क्या ब्लाग जगत में अच्छे लेखन की कद्र नहीं होती
ब्लाग जगत के बारे में एक बार नहीं कई बार कई ब्लागर मित्रों की एक राय अक्सर सुनने को मिलती है कि ब्लाग जगत में अच्छे लेखन की कद्र नहीं होती है। कभी-कभी हमें भी ऐसा लगता है। हमें इसलिए ऐसा लगता है क्योंकि हमें भी जब कोई पोस्ट लगती है कि यह अच्छी है तो उस पर कोई प्रतिक्रिया ही नहीं आती है, खासकर हमने देखा है कि खेलों की अच्छी पोस्ट की तो यहां पर कद्र होती ही नहीं है। ऐसे में भला कैसे कोई अच्छा लेखन कर सकता है।
ब्लाग जगत में जब हमने कदम रखा था तो हमने भी सोचा था कि यहां पर अच्छा लेखन पढऩे को मिलेगा, इसमें कोई दो मत नहीं है कि अच्छा लिखने वालों की कमी नहीं है, लेकिन इसका क्या किया जाए कि अच्छा पढऩे वालों के साथ उस पर प्रतिक्रिया देने वालों की जरूर कमी है। हम अब तक जितने भी ब्लागरों से मिले हैं, उनमें से ज्यादातर के मन में एक कसक रही है कि यार जब भी कुछ अच्छा लिखो तो उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आती है, दूसरी तरफ कोई बकवास सी पोस्ट या फिर विवादस्पद पोस्ट लिख देता है तो उस पोस्ट में लोग टूट पड़ते हैं। इसका क्या मतलब निकाला जाए। हमें तो लगता है कि अगर अपने ब्लाग जगत में ऐसा ही चलते रहा तो एक दिन अच्छा लेखन बंद हो जाएगा और अच्छा लिखने वाले इससे किनारा कर लेंगे।
हमें भी उस समय बहुत अफसोस होता है जब खेल की कोई अच्छी खबर को हम अच्छा होने के कारण खेलगढ़ के स्थान पर राजतंत्र में पोस्ट करते हैं, हमने जब भी ऐसा किया है राजतंत्र में उस पोस्ट को कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है। इसका क्या मतलब समझा जाए।
इस बारे में हमारे ब्लागर मित्र क्या सोचते हैं जरूर बताएं
16 टिप्पणियाँ:
आप जैसे रोज लिखने वाले लेखक अगर ऐसा सोचेंगे तो दूसरों क्या होगा। एक साधारण बात कह रहा हूँ, गुरूजी..लेखकों की किताबें क्या सभी लेखक पढ़ते हैं, हाँ, वो किताब आम जन द्वारा पढ़ी जाती है, जिसके पास आप तक संपर्क करने में हौंसला नहीं पड़ता। आप तो उनके लिए लिखो। जरूर लिखो। ऐसा सवाल न करें। ब्लॉग़रों के लिए नहीं लिखना, आमजन के लिए लिखें।
भारत कभी भी खेलप्रेमी नहीं रहा। रही सही कसर क्रिकेट के व्यवसायी खिलाड़ियों ने पूरी कर दी। सारे खेलों को खा जाने के बाद भी क्रिकेट फिसड्डी है। आप यह कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि खेलों पर आधारित ब्लॉग पर लोग आएँगे पढ़ेंगे - उन्हें इस्लामी छिछोरों को पढ़ने से फुरसत कब मिलती है !
राजकुमारजी चिंता न करें
बढे चलो ... बढे चलो की तर्ज़ पर
रखिये जारी अपना काम
नाम प्रसिद्ध तो हो चुका
और मिल चुका भी है आपको
वांछित मुकाम
यह ब्लॉग की दुनिया भी बड़ी अजीब है
कहना अपने दिल की बात, वाजीब है
लेकिन फिक्र न करें, पढेंगे सभी, और
करेंगे अच्छे लेखन की कद्र
फिर करेंगे आप महशूस, अपने आप पर फक्र
राजकुमार जी
पोस्ट पर प्रतिक्रिया सिर्फ ब्लोगर ही देते है , पाठक बहुत कम या कभी कभी कभार टिप्पणी करते है जबकि आपके लिखे की असली कद्र पाठक ही करते है एक ब्लोगर कितने ब्लॉग पढ़ लेगा ?
ब्लॉग वाणी या चिट्ठाजगत से ब्लोग्स पर आने वाले ज्यादातर ब्लोगर होते है जो अक्सर शीर्षक या विषय देखकर आते है और टिप्पणी रूपी रस्म निभाते हुए चले जाते है पर जिस दिन हम पोस्ट नहीं लिखते पाठक तो उस दिन भी आते है और वे आपका लिखा पढ़ते है मतलब आपके लिखे की कद्र करते है पर कभी प्रतिक्रिया नहीं लिखते |
आप तो लिखते रहे आपके लिखे की कद्र करने के लिए गूगल बाबा अपने आप पाठक भेजता रहेगा
राज भाई इन सब बातों की चिंता मत कीजीए ...सब जानते हैं कि आप क्या लिख रहे हैं ..सबसे बडी बात कि आप खुद जानते समझते हैं कि आपका विषय और लेखन मौलिक है ...और अछूता भी ..रही बात सार्थक लेखन /सार्थक ब्लोग्स की ..तो इस दिशा में भी प्रयास चल रहा है ...एक ऐसे ऐग्रीगेटर की परिकल्पना ..जिसमें शामिल ब्लोग्स ..हिंदी ब्लोगजगत और और खुद ब्लोग्गर के लिए भी सम्मान की बात होगी ...
अजय कुमार झा
मेरे हिसाब से लिखना अधिक महत्वपूर्ण है. आप अच्छा लिखते हैं.. और लोग पढ़ते भी हैं. खूब पढ़ते हैं.
लेखन से तो आप हम पाठकों को हमेशा से ही काफी ज्ञानी-ध्यानी लगते हैं इसलिये आपने वो ज़रुर पढ़ा होगा, कर्म किये जा फल की इच्छा मत कर। तो आप तो हमारे जैसे पाठकों के लिये बस लिखते रहिये। मैंने देखा है आप ज़रा सी बात से परेशान हो जाते हैं, बेवजह तनाव मत लीजिये। कर्म करते रहिये। हम लोगों को तो आपकी गाड़ी के बारे में भी जानना अच्छा लगता है और आपके बेटे के बारे में भी पढ़ना। लेकिन हर बार टिप्पणी ना करें तो इसका मतलब ये नहीं हो जाता है कि हमको पसंद नहीं आता। आप तो लिक्खाड़ हैं रोज़ 3-4 पोस्ट डाल देते हैं (मेरे ख्याल से ये हिंदी ब्लॉग्स में रिकॉर्ड है), सब पर कमेंट्स की उम्मीद करेंगे तो अपनी ही सेहत खराब करेंगे। आप रोज़ जितना लिखते हैं उतना तो औसत पाठक पढ़ तक नहीं पाता है। इसलिये सबसे उतनी उम्मीद मत कीजिये जितनी आपकी क्षमता है। बस लिखते रहिये, बस लिखते रहिये। हम हैं ना।
आप जब देखो तब ऐसे ही फालतू के टॉपिक पर लिखते रहते हो. और कोई काम नहीं है क्या आपको?
बेहतर पढने और उअससे भी बेहतर लिखने पर ध्यान दो. आपसे पहले भी पच्चीस लोग इस विषय पर पोस्ट लिख चुके हैं.
ऐसा सोचिये मत राज कुमार जी , जी भरके लिखिए ...खूब लिखिए ...टिपण्णी लेखन की प्रमाणिकता का पैमाना नहीं होता ...मैंने तो इस ब्लॉग पर कभी टिपण्णी नहीं की मगर मुझे आपका लेखन अच्छा लगता है ...!
ब्लॉग जगत में सामाजिक सांस्कृतिक महत्व की बातें करने का कोई अर्थ नहीं है। ऐसे ब्लॉग 2-4 बार बमुश्किल खुलते हैं और टिप्पणियां तो आतीं ही नहीं हैं। इसके विरुद्ध फालतू बातों पर 30-30, 40-40 टिप्पणियां आती हैं और ब्लॉग 100-150 बार खुलते है। इसे चंद फालतू लोगों ने हड़प कर रखा हुआ है।
aapne itna likha hai. mere jaison ke liye to aap prerna shrot hain. Please aage se esi bhawane na rakhen varna hamre jaise logon ka kya hoga?
लिखते रहो लिखते रहो,
पढ़ने वाले पढते रहेंगे।
पाठक बता कर नही आते
ये है ब्लागिंग का ज्ञान
जोहार ले
कर्म करो, फल की चिन्ता मत करो!
ब्लोग लेखन तो शाश्वत है, एक दिन अवश्य ही आपके लेखन की कद्र होगी।
मैं """जी.के"" जी के विचारो से सहमत हूँ ..... लगे रहिये अपने मिसन में मंजिल जरुर मिलेगी. शुभकामनाओ के साथ ....
अपनी तरफ से बेहतर और बेहतर लिखते रहें, बस!! बाकी जिसको पढ़ना होगा पढ़ ही लेगा.
मेरी शुभकामनाएँ.
आपसे सहमत.अब मैंने कुछ अच्छे ब्लॉग का लिंक अपने हमज़बान में देना शुरू किया है.मेरा अनुभव है की ब्लोगर फ़िज़ूल की पोस्ट पर फ़िज़ूल के कमेन्ट ज़रूर करते हैं.और तो और कभी अच्छी विचारवान पोस्ट को ये रूतबा भी नहीं मिल पाता कि पहली लिस्ट में आ जाए.
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