खलती है एस्ट्रो टर्फ की कमी
भारतीय टीम में चुनी गई हॉकी खिलाड़ी रेणुका राजपूत से बातचीत
भारतीय जूनियर हॉकी टीम में चुनी गर्इं राजनांदगांव की रेणुका राजपूत का कहना है कि अपने राज्य में एस्ट्रो टर्फ की कमी खलती है। अगर राज्य बनने के बाद जल्द ही एस्ट्रो टर्फ की सुविधा मिल जाती तो आज प्रदेश की कई खिलाड़ी भारतीय टीम में होतीं। मुझे इसलिए टीम में आने का मौका मिल गया क्योंकि मैं भोपाल के साई सेंटर में हूं और नियमित रूप से एस्ट्रो टर्फ में अभ्यास करने का मौका मिलता है।
बैंकाक में 16 से 25 सितंबर तक होने वाली अंडर 18 की जूनियर एशियन चैंपियनशिप के लिए चुनी गई रेणुका राजपूत कहती हैं कि एक तो मुझे एस्ट्रो टर्फ में खेलने फायदा मिला, दूसरा मैंने उस दिन अपना लक्ष्य भारतीय टीम में स्थान बनाना तय कर लिया था जब राजधानी रायपुर में दैनिक हरिभूमि ने भारतीय टीम को बुलाकर एक मैत्री कराया था। इस मैच में मुझे भी खेलने का मौका मिला था। भारतीय टीम की खिलाड़ियों के साथ खेलने के कारण मेरा उत्साह बढ़ा था और मैंने तय कर लिया था कि मुझे भी भारतीय टीम में स्थान बनाना है। मुझे भारतीय टीम तक पहुंचने का रास्ता उस समय मिल गया जब मेरा चयन भोपाल के साई सेंटर के लिए हो गया। साई सेंटर में जिस तरह की सुविधाएं हैं, उससे कोई भी खिलाड़ी आसानी से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सकता है, लेकिन इसके लिए खिलाड़ी में लगन होनी चाहिए, साथ ही मेहनत भी जरूरी है।
रेणुका ने बताया कि उनके साथ दुर्ग की एक और खिलाड़ी बलविंदर कौर मेहरा का भी चयन भारतीय टीम में हुआ। अपने चयन होने के बारे में वह बताती हैं हमने छत्तीसगढ़ की टीम से खेलते हुए सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में जो प्रदर्शन किया था, उसी के तोहफे के रूप में हमारा चयन जूनियर भारतीय टीम में किया गया है। वह कहती हैं कि बैंकाक की चैंपियनशिप के लिए हम कोई दावा तो नहीं कर सकते हैं, लेकिन जिस तरह से भारतीय पुरुष टीम से एशियाई चैंपियनशिप अपने नाम की है, हमारी जूनियर टीम भी ऐसा प्रयास करेगी। रेणुका कहती हैं कि राजनांदगांव में भी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने एस्ट्रो टर्फ लगाने की घोषणा की है, लेकिन वहां भी अभी टर्फ नहीं लगा है। अपने राज्य में दस साल में एक भी टर्फ न होने के कारण खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने में परेशानी हो रही है, जिस दिन राज्य में एस्ट्रो टर्फ लग जाएंगे उस दिन से राज्य के खिलाड़ियों के सुनहरे दिन प्रारंभ हो जाएंगे।
भारतीय जूनियर हॉकी टीम में चुनी गर्इं राजनांदगांव की रेणुका राजपूत का कहना है कि अपने राज्य में एस्ट्रो टर्फ की कमी खलती है। अगर राज्य बनने के बाद जल्द ही एस्ट्रो टर्फ की सुविधा मिल जाती तो आज प्रदेश की कई खिलाड़ी भारतीय टीम में होतीं। मुझे इसलिए टीम में आने का मौका मिल गया क्योंकि मैं भोपाल के साई सेंटर में हूं और नियमित रूप से एस्ट्रो टर्फ में अभ्यास करने का मौका मिलता है।
बैंकाक में 16 से 25 सितंबर तक होने वाली अंडर 18 की जूनियर एशियन चैंपियनशिप के लिए चुनी गई रेणुका राजपूत कहती हैं कि एक तो मुझे एस्ट्रो टर्फ में खेलने फायदा मिला, दूसरा मैंने उस दिन अपना लक्ष्य भारतीय टीम में स्थान बनाना तय कर लिया था जब राजधानी रायपुर में दैनिक हरिभूमि ने भारतीय टीम को बुलाकर एक मैत्री कराया था। इस मैच में मुझे भी खेलने का मौका मिला था। भारतीय टीम की खिलाड़ियों के साथ खेलने के कारण मेरा उत्साह बढ़ा था और मैंने तय कर लिया था कि मुझे भी भारतीय टीम में स्थान बनाना है। मुझे भारतीय टीम तक पहुंचने का रास्ता उस समय मिल गया जब मेरा चयन भोपाल के साई सेंटर के लिए हो गया। साई सेंटर में जिस तरह की सुविधाएं हैं, उससे कोई भी खिलाड़ी आसानी से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सकता है, लेकिन इसके लिए खिलाड़ी में लगन होनी चाहिए, साथ ही मेहनत भी जरूरी है।
रेणुका ने बताया कि उनके साथ दुर्ग की एक और खिलाड़ी बलविंदर कौर मेहरा का भी चयन भारतीय टीम में हुआ। अपने चयन होने के बारे में वह बताती हैं हमने छत्तीसगढ़ की टीम से खेलते हुए सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में जो प्रदर्शन किया था, उसी के तोहफे के रूप में हमारा चयन जूनियर भारतीय टीम में किया गया है। वह कहती हैं कि बैंकाक की चैंपियनशिप के लिए हम कोई दावा तो नहीं कर सकते हैं, लेकिन जिस तरह से भारतीय पुरुष टीम से एशियाई चैंपियनशिप अपने नाम की है, हमारी जूनियर टीम भी ऐसा प्रयास करेगी। रेणुका कहती हैं कि राजनांदगांव में भी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने एस्ट्रो टर्फ लगाने की घोषणा की है, लेकिन वहां भी अभी टर्फ नहीं लगा है। अपने राज्य में दस साल में एक भी टर्फ न होने के कारण खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने में परेशानी हो रही है, जिस दिन राज्य में एस्ट्रो टर्फ लग जाएंगे उस दिन से राज्य के खिलाड़ियों के सुनहरे दिन प्रारंभ हो जाएंगे।
2 टिप्पणियाँ:
bahut khoobsoorat post,
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें .
क्रिकेट होता तो कब का पैसा मिल जाता।
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