगे।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारत में आजादी के बाद से ही देश की बागडोर जिन प्रधानमंत्री के हाथों में होती है, वे प्रधानमंत्री एक तरह से अपनी पार्टी के हाथों की कठपुतली होते हैं। अपने मनमोहन सिंह तो कुछ ज्यादा ही कठपुतली हैं। ऐसे में जबकि देश के सर्वोच्च पद पर बैठा इंसान दूसरों के इशारे पर चलने वाला होगा तो वह कैसे भ्रष्टाचार या फिर किसी मुद्दे पर कोई कठोर निर्णय ले पाएगा। इसके विपरीत अगर देश की जनता की पसंद का प्रधानमंत्री होगा, जिसे पूरे देश की जनता चुनेगी तो उनकी जनता के प्रति पूरी जवाबदेही होगी, ऐसे में वह जरूर कठोर फैसले लेने में पीछे नहीं हटेंगे।
इसमें संदेह नहीं है कि अगर देश में प्रधानमंत्री का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होने लगेगा तो देश में अन्ना हजारे जैसे लोगों को प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलेगा। इसी के साथ राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के चुनाव भी प्रत्यक्ष रूप से होंगे तो उनकी भी जवाबदेही होगी। आज जिस प्रणाली विधानसभा और संसद चलती है उस प्रणाली को बदलने का समय आ गया है। कब तक आखिर हम लोग राजनैतिक पार्टियों के थोपे गए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को ढोते रहेंगे। कोई अनपढ़, चोर, लूटेरा, डाकू, भ्रष्टाचारी, सकलकर्मी नेता ही नहीं मंत्री भी बन जाता है और उसके आदेशों को मानना जनता की मजबूरी हो जाती है।
कई बार ऐसा होता है कि जिनको शिक्षा मंत्री, कृषि मंत्री या और किसी भी विभाग का मंत्री बनाया जाता है, उसके बारे में उनको कोई जानकारी ही नहीं होती है, ऐसे में ऐसे मंत्रियों से किस तरह से उस विभाग और देश के विकास की उम्मीद की जा सकती है। क्यों नहीं चुनाव लड़ने के लिए भी शैक्षणिक योग्यता तय की जाती है। क्या महज उम्र सीमा ही पर्याप्त योग्यता है। कहने को तो कहा जाता है कि जिन पर आपराधिक प्रकरण हैं, वे चुनाव नहीं लड़ सकते हैं, लेकिन अपने देश में डाकू भी चुनाव लड़े ही नहीं बल्कि जीते भी हैं।
जब तक चुनाव लड़ने के नियमों में संशोधन नहीं किया जाएगा, तब तक इस देश से भ्रष्टाचार का समाप्त होना संभव नहीं लगता है। एक जनलोकपाल बिल ही देश से भ्रष्टाचार को समाप्त कर सकता है, कम से कम हमें तो संभव नहीं लगता है। और बहुत सी ऐसी बातें हैं जो होनी चाहिए, लेकिन एक बार में लिख पाना संभव नहीं है। आगे और लिखेंगे।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारत में आजादी के बाद से ही देश की बागडोर जिन प्रधानमंत्री के हाथों में होती है, वे प्रधानमंत्री एक तरह से अपनी पार्टी के हाथों की कठपुतली होते हैं। अपने मनमोहन सिंह तो कुछ ज्यादा ही कठपुतली हैं। ऐसे में जबकि देश के सर्वोच्च पद पर बैठा इंसान दूसरों के इशारे पर चलने वाला होगा तो वह कैसे भ्रष्टाचार या फिर किसी मुद्दे पर कोई कठोर निर्णय ले पाएगा। इसके विपरीत अगर देश की जनता की पसंद का प्रधानमंत्री होगा, जिसे पूरे देश की जनता चुनेगी तो उनकी जनता के प्रति पूरी जवाबदेही होगी, ऐसे में वह जरूर कठोर फैसले लेने में पीछे नहीं हटेंगे।
इसमें संदेह नहीं है कि अगर देश में प्रधानमंत्री का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होने लगेगा तो देश में अन्ना हजारे जैसे लोगों को प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलेगा। इसी के साथ राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के चुनाव भी प्रत्यक्ष रूप से होंगे तो उनकी भी जवाबदेही होगी। आज जिस प्रणाली विधानसभा और संसद चलती है उस प्रणाली को बदलने का समय आ गया है। कब तक आखिर हम लोग राजनैतिक पार्टियों के थोपे गए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को ढोते रहेंगे। कोई अनपढ़, चोर, लूटेरा, डाकू, भ्रष्टाचारी, सकलकर्मी नेता ही नहीं मंत्री भी बन जाता है और उसके आदेशों को मानना जनता की मजबूरी हो जाती है।
कई बार ऐसा होता है कि जिनको शिक्षा मंत्री, कृषि मंत्री या और किसी भी विभाग का मंत्री बनाया जाता है, उसके बारे में उनको कोई जानकारी ही नहीं होती है, ऐसे में ऐसे मंत्रियों से किस तरह से उस विभाग और देश के विकास की उम्मीद की जा सकती है। क्यों नहीं चुनाव लड़ने के लिए भी शैक्षणिक योग्यता तय की जाती है। क्या महज उम्र सीमा ही पर्याप्त योग्यता है। कहने को तो कहा जाता है कि जिन पर आपराधिक प्रकरण हैं, वे चुनाव नहीं लड़ सकते हैं, लेकिन अपने देश में डाकू भी चुनाव लड़े ही नहीं बल्कि जीते भी हैं।
जब तक चुनाव लड़ने के नियमों में संशोधन नहीं किया जाएगा, तब तक इस देश से भ्रष्टाचार का समाप्त होना संभव नहीं लगता है। एक जनलोकपाल बिल ही देश से भ्रष्टाचार को समाप्त कर सकता है, कम से कम हमें तो संभव नहीं लगता है। और बहुत सी ऐसी बातें हैं जो होनी चाहिए, लेकिन एक बार में लिख पाना संभव नहीं है। आगे और लिखेंगे।
फिलहाल मित्रों से भी हम जानना चाहते हैं कि वे क्या सोचते हैं, अपने विचार जरूर बताएं।
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