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मंगलवार, मार्च 30, 2010

धर्म को तो राजनीति से गंदा न करें

अपने देश के नेता जहां जाते हैं, वहां के माहौल को अपनी गंदी राजनीति से गंदा करने से बाज नहीं आते हैं। अब अपने छत्तीसगढ़ राज्य की भाजपा सरकार ने जब हरिद्वार कुंभ में स्नान करने की योजना बनाई तो इसके लिए विपक्षी पार्टी कांग्रेस के विधायकों को भी इस धार्मिक कार्यक्रम में सहभागी बनाने साथ ले गई। लेकिन यह बात कांग्रेसी नेताओं को रास नहीं आई और उन्होंने अपने विधायकों के पीछे जासूस लगा दिए कि कहीं भाजपा नेता हमारे विधायकों पर डोरे डालने का काम तो नहीं कर रहे हैं।

सच में अगर इस दुनिया में कोई चीज सबसे गंदी है तो वह निश्चित ही राजनीति है। राजनीति से ज्यादा गंदी और कोई चीज हो भी नहीं सकती है। अब अगर राजनीति गंदी है तो इसमें रहने वाले कैसे अच्छे हो सकते हैं। हमें नहीं लगता है कि आज राजनीति में रहने वाले किसी भी इंसान के लिए ऐसा दावा किया जा सकता है कि वह पाक और साफ है।
बहरहाल हम बात करें अपने राज्य छत्तीसगढ़ की, जहां पर एक अच्छे धार्मिक कार्यक्रम के लिए बनाई गई योजना में भी राजनीति करने वालों को साजिश नजर आई। दरअसल अपने राज्य की भाजपा सरकार ने जब अपने सभी मंत्रियों और विधायकों के साथ हरिद्वार कुंभ में जाकर स्नान करने का फैसला किया तो सरकार ने इस यात्रा में विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों को भी शामिल कर लिया ताकि वे भी कुंभ स्नान का लाभ उठा लें। यहां पर भाजपा की सोच तो साफ और अच्छी ही नजर आ रही थी,अब इसके पीछे अगर कोई राजनीति हो तो कहा नहीं जा सकता है, लेकिन किसी धार्मिक कार्यक्रम के लिए बनाई गई योजना पर एक बार तो भरोसा कर ही लेना चाहिए। फिर भाजपा जो कि सत्ता में पूर्ण बहुमत के साथ है उसे इस बात का तो डर है नहीं कि विधायकों के बिदकने से उसकी सत्ता चली जाएगी।

भाजपा की एक साफ-सुधरी नजर आ रही योजना में भी न जाने कांग्रेस को क्या राजनीति नजर आई कि उसने अपने विधायकों को कुंभ स्नान के लिए जाने से तो नहीं रोका, लेकिन इस स्नान के समय और वहां से दिल्ली आने के बाद कांग्रेस विधायकों की सारी गतिविधियों पर जासूसी नजरें रखीं गईं। इसका क्या मतलब निकाला जाए कि वास्तव में राजनीति इतनी गंदी है कि उसे धर्म के काम भी भरोसा नहीं है। वास्तव में यहां पर कांग्रेस को सोचना था और कम से कम धर्म को गंदी राजनीति से अगल रखना था। यहां पर भाजपा की सोच को जरूर सलाम किया जा सकता है जिनसे अपने विपक्षियों को भी कुंभ स्नान का पुन्य लाभ देने का काम किया।

2 टिप्पणियाँ:

Udan Tashtari मंगल मार्च 30, 08:33:00 am 2010  

क्या धर्म और क्या अधर्म..सब वोट का सवाल है बाबा!!

drdhabhai मंगल मार्च 30, 09:09:00 am 2010  

कुंभ स्नान की जगह यदि अजमेर शरीफ पर चादर चढाना होता तो क्या बात थी .....कांग्रंस सिर के बल चलके जाती साहब

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