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सोमवार, मार्च 15, 2010

सावधान... आपके ब्लाग में भी आ सकते हैं भूत-पिशाच

कल रात की बात है हम पीठ में दर्द होने के कारण जल्दी सो गए। रात को मोबाइल बजता रहा, पर क्या करें दर्द के कारण हम उठा नहीं पाए। वैसे हमें इस बात का अंदाज जरूर था कि रात को जरूर हमारे ब्लाग में हंगामा होगा, लेकिन हमने सोचा नहीं था कि इतने ज्यादा नंगे भूत-पिशाच धावा बोल देंगे। सुबह उठकर देखा तो मालूम हुआ कि हमारे ब्लाग में रात भर भूत-पिशाचों का खुला नंगा खेल चलता रहा। ऐसा खेल कभी भी किसी के भी ब्लाग में हो सकता है, इससे सावधान रहने की जरूरत है। हमने अब तक अपने ब्लाग में बेनामी का आप्शन खुला रखा था, लेकिन भूत-पिशाच की नंगाई के बाद कुछ मित्रों की सलाह पर बेनामी पर बेन लगा दिया है। वैसे हम किसी भी तरह के बेन के पक्ष में नहीं रहते हैं, लेकिन भूत-पिशाच से बचने के लिए हम कोई नीबू-मिर्ची अपने कम्प्यूटर में लगाना नहीं चाहते हैं।

हमने कल एक पोस्ट लिखी थी क्या ब्लाग जगत में भी मठाधीशों का राज है। कल रात को जब हम प्रेस से वापस घर आए तो देखा कि कुश जी की एक टिप्पणी आई थी। अब यह टिप्पणी उनकी थी या नहीं इसका दावा हम इसलिए नहीं कर सकते हैं क्योंकि इस टिप्पणी के जवाब में जब हमने टिप्पणी की तो रात को कई नंगे भूत-पिशाच हमारे ब्लाग में तांडव करने आ गए। अब कहते हैं कि भूत-पिशाच ऐसे होते हैं जो किसी का भी रूप ले लेते हैं। ऐसे में ब्लाग जगत के भूत-पिशाचों ने भी हमारे यानी राजकुमार ग्वालानी, समीर लाल, अजय कुमार झा, अखिल कुमार, अनिल पुसदकर, सूर्यकांत गुप्ता, कुश, अरविंद मिश्र और न जाने किन-किन का भेष बदलकर टिपियाने का नंगा खेल खेला।

जब हमारे ब्लाग में रात को यह नंगा खेल चल रहा था तो हमारे कुछ मित्र बहुत परेशान हुए और उन्होंने हमसे संपर्क करने का प्रयास किया, पर हम अपने पीठ के दर्द के कारण आराम कर रहे थे। सुबह को उठे तो देखा कि किस तरह की नंगाई की गई है हमारे ब्लाग में। हमें मालूम नहीं था कि ब्लाग जगत में भी भूत-पिशाचों का इतना बड़ा बसेरा है।
बहरहाल हमने अपने कुछ मित्रों की सलाह पर भूत-पिशाचों द्वारा की गई हैवानियत को अपने ब्लाग से मिटाने का काम कर दिया है। जिनके नाम से ऐसी हैवानियत की गई है, वे तो जरूर परेशान हुए होंगे। हमारे एक जानकार मित्र ने बताया कि ऐसा तांडव तो ब्लाग जगत के भूत-पिशाच यदा-कदा करते रहते हैं इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। वैसे हम कभी परेशान नहीं होते हैं हम जानते हैं कि जहां अच्छाई होती है, वहां पर बुराई होती है, ऐसे बुरे लोगों से हमारा पाला हमेशा पड़ता है, भूत-पिशाचों को ठिकाने लगाना हम जानते हैं। लेकिन हम अपने उन नए साथियों को सावधान करना चाहते हैं जो ब्लाग जगत में नए हैं कि इन भूत-पिशाचों से सावधान रहना अगर आपने अपने घर का दरवाजा खुला रखा तो ये आकर कभी भी नंगाई कर सकते हैं। ऐसे में हमने भी अपने मित्रों की सलाह पर अब अपने घर का दरवाजा पूरा तो नहीं लेकिन किसी भी ऐसे व्यक्ति के लिए जरूर बंद कर दिया है जिसे हम नहीं जानते हैं, यानी अब बेनामी हमारे ब्लाग पर बेन हैं। वैसे हम ऐसा करना नहीं चाहते थे, लेकिन क्या करें एक कहावत है कि नंगों से खुदा डरता है तो फिर हम तो इंसान हैं।

11 टिप्पणियाँ:

Udan Tashtari सोम मार्च 15, 08:46:00 am 2010  

इनका नाच तो हमेशा ही चलता है मगर मॉडरेशन इसे दिखाने से रोके रहता है..वही हमने अपनाया हुआ है तो आजकल हमारे यहाँ नाचना बंद कर दिया है तालियों के आभाव में.

ब्लॉ.ललित शर्मा सोम मार्च 15, 09:02:00 am 2010  

भुत पि्शाच निकट नही आवे।
महावीर जब नाम सुनावे।

जय बजरंग बली।


भुत पिशाच से तो बजरंग बली ही निपटते हैं।

ब्लॉ.ललित शर्मा सोम मार्च 15, 09:04:00 am 2010  

समीर जी का कहना मानिए।
शुक्रिया

भारतीय नागरिक - Indian Citizen सोम मार्च 15, 09:07:00 am 2010  

वैसे खुला भी छोड़ देंगे तो लोगों के रंग ढंग पता तो चलेंगे ही. मेरा मानना यह है कि टाप हन्ड्रेड और टेन से वैसे तो कोई फर्क नहीं पड़ता..
फर्क पड़ता है तो उनके लिये जो सिर्फ रैंकिंग देखकर पढ़ते हैं..
बस!

रवि रतलामी सोम मार्च 15, 10:59:00 am 2010  

इसके बजाए टिप्पणी मॉडरेशन बेहतर विकल्प होगा, क्योंकि लोग फिर छद्म नाम से खाता खोल कर यह काम अंजाम दे सकते हैं, और, वायरस-स्पैमर्स का क्या होगा?
मेरा मानना है कि हर सेंसिबल चिट्ठाकार को टिप्पणी मॉडरेशन का विकल्प चुनना ही चाहिए. यही बात मैंने कुछ दिन पूर्व डॉ. अमर कुमार के चिट्ठे - http://binavajah.amarhindi.com/?p=326 पर कह चुका हूं -

रहा सवाल टिप्पणी मॉडरेशन का, तो हर सेंसिबल चिट्ठाकार को यह लगाना ही चाहिए. कौन जाने किस दिन कोई किसी अन्य की ऐसी तैसी तब कर दे जब आप घोड़े बेच कर सो रहे हों, और जब तक आपको कोई जबरन उठाकर ये न बताए कि भइए, उस खतरनाक टिप्पणी पे डिलीट मारो, तब तक तो नुकसान बहुत हो चुका होगा.

काहे कि हम व हमारे बहुत से पाठक भी बहुत सारे वायग्रा इत्यादि विज्ञापनों व वायरस कड़ियों से ऐसे नुकसान झेल चुके हैं, इसलिए अपना अनुभव बता रहे हैं! और कुछ अनामी जन तो इससे भी बड़े खतरनाक होते हैं!!! अब आप मानें, न मानें आपकी मर्जी!

समयचक्र सोम मार्च 15, 02:53:00 pm 2010  

भाई साब मै तो डर गया ... जय बजरंग बली ...

कृष्ण मुरारी प्रसाद सोम मार्च 15, 03:46:00 pm 2010  

मोडेरेसन सही विकल्प है भी और नहीं भी.
यह इस बात पर निर्भर करता है कि
१) आपके लिखने का उद्देश्य क्या है?
२)आप किस तरह के पाठक वर्ग के लिए लिख रहे हैं?
३)आपके विषय वस्तु क्या हैं?
४)रैंकिग और कमेन्ट की संख्या पर आपका कितना जोर है?
५)आप गुणवत्ता पर कितना जोर देते हैं?
६)विवादस्पद विषय में अनाप सनाप कमेन्ट भी आएंगे.
७)विचार व्यक्त केवल मनुष्य ही करता है, पशु नहीं
८)वाद,विवाद,प्रतिवाद,संवाद....में अंतर समझना होगा...

हाथी चले बाजार...कुत्ता भूंके हजार.....
दूध का दूध..पानी का पानी...

अजित गुप्ता का कोना सोम मार्च 15, 05:27:00 pm 2010  

हा हा हा, टिप्‍पणियों से ही डर गए? अरे महिला बनो, हम तो साक्षात गालियों से, चरित्र-हरण से, गुण्‍डागर्दी से नहीं डरते। पत्रकार होकर डर गए, समझ नहीं आ रहा। शायद सच भी है क्‍योंकि जो डराता है वो जल्‍दी से डर भी जाता है। मैंने वातावरण को हल्‍का करने को लिखा है बुरा मत मानिए।

M VERMA सोम मार्च 15, 07:25:00 pm 2010  

भूत पिशाच निकट नही आवे
माडरेशन जब जलवा दिखावे

शरद कोकास मंगल मार्च 16, 01:51:00 am 2010  

कल पढ़ा तो हमने भी था और यही सोच रहे थे कि यह राजकुमार जैसा गहरा और गम्भीर व्यक्ति नही कर सकता । यह आशंका सही निकली । मोडेरेशन लगा कर सही किया तुमने राजकुमार ।

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