दो सौ साल से जली ही नहीं होली
पूरे देश में एक तरफ जहां होली की उमंग का माहौल है, ऐसे में छत्तीसगढ़ में रायपुर जिले के छुरा विकासखंड में तीन गांव ऐसे हैं जहां पर होली को लेकर किसी में कोई उत्साह ही नहीं है। इन गांवों में पिछले दो शताब्दी से होलिका दहन ही नहीं हुआ है। यहां के ग्रामीण अपने पुर्वजों की परंपरा को कायम रखे हुए हैं। होलिका दहन न करने का कोई स्पष्ट कारण तो कोई नहीं जानता है, पर गांव में एक स्वयंभू शिवलिंग को इसका एक कारण जरूर बताया जाता है।
आज पूरे देश में होलिका दहन की तैयारी है। देश के हर गांव से लेकर शहरों में रात को होलिका दहन होगा। लेकिन छत्तीसगढ़ के तीन गांवों में होलिका दहन नहीं किया जाएगा। रायपुर जिले के छुरा विकासखंड के ये गांव टोनहीडबरी, नरत्तोरा और नवगई ऐसे गांव हैं जहां पर होली को लेकर कोई उमंग नहीं है। एक समय में तीन गांवों की सरहद एक ही थी। मुख्य गांव जहां पर दो सौ साल से एक डबरी आबाद है और संभवत: इसी डबरी के कारण इस गांव का नाम टोनहीडबरी पड़ा है, वहां पर एक स्वयंभू शिवलिंग है। इस शिवलिंग के कारण ही इस गांव को छत्तीसगढ़ का उज्जैन भी कहा जाता है। यह शिवलिंग यहां पर राजतंत्र के जमाने से है। गांव वालों की माने तो इस शिवलिंग के कारण यहां पर दो शताब्दी से होलिका दहन न करने की परंपरा है। इस परंपरा को गांव वालों के पुर्वजों ने बनाया था जिसे आज भी सभी ने एकमत से जिंदा रखा है।
2 टिप्पणियाँ:
अनूठी जानकारी.
होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
जल के राख हो , नफरत की होलिका
आल्हाद का प्रहलाद बचे , इस बार होली में !
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