विवादित खेल संघ मान्यता सूची में नहीं
राष्ट्रीय स्तर पर विवादित खेल संघों के साथ पंजीयन न करवाने वाले खेल संघों को केन्द्रीय खेल मंत्रालय की सूची से बाहर रखा गया है। ऐसे संघों में प्रमुख रूप से कराते का नाम है जिसका पिछले पांच साल से विवाद चल रहा है। प्रदेश का खेल विभाग ऐसे संघों की मान्यता समाप्त करने के बारे में लिखित शिकायत होने पर ही कार्रवाई की बात कहता है।
राष्ट्रीय पर कई खेल संघों के दो संघ होने के कारण विवाद की स्थिति बनने पर ऐसे संघों की मान्यता को केन्द्रीय खेल मंत्रालय ने समाप्त कर दिया है। खेल मंत्रालय की वेबसाइड में ऐसे संघों के पदाधिकारियों का नाम नहीं है और उनका स्थान खाली छोड़ दिया गया है। कराते संघ में सबसे ज्यादा लंबे समय से विवाद चल रहा है। कराते के साथ जिन अन्य खेलों में पदाधिकारियों का नाम खाली है, उनमें एसजीएफआई स्कूल फेडरेशन आॅफ इंडिया का भी नाम है। स्कूल फेडरेशन के भी राष्ट्रीय स्तर पर काफी समय से दो संघ काम कर रहे हैं। अन्य खेलों में शरीर सौष्ठव, ताइक्वांडो के नाम हैं।
केन्द्रीय खेल मंत्रालय की वेबसाइड से संघों के नामों से पदाधिकारियों के नाम न होने के बारे में खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि निश्चित ही कुछ संघों में विवाद के कारण जहां नाम नहीं हैं, वहीं मान्यता संबंधी जानकारी न देने वाले संघों के पदाधिकारियों के नाम भी नहीं रहते हैं। उन्होंने बताया कि पहले तीन साल के लिए मान्यता मिलती थी, लेकिन अब हर साल मान्यता का नवीनकरण कराना पड़ता है।
प्रदेश में विवादित संघों की मान्यता समाप्त करने के सवाल पर वे कहते हैं कि विभाग के पास कहीं से लिखित में शिकायत आती है और कोई जानकारी दी जाती है, तभी कोई कार्रवाई संभव है।
राष्ट्रीय पर कई खेल संघों के दो संघ होने के कारण विवाद की स्थिति बनने पर ऐसे संघों की मान्यता को केन्द्रीय खेल मंत्रालय ने समाप्त कर दिया है। खेल मंत्रालय की वेबसाइड में ऐसे संघों के पदाधिकारियों का नाम नहीं है और उनका स्थान खाली छोड़ दिया गया है। कराते संघ में सबसे ज्यादा लंबे समय से विवाद चल रहा है। कराते के साथ जिन अन्य खेलों में पदाधिकारियों का नाम खाली है, उनमें एसजीएफआई स्कूल फेडरेशन आॅफ इंडिया का भी नाम है। स्कूल फेडरेशन के भी राष्ट्रीय स्तर पर काफी समय से दो संघ काम कर रहे हैं। अन्य खेलों में शरीर सौष्ठव, ताइक्वांडो के नाम हैं।
केन्द्रीय खेल मंत्रालय की वेबसाइड से संघों के नामों से पदाधिकारियों के नाम न होने के बारे में खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि निश्चित ही कुछ संघों में विवाद के कारण जहां नाम नहीं हैं, वहीं मान्यता संबंधी जानकारी न देने वाले संघों के पदाधिकारियों के नाम भी नहीं रहते हैं। उन्होंने बताया कि पहले तीन साल के लिए मान्यता मिलती थी, लेकिन अब हर साल मान्यता का नवीनकरण कराना पड़ता है।
प्रदेश में विवादित संघों की मान्यता समाप्त करने के सवाल पर वे कहते हैं कि विभाग के पास कहीं से लिखित में शिकायत आती है और कोई जानकारी दी जाती है, तभी कोई कार्रवाई संभव है।
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