योगेन्द्र जी आए छत्तीसगढ़ पर छाए
हरियाणा के एक कवि हैं योगेन्द्र मौदगिल जी। हम उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं, पर अचानक उनसे कल मुलाकात हुई और एक छोटी सी मुलाकात के बाद हमें मालूम हुआ कि वे एक अच्छे कवि ही नहीं बल्कि एक जिंदादिल इंसान भी हैं। उनकी कविताओं का रस छत्तीसगढ़ के वासियों को पीने का मौका मिला, और सभी उनकी कविता के रंगों में ऐसे डूबे कि पूछिए ही मत। हम तो बस इतना कह सकते हैं कि योगेन्द्र जी आए और छत्तीसगढ़ पर छाए।
कल सुबह की बात है अचानक भाई ललित शर्मा जी का फोन आया। हाल-चाल पूछने के बाद उन्होंने बताया कि हरियाणा के कवि भाई योगेन्द्र मौदगिल आए हैं। योगेन्द्र जी का ब्लाग भी है। ललित जी ने कहा कि वे रायपुर आ रहे हैं उनको समता से वापस जाना है। योगेन्द्र जी को स्टेशन तक छोडऩे की जिम्मेदारी ललित जी ने हमें दे दी। हमने उनसे कहा कि योगेन्द्र जी को अभनपुर से एक बजे भेजे ताकि तब तक हमारा काम भी समाप्त हो जाएगा। इसी बाच हमने भाई अनिल पुसदकर जी को भी बता दिया कि योगेन्द्र जी आए हैं। सुनकर वे भी प्रसन्न हुए और उन्होंने भी वही बात कही जो हम चाहते थे। कल प्रेस क्लब में होली मिलन का कार्यक्रम था। हर साल वहां पर होली में चलती है हंसी की गोली। सो हमने पहले ही सोचा था कि योगेन्द्र जी को भी इस कार्यक्रम में ले जाकर हंसी की गोली चलाने का पूरा मौका दिया जाएगा।
करीब एक बजे हम प्रेस से निकल कर प्रेस क्लब पहुंच गए। करीब डेढ़ बजे अनिल जी ने पूछा कि योगेन्द्र जी कहां हैं। हमने कहा अभी पता करते हैं। ललित जी से उनका नंबर लेकर उनका मोबाइल खटखटाया तो मालूम हुआ कि वे रायपुर आ गए हैं और बूढ़ापारा के पास हैं। हम फौरन उनको लेने चले गए। उनको लेकर प्रेस क्लब आए। तब तक महफिल सज चुकी थी।
अनिल भाई ने योगेन्द्र जी को सीधे मंच पर आमंत्रित किया और सबसे पहले उनको ही कुछ सुनाने के लिए माइक थमाया गया। उन्होंने अपनी चंद कविताओं से रंग जमा दिया। इसके बाद महफिल चलती रही और योगेन्द्र जी को समझ में आ गया कि इस महफिल में क्या सुनाना है, दूसरे दौर में उन्होंने भी होली के सुरूर वाली चंद लाइनें सुनाईं और खूब तालियां पाईं।
प्रेस क्लब की महफिल समाप्त होने के बाद योगेन्द्र जी को अनिल भाई की गाड़ी में हम लोग स्टेशन छोड़कर आए। योगेन्द्र जी के साथ ज्यादा समय तो बिताने का मौका नहीं मिला, लेकिन जितना भी समय मिला उसमें यह जरूर मालूम हुआ कि वे वास्तव में जिंदादिल इंसान हैं। वैसे भी कविता लिखने और बोलने का काम जिंदा दिल इंसान ही कर सकते हैं। हमें सिर्फ इस बात का अफसोस है कि समय कम होने के कारण हमने कभी उनका ब्लाग नहीं देखा है। लेकिन अपने अनिल भाई जरूर उनका ब्लाग देखते हैं और उन्होंने इस बारे में योगेन्द्र जी से चर्चा भी की। हमें यह भी मालूम हुआ कि भाई योगेन्द्र जी भिलाई में एक कवि सम्मेलन में आए थे और वहां पर अपनी कविताओं से सभी को भाए थे। कल एक और चूक यह हो गई कि हम योगेन्द्र जी की कोई तस्वीर नहीं ले सके. ऐसे में जब हमने यह पोस्ट लिखी तो भाई ललित शर्मा से उनकी एक तस्वीर मांगी तो उन्होंने भेज दी जो पेश है।
11 टिप्पणियाँ:
...होली की लख-लख बधाईंया व शुभकामनाएं !!
होली की शुभकामनाएं!
होली की राम-राम
राजकुमार जी,भाभी का हमारा तरफ़ से चरण स्पर्श कर आशीर्वाद ले लेना और हमे खिड़की से भेज देना,
बच्चों को प्यार,
होली की शुभकामनाएं
अच्छा लगा आप सब की योगेन्द्र जी से मुलाकात हुई...
ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
ab tum bhi kavi ho gaye ho, badhai...yah kavipan banaa rahe.aaj ki rapat behad pathneey rahi. shubhkamanaye holi ki...
kavi yogendra ji ki bare mei jankal sukhad anubhav hua.......
आपको सपरिवार होली की ढेरो बधाईयाँ और शुभकामनाएँ
कवि श्री योगेन्द्र मौदगिल जी को हमने भिलाई स्टील प्लांट के सुरक्षा पासवर्ड को हैक कर साथ ले लिये थे.
होली की बधाइयाँ जी बधाइयाँ.
yogendra ji se milkar khushi hui ,aapko ko holi ki badhai bahut bahut .
कवि के साथ बड़ा अत्याचार हुआ!
ट्रेन से उतरते ही सीधा मंच पर चढ़ा दिया !
उनका हाल भी लेना पड़ेगा...कुशल से तो हैं!
होली की बधाई व शुभकामनाएं आपको भी।
आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनायें !
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