बच्चों को करेंगे दूर-हो जाएंगे मगरूर
आज पालक प्रतिस्पर्धा के चलते अच्छी पढ़ाई के चक्कर में अपने बच्चों को अपने से दूर दूसरे शहरों में पढऩे के लिए भेज देते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो बच्चे माता-पिता से दूर हो जाते हैं वो मगरूर हो जाते हैं।
काफी दिनों से हमारी तबीयत खराब चल रही थी हम सोच रहे थे कि ठीक हो जाएंगे, लेकिन जब देखा कि अब डॉक्टर के पास जाए बिना काम चलने वाला नहीं है तो हम कल रात को डॉक्टर के पास चले गए। वहां पर एक सज्जन अपनी पत्नी के साथ डॉक्टर के पास आए थे, वे डॉक्टर को बता रहे थे कि उनकी बेटी एक शहर में है तो बेटा दूसरा शहर में और हम पति-पत्नी यहां रायपुर में हंै। उन्होंने काफी दुखी मन से बताया कि पढ़ाई के चक्कर में हमने अपने बच्चों को बाहर भेज दिया है, लेकिन वहां की भी पढ़ाई कोई खास नहीं है। ऐसे में डॉक्टर साहब ने उनको अपने मित्र के बारे में बताया कि उन्होंने अपनी महज सात साल की एक बेटी को पढऩे के लिए बाहर भेज दिया है। इसी के साथ डॉक्टर साहब ने यह भी कहा कि यह तो मान कर चलिए कि अगर आप अपने बच्चों को पढऩे बाहर भेजते हैं तो फिर वो बच्चे आपके नहीं रह जाते हैं।
वास्तव में देखा जाए तो इसमें कोई दो मत नहीं है कि जब बच्चे घर-परिवार से दूर हो जाते हैं तो वे अपनी मर्जी से चलते हैं और मगरूर हो जाते हैं। ऐसे में जब वे बच्चे अपने घर परिवार में आते हैं तो अपने माता-पिता की बातों की भी परवाह नहीं करते हैं। बहुत से पालक इस बात का रोना रोते हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को बाहर भेजकर गलती कर दी। लेकिन आज सब कुछ जानते हुए भी लोग अपने बच्चों के भविष्य की खातिर उनको बाहर भेज कर अच्छी शिक्षा दिलाने का काम करते हैं, लेकिन नहीं बच्चे अपने माता-पिता के साथ क्या करते हैं, यह सब जानते हैं।
इस बारे में हमारे ब्लाग बिरादरी के मित्र क्या सोचते हैं जरूर बताएं।
1 टिप्पणियाँ:
सभी बच्चों के साथ ऐसा नही है। कम से कम मेरे बच्चे जितना दूर रहे उतना ही वो हम से और अधिक जुडे उन्हे माँ बाप के प्यार और दुनिया मे फर्क समझ आया या शायद वो बेटियाँ थी इस लिये। सभी के अलग अलग अनुभव हो सकते हैं मायने रखता है कि बाहर भेजने से पहले आपका बच्चों के साथ जुडाव कितना था। फिर भी हो सकता है बहुदा मामलों मे आपकी बात सही हो। शुभकामनाएं
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