लूट रहीं हैं मोबाइल कंपनियां
अपने देश में जितनी भी मोबाइल कंपनियां काम कर रही हैं कोई भी कंपनी यह दावा नहीं कर सकती है कि वह ईमानदार है। चाहे वह बीएसएनएल ही क्यों न हो। हर कंपनी का एक सूत्रीय काम है उपभोक्ताओं को लूटने का। उपभोक्ता बेचारा क्या करें उनके पास लुटने के अलावा कोई चारा नहीं है।
अचानक हमने कल अपने रिलायंस के रिम वाले मोबाइल का बैलेंस चेक किया तो हैरान रह गए। एक दिन पहले 127 रुपए थे और कल 74 रुपए। हमने सोचा यार इतनी बात हमने कहा कर डाली। एक तो हमारे मोबाइल में 299 रुपए वाली स्कीम डली है उससे रिम और रिलायंस में अनलिमिटेड बात होती है, इसी के साथ किसी भी नेटवर्क में रोज आधे धंटे बात कर सकते हैं। फिर ऐसा क्या हुआ कि इतना पैसा एक ही दिन में कट गया। हमने कंपनी के उपभोक्ता केन्द्र को फोन लगाया तो उधर बैठे हुए जनाब ने अपने कम्प्यूटर में जांच कर बताया कि हमारे मोबाइल में दो अन्य सेवाएं चल रही हैं। हमने जब उनसे कहा कि हमने तो ऐसी कोई सेवा प्रारंभ नहीं करवाई है तो फिर ये कैसे चालू हो गई तो उन्होंने कहा कि आपने ही चालू करवाई होगी। आप कहें तो इसे बंद कर दें। हमने तत्काल वो सेवाएं बंद करवाई। लेकिन तब तक तो हमारे जेब पर कैची चल ही चुकी थी।
अब कंपनी वाले तो यही कहते हैं। एक तो कंपनी के इतने ज्यादा फोन और एसएमएस आते हैं कि पूछिए मत। अगर गलती से भी आपने या आपके बच्चों ने मोबाइल का कोई बटन दबा दिया तो हो गई कोई भी सर्विस चालू। वैसे ज्यादातर मामलों में कंपनी वाले खुद से कोई भी सेवा प्रारंभ कर देते हैं। जब उपभोक्ता को मालूम होता है तो उसे बंद कर दिया जाता है। लेकिन तब तक तो आपके जेब पर कैची चल चुकी रहती है।
यह सिर्फ रिलायंस में होता है ऐसा नहीं है, हर कंपनी का यही काम है। हमारे एक पत्रकार मित्र के पास बीएसएनएल का सिम है। वे काफी दिनों से परेशान हैं कि रोज उनके तीन-चार रुपए काट दिए जाते हैं। ऐसा हर किसी के साथ होता है। हमारा ऐसा मानना है कि हर मोबाइल कंपनी वाले अगर अपने हर ग्राहक की जेब पर रोज एक रुपए की भी कैची चला दे (चलाई ही जाती है) तो भी कंपनी के एक दिन में लाखों के वारे-न्यारे हो जाए। अब कौन सा ऐसा उपभोक्ता होगा जो एक-एक रुपए का हिसाब रखता है। उपभोक्ता चाहे वह प्रीपैड वाला हो या पोस्ट पैड वाला, हर कोई ठगा जा रहा है और मोबाइल कंपनियों की लूट का शिकार हो रहा है, लेकिन कोई कुछ कर नहीं पा रहा है। हर रोज खुले आम लाखों की लूट करने वाली कंपनियों के लिए कोई कानून नहीं है कि उसे रोका जाए। हर उपभोक्ता के लिए मोबाइल आज जरूरी हो गया है और ऐसे में हर आदमी सोचता है कि यार एक-दो रुपए के लिए क्या उलझा जाए, फिर कंपनी वालों की दादगिरी भी नहीं है, आपने ज्यादा बात की नहीं कि फट से कट जाता है आपके मोबाइल का कनेक्शन फिर अपने चालू करवाने के लिए लगाते रहे फोन। इन सब परेशानियों से बचने के लिए ही उपभोक्ता कुछ नहीं करते हैं जिसका फायदा मोबाइल कंपनी वाले उठाते हैं। मोबाइल उपभोक्ताओं में जागरूकता के बिना इनकी लूट पर विराम लगने वाला नहीं है।
अचानक हमने कल अपने रिलायंस के रिम वाले मोबाइल का बैलेंस चेक किया तो हैरान रह गए। एक दिन पहले 127 रुपए थे और कल 74 रुपए। हमने सोचा यार इतनी बात हमने कहा कर डाली। एक तो हमारे मोबाइल में 299 रुपए वाली स्कीम डली है उससे रिम और रिलायंस में अनलिमिटेड बात होती है, इसी के साथ किसी भी नेटवर्क में रोज आधे धंटे बात कर सकते हैं। फिर ऐसा क्या हुआ कि इतना पैसा एक ही दिन में कट गया। हमने कंपनी के उपभोक्ता केन्द्र को फोन लगाया तो उधर बैठे हुए जनाब ने अपने कम्प्यूटर में जांच कर बताया कि हमारे मोबाइल में दो अन्य सेवाएं चल रही हैं। हमने जब उनसे कहा कि हमने तो ऐसी कोई सेवा प्रारंभ नहीं करवाई है तो फिर ये कैसे चालू हो गई तो उन्होंने कहा कि आपने ही चालू करवाई होगी। आप कहें तो इसे बंद कर दें। हमने तत्काल वो सेवाएं बंद करवाई। लेकिन तब तक तो हमारे जेब पर कैची चल ही चुकी थी।
अब कंपनी वाले तो यही कहते हैं। एक तो कंपनी के इतने ज्यादा फोन और एसएमएस आते हैं कि पूछिए मत। अगर गलती से भी आपने या आपके बच्चों ने मोबाइल का कोई बटन दबा दिया तो हो गई कोई भी सर्विस चालू। वैसे ज्यादातर मामलों में कंपनी वाले खुद से कोई भी सेवा प्रारंभ कर देते हैं। जब उपभोक्ता को मालूम होता है तो उसे बंद कर दिया जाता है। लेकिन तब तक तो आपके जेब पर कैची चल चुकी रहती है।
यह सिर्फ रिलायंस में होता है ऐसा नहीं है, हर कंपनी का यही काम है। हमारे एक पत्रकार मित्र के पास बीएसएनएल का सिम है। वे काफी दिनों से परेशान हैं कि रोज उनके तीन-चार रुपए काट दिए जाते हैं। ऐसा हर किसी के साथ होता है। हमारा ऐसा मानना है कि हर मोबाइल कंपनी वाले अगर अपने हर ग्राहक की जेब पर रोज एक रुपए की भी कैची चला दे (चलाई ही जाती है) तो भी कंपनी के एक दिन में लाखों के वारे-न्यारे हो जाए। अब कौन सा ऐसा उपभोक्ता होगा जो एक-एक रुपए का हिसाब रखता है। उपभोक्ता चाहे वह प्रीपैड वाला हो या पोस्ट पैड वाला, हर कोई ठगा जा रहा है और मोबाइल कंपनियों की लूट का शिकार हो रहा है, लेकिन कोई कुछ कर नहीं पा रहा है। हर रोज खुले आम लाखों की लूट करने वाली कंपनियों के लिए कोई कानून नहीं है कि उसे रोका जाए। हर उपभोक्ता के लिए मोबाइल आज जरूरी हो गया है और ऐसे में हर आदमी सोचता है कि यार एक-दो रुपए के लिए क्या उलझा जाए, फिर कंपनी वालों की दादगिरी भी नहीं है, आपने ज्यादा बात की नहीं कि फट से कट जाता है आपके मोबाइल का कनेक्शन फिर अपने चालू करवाने के लिए लगाते रहे फोन। इन सब परेशानियों से बचने के लिए ही उपभोक्ता कुछ नहीं करते हैं जिसका फायदा मोबाइल कंपनी वाले उठाते हैं। मोबाइल उपभोक्ताओं में जागरूकता के बिना इनकी लूट पर विराम लगने वाला नहीं है।
1 टिप्पणियाँ:
बिल्कुल सही कहा है आपने
हम या कहो कि लगभग सब ही,
इस तरह लूटे जा चुके है।
एक टिप्पणी भेजें