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सोमवार, मार्च 08, 2010

मैदान बनाने फिर केन्द्र से मदद मिलेगी

प्रधानमंत्री की मंजूरी का इंतजार है:पाटिल


केन्द्रीय राज्य खेल मंत्री प्रतीक प्रकाश बापू पाटिल ने कहा कि केन्द्र सरकार से राज्य सरकारों को खेल मैदान बनाने के लिए मिलने वाली ७५ प्रतिशत की मदद के एक बार फिर से मिलने की संभावना है। इसके लिए बस प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मंजूरी मिलने का इंतजार है।

श्री पाटिल ने ये बातें यहां पर चर्चा करते हुए कहीं। उन्होंने बताया कि वे हर राज्य का शनिवार और रविवार को दौर करके यह देखने निकले हैं कि साई द्वारा राज्यों के लिए चलाई जा रही योजनाओं पर कितना काम हो रहा है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ ऐसा चौथा राज्य है जिसके दौरे पर वे आए हैं। इसके पहले वे तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि सभी राज्यों में उनको यही देखने को मिल रहा है कि केन्द्र सरकार की मदद के बिना कई मैदान अधूरे पड़े हैं। उन्होंने बताया कि २००५ तक केन्द्र सरकार राज्य सरकारों को मैदान बनाने के लिए ७५ प्रतिशत राशि देती थी। लेकिन इसके बाद भी यह देखने में आया कि ज्यादातर राज्य २५ प्रतिशत की राशि खर्च नहीं कर रहे थे। ऐसे में इस योजना को २००५ में बंद कर दिया गया। लेकिन पिछले साल दिल्ली में सभी राज्यों के खेल मंत्रालय की बैठक में यह बात सामने आई कि पुरानी योजना को खेलों के विकास के लिए प्रारंभ करना जरूरी है। हमारे केन्द्रीय खेल मंत्रालय ने एक योजना बनाकर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के पास इसका मंजूरी के लिए भेजा है। वहां से मंजूरी मिलते ही इस योजना को फिर प्रारंभ कर दिया जाएगा।

स्कूलों खेलों पर ध्यान देने की जरूरत

केन्द्रीय खेल मंत्री ने कहा कि देश में खेलों के विकास के लिए यह जरूरी है कि स्कूली स्तर से ही इस पर ध्यान दिया जाए। स्कूलों में हालत बहुत ज्यादा खराब है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने देश के हर गांव को खेलों से जोडऩे के लिए पायका योजना प्रारंभ की है। इस योजना से १० साल में देश का हर गांव खेलों से जुड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि खेलों की ज्यादातर प्रतिभाएं गांवों में रहती हैं।


ओलंपिक के लिए दीर्घकालीन प्रशिक्षण जरूरी नहीं

कामनवेल्थ की तरह ही ओलंपिक के लिए भी दीर्घकालीन प्रशिक्षण की योजना बनाए जाने के सवाल पर केन्द्रीय खेल मंत्री ने कहा साई द्वारा देश भर में प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों को अपने विभिन्न योजनाओं के तहत प्रशिक्षण दिया जाता है, ऐसे में मुङो नहीं लगता है कि ओलंंपिक के लिए अलग से किसी दीर्घकालीन योजना की कोई जरुरत है। उन्होंने कहा कि कामनवेल्थ के लिए दीर्घकालीन प्रशिक्षण शिविर इसलिए लगाया गया क्योंकि कामनवेल्थ की मेजबानी भारत कर रहा है। उन्होंने इस बात से बिलकुल इंकार कर दिया कि ओलंपिक के लिए ऐसी किसी दीर्घकालीन योजना की जरुरत है। उन्होंने कहा कि वैसे खिलाडिय़ों को तराशने के लिए हर राज्य का भी दायित्व होता है, हर बात के लिए केन्द्र सरकार की तरफ देखना ठीक नहीं है।


हॉकी की मदद करना उचित नहीं था

हॉकी इंडिया के साथ भारतीय खिलाडिय़ों के विवाद के कारण देश के राष्ट्रीय खेल पर आए संकट के समय केन्द्र सरकार द्वारा किसी भी तरह की मदद न करने को उन्होंने सही ठहराते हुए कहा कि अगर हॉकी की मदद कर दी जाती तो इसके बाद और कई खेल संघ सामने आ जाते। विश्व कप में भारत के खराब प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि यह कहना ठीक नहीं है कि भारत के प्रदर्शन के पीछे विवाद जिम्मेदार है। उन्होंने भारत के प्रदर्शन पर संतोष जताया।


बस्तर में साई सेंटर के लिए समय लगेगा

बस्तर में भी साई सेंटर की मांग पर उन्होंने कहा कि वहां भी सेंटर जरूर खोला जाएगा, लेकिन इसके लिए समय लगेगा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि यह अच्छी बात है कि अगर बस्तर में साई सेंटर खुलने से नक्सली गतिविधियों पर कुछ अंकुश लग सकता है तो इससे अच्छी कोई बात हो ही नहीं सकती है।


खेल संघों के पदाधिकारियों से भी मिले

खेल मंत्री ने प्रदेश के कई खेल संघों के पदाधिकारियों से मुलाकात करके उनसे चर्चा की। उनसे मिलने वालों में वालीबॉल संघ के मो। अकरम खान, रवीन्द्र कुमार, नेटबाल संघ के संजय शर्मा, तीरंदाजी संघ के कैलाश मुरारका, हॉकी संघ की नीता डुमरे के साथ हॉकी से जुड़े परवेज शकीलुद्दीन, फारूख कादिर शामिल हैं।


किरणमयी नायक मिली पाटिल से

राजधानी की महापौर किरणमयी नायक ने केन्द्रीय राज्य खेल मंत्री प्रतीक पाटिल ने मुलाकात की और उनसे यह जानकारी चाही कि क्या केन्द्र सरकार नगर निगम के स्कूलों के लिए भी खेलों में कोई मदद कर सकती है। इसी के साथ उन्होंने श्री पाटिल से पूछा कि क्या ३७वें राष्ट्रीय खेलों के लिए केन्द्र से निगम को कोई बजट मिल सकता है। श्री पाटिल ने उनको निगम के स्कूलों के लिए जहां साई की योजनाओं की जानकारी दी, वहीं उनको बताया कि राष्ट्रीय खेलों के लिए मैदान आदि बनाने के लिए राज्य सरकार को मदद की जाती है।

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