महंगाई से मंत्रियों का भी निकला पसीना
इस बार की महंगाई ने मंत्रियों का भी पसीना निकाल दिया है। महंगाई के कारण कम से कम छत्तीसगढ़ के मंत्रियों का जरूर पसीना छूटा है। अब आप सोच रहे होंगे कि भला मंत्रियों का महंगाई से पसीना छूटे यह कैसे संभव है, लेकिन ऐसा संभव हुआ है। भले इसके पीछे कारण और कुछ है, लेकिन अपने मंत्रियों का पसीना तो छूट ही गया है।
चलिए हम अब आपको बता दी देते हैं कि महंगाई के कारण मंत्रियों का पसीना कैसे छूटा है। यह बात तय है कि महंगाई का असर कभी मंत्रियों और अमीरों पर नहीं पड़ता है और इनका पसीना कभी नहीं निकल सकता है। लेकिन छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने अपने विधायकों के लिए विधानसभा सत्र के पहले दिन जिस तरह से सायकल पर विधानसभा जाने का फरमान जारी किया था और सभी मंत्री और विधायकों को एसी कारों की बजाए सायकलों से विधानसभा तक का करीब 12 किलो मीटर का सफर तय करना पड़ा तो यह बात स्वाभाविक है कि इसमें पसीना तो छूटेगा ही। सो कई मंत्री जब बमुश्किल सायकलों से विधानसभा परिसर पहुंचे तो सभी पसीने से तर-बतर थे।
भाजपा का विधानसभा तक सायकल से जाना भले एक नौटंकी से ज्यादा कुछ नहीं था, लेकिन इसमें एक ही बात अच्छी रही कि इसी बहाने कम से कम मंत्रियों का पसीना तो छूटा। वरना अपने देश में कभी ऐसा मौका आता ही नहीं है कि अपने मंत्री मेहनत करें और उनका पसीना छूटे। अगर मंत्रियों का भी रोज गरीबों की तरह से पसीना छूटता तो उनको समझ आता कि पसीने की क्या कीमत होती है। लेकिन इसका क्या किया जाए कि मंत्री तो हमेशा एसी कारों में चलते हैं और एसी कमरों में रहते हैं, ऐसे में वे क्या जाने कि पसीने की क्या कीमत होती है। भाजपा इस बात के लिए जरूर साधुवाद की पात्र है कि उसने अपने मंत्रियों का पसीना निकाल दिया है। काश हर माह ही सही ऐसा कुछ होता जिससे मंत्रियों को भी पसीना बहाना पड़ता तो उनको कुछ तो समझ में आता कि पसीना बहाने से क्या होता है।
बहरहाल भाजपा के मंत्रियों और विधायकों की सायकल यात्रा को उम्मीद के मुताबिक विपक्षी पार्टी ने भी एक नौटंकी ही करार दिया। ऐसा तो होना ही था। विधायकों की सायकल यात्रा के कारण जहां पैसों की खूब बर्बादी हुई, वहीं आम जनता भी इस सायकल यात्रा के काफिले के कारण भारी परेशान रही। अब सोचने वाली बात यह है कि सरकार की सायकल यात्रा से किसका भला हुआ है। क्या उनकी इस यात्रा के केन्द्र सरकार कोई सबक लेगी और महंगाई पर अंकुश लगेगा यह सोचने वाली बात है। वास्तविकता तो यही है कि न तो केन्द्र सरकार को और न ही किसी भी राज्य सरकार को गरीबों और महंगाई की चिंता है, चिंतित होने का दिखावा जरूर सब करते हैं।
3 टिप्पणियाँ:
....कभी-कभी ऎसा भी होता है कि "जो व्यक्ति" समस्या पैदा करता है वही समस्या के विरोध मे ज्यादा "चिल्लाता" भी है!!!
.... कई बार मंहगाई पर केन्द्र व राज्य सरकारें एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रखतीं हैं पर मंहगाई की रोकथाम की दिशा में प्रयास "शून्य" ही होते हैं!!
.... आपने सच लिखा - "...भाजपा का विधानसभा तक सायकल से जाना भले एक नौटंकी से ज्यादा कुछ नहीं था ......."
अच्छे अच्छों को पसीना आ लिया.
कहीं पसीना दिखाने के लिये उपर पानी तो नही छिडका था वरना इन लोगों की चमडी ऐसी है कि इन पर किसी बात का असर कम ही होता है। धन्यवाद्
एक टिप्पणी भेजें