जिला अकादमियों की पहले से होगा खेलों का विकास
हंगरी से फुटबॉल का विशेष प्रशिक्षण लेकर आर्इं राजधानी की एनआईएस कोच सरिता कुजूर का मानना है कि फुटबॉल सहित हर खेल में जिला स्तर से अकादमियों की पहल होने से ही राज्य में खेलों का विकास होगा। जिला अकादमियों होने से ही राज्य अकादमियों को प्रतिस्पर्धा मिलेगी और छत्तीसगढ़ में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों के लिए अच्छे खिलाड़ी तैयार हो सकेंगे। विदेशों में तो क्लब कल्चर है, लेकिन अपने राज्य में यह संभव नहीं है, इसलिए क्लब कल्चर के स्थान पर अकादमी कल्चर का विकास करने से खेलों का विकास संभव है। प्रस्तुत है उनसे हुई बात-चीत के अंश।
0 हंगरी में क्या सीखने को मिला?
00 हंगरी में कई खेलों के प्रशिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण के लिए साई ने भेजा था। वहां पर प्रशिक्षण का जो स्तर है उसकी कल्पना भी हम लोग नहीं कर सकते हैं।
0 किस तरह का प्रशिक्षण दिया जाता?
00 हंगरी ही नहीं हर देश में एक-एक खिलाड़ी पर मेहनत की जाती है। खिलाड़ियों को वहां इतना ज्यादा महत्व मिलता है जिसके बारे में भारत में हम सोच भी नहीं सकते हैं। हर खिलाड़ी के लिए अलग प्रशिक्षक होते हैं। खिलाड़ियों को पेशेवर तरीके से तैयार किया जाता है।
0 खिलाड़ियों को किस तरह से महत्व मिलता है?
00 हंगरी की ही बात करें तो वहां पर फुटबॉल खिलाड़ियों को तीन स्तरों में बांटा गया है। लेबल वन के खिलाड़ियों को जो सुविधाएं मिलती हैं, उसको देखकर तो मैं दंग रह गई थी। वहां पर लेबल वन के खिलाड़ियों की एक टीम जब एक स्पर्धा जीतकर आई तो उनके आगे-पीछे उसी तरह से लाल-पीली बत्ती वाली गाड़ियों चल रही थीं जैसे हमारे यहां मंत्रियों के आगे-पीछे चलती हैं। पहले तो मैंने समझा कि कोई मंत्री आया होगा, जब बाद में पता चला कि यह तो फुटबॉल टीम के खिलाड़ी हैं तो मैं हैरान रह गई। लेबल वन खिलाड़ियों को सरकार हर तरह की सुविधा देती है। कुछ इसी तरह की सुविधाएं लेबल टू के खिलाड़ियों को भी मिलती हैं। लेबल थ्री के खिलाड़ियों को कम सुविधाएं हैं, लेकिन इनकी सुविधाएं हमारे यहां पहले दर्ज के खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधाओं से ज्यादा हैं।
0 लेबल थ्री वाले खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के बारे में बताएं?
00 इन खिलाड़ियों को मिलने वाला प्रशिक्षण राष्ट्रीय स्तर का होता है। इस लेबल के खिलाड़ियों को भी अपने भविष्य के बारे में नहीं सोचना पड़ता है।
0 अपने राज्य में क्या होना चाहिए?
00 अपने राज्य में बिना प्रशासन की मदद के कुछ नहीं हो सकता है। जब मैं हंगरी से लौटी थी तो बहुत उत्साहित थी कि कम से कम अपने राज्य में बालिका खिलाड़ियों का स्तर सुधारने की दिशा में काम करूंगी। मैं काम करना चाहती हूं, लेकिन बिना प्रशासन की मदद के कुछ संभव नहीं है।
0 खिलाड़ियों और खेल का स्तर सुधारने के लिए क्या होना चाहिए?
00 जहां तक मैं सोचती हूं कि राज्य में फुटबॉल सहित हर खेल में पूरे राज्य में अकादमी कल्चर की नींव डालनी होगी। अकादमी की बात मैं इसलिए कर रही हूं क्योंकि मैं जानती हूं कि अपने राज्य में विदेशों की तरह क्लब कल्चर संभव नहीं है।
0 किस स्तर से अकादमी होनी चाहिए?
00 जिला स्तर से। जिला स्तर की बात मैं इसलिए कर रही हूं क्योंकि जिला स्तर पर अकादमी होने से ही राज्य अकादमी को प्रतिस्पर्धा मिल सकेगी। पूरे 18 जिलों में संभव न हो तो जिस खेल के खिलाड़ी जहां ज्यादा हों उन जिलों में जिला अकादमी बनने के साथ राजधानी में ज्यादा से ज्यादा खेलों की अकादमी बनानी चाहिए।
0 अकादमियों से क्या फायदा मिलेगा?
00 अकादमियां होने से ही खेलों का विकास तेजी से होगा। आज अगर हमारा पड़ोसी राज्य मप्र राष्ट्रीय खेलों में 100 पदकों के पार पहुंचा है तो उसके पीछे अकादमियां ही हैं। अपने राज्य में 37वें राष्ट्रीय खेल होने हैं इसलिए बिना अकादमियों के हम पदक तालिका में शीर्ष पर नहीं पहुंच सकते हैं।
0 राष्ट्रीय खेलों में सफलता के लिए और क्या जरूरी है?
00 राष्ट्रीय खेलों में सफलता के लिए अभी से तैयारी करनी होगी। हर खेल के लिए संभावितों खिलाड़ियों का चयन करके उनको तैयार करना होगा। कुछ माह पहले टीमें बनाने से सफलता मिलने वाली नहीं है।
0 अपने खेल के बारे में क्या संभावना दिखाती है राष्ट्रीय खेलों में?
00 अगर अभी से टीमें तैयार करके उनको राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षकों से लगातार प्रशिक्षण दिलाया जाएगा तो जरूर फुटबॉल में पदक मिल सकता है। महिला वर्ग में ज्यादा संभावना दिखाती है, क्योंकि अभी जूनियर वर्ग में बहुत अच्छी खिलाड़ी हैं, यहीं सीनियर वर्ग में पहुंच कर पदक दिलाने का काम करेंगी। 2003 से मैं पेशेवर तरीके से खिलाड़ी तैयार करने का काम कर रही हूं। मैंने अब तक 30 राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी तैयार करने का काम किया है। दो खिलाड़ी सुप्रिया कुकरेती और निकिता स्विसपन्ना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेली हैं। सात खिलाड़ी भारतीय टीम के प्रशिक्षण शिविरों में गर्इं है। इन खिलाड़ियों को अगर अच्छा प्रशिक्षण मिले तो राज्य के लिए राष्ट्रीय खेलों में पदक पक्का है।
0 हंगरी में क्या सीखने को मिला?
00 हंगरी में कई खेलों के प्रशिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण के लिए साई ने भेजा था। वहां पर प्रशिक्षण का जो स्तर है उसकी कल्पना भी हम लोग नहीं कर सकते हैं।
0 किस तरह का प्रशिक्षण दिया जाता?
00 हंगरी ही नहीं हर देश में एक-एक खिलाड़ी पर मेहनत की जाती है। खिलाड़ियों को वहां इतना ज्यादा महत्व मिलता है जिसके बारे में भारत में हम सोच भी नहीं सकते हैं। हर खिलाड़ी के लिए अलग प्रशिक्षक होते हैं। खिलाड़ियों को पेशेवर तरीके से तैयार किया जाता है।
0 खिलाड़ियों को किस तरह से महत्व मिलता है?
00 हंगरी की ही बात करें तो वहां पर फुटबॉल खिलाड़ियों को तीन स्तरों में बांटा गया है। लेबल वन के खिलाड़ियों को जो सुविधाएं मिलती हैं, उसको देखकर तो मैं दंग रह गई थी। वहां पर लेबल वन के खिलाड़ियों की एक टीम जब एक स्पर्धा जीतकर आई तो उनके आगे-पीछे उसी तरह से लाल-पीली बत्ती वाली गाड़ियों चल रही थीं जैसे हमारे यहां मंत्रियों के आगे-पीछे चलती हैं। पहले तो मैंने समझा कि कोई मंत्री आया होगा, जब बाद में पता चला कि यह तो फुटबॉल टीम के खिलाड़ी हैं तो मैं हैरान रह गई। लेबल वन खिलाड़ियों को सरकार हर तरह की सुविधा देती है। कुछ इसी तरह की सुविधाएं लेबल टू के खिलाड़ियों को भी मिलती हैं। लेबल थ्री के खिलाड़ियों को कम सुविधाएं हैं, लेकिन इनकी सुविधाएं हमारे यहां पहले दर्ज के खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधाओं से ज्यादा हैं।
0 लेबल थ्री वाले खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के बारे में बताएं?
00 इन खिलाड़ियों को मिलने वाला प्रशिक्षण राष्ट्रीय स्तर का होता है। इस लेबल के खिलाड़ियों को भी अपने भविष्य के बारे में नहीं सोचना पड़ता है।
0 अपने राज्य में क्या होना चाहिए?
00 अपने राज्य में बिना प्रशासन की मदद के कुछ नहीं हो सकता है। जब मैं हंगरी से लौटी थी तो बहुत उत्साहित थी कि कम से कम अपने राज्य में बालिका खिलाड़ियों का स्तर सुधारने की दिशा में काम करूंगी। मैं काम करना चाहती हूं, लेकिन बिना प्रशासन की मदद के कुछ संभव नहीं है।
0 खिलाड़ियों और खेल का स्तर सुधारने के लिए क्या होना चाहिए?
00 जहां तक मैं सोचती हूं कि राज्य में फुटबॉल सहित हर खेल में पूरे राज्य में अकादमी कल्चर की नींव डालनी होगी। अकादमी की बात मैं इसलिए कर रही हूं क्योंकि मैं जानती हूं कि अपने राज्य में विदेशों की तरह क्लब कल्चर संभव नहीं है।
0 किस स्तर से अकादमी होनी चाहिए?
00 जिला स्तर से। जिला स्तर की बात मैं इसलिए कर रही हूं क्योंकि जिला स्तर पर अकादमी होने से ही राज्य अकादमी को प्रतिस्पर्धा मिल सकेगी। पूरे 18 जिलों में संभव न हो तो जिस खेल के खिलाड़ी जहां ज्यादा हों उन जिलों में जिला अकादमी बनने के साथ राजधानी में ज्यादा से ज्यादा खेलों की अकादमी बनानी चाहिए।
0 अकादमियों से क्या फायदा मिलेगा?
00 अकादमियां होने से ही खेलों का विकास तेजी से होगा। आज अगर हमारा पड़ोसी राज्य मप्र राष्ट्रीय खेलों में 100 पदकों के पार पहुंचा है तो उसके पीछे अकादमियां ही हैं। अपने राज्य में 37वें राष्ट्रीय खेल होने हैं इसलिए बिना अकादमियों के हम पदक तालिका में शीर्ष पर नहीं पहुंच सकते हैं।
0 राष्ट्रीय खेलों में सफलता के लिए और क्या जरूरी है?
00 राष्ट्रीय खेलों में सफलता के लिए अभी से तैयारी करनी होगी। हर खेल के लिए संभावितों खिलाड़ियों का चयन करके उनको तैयार करना होगा। कुछ माह पहले टीमें बनाने से सफलता मिलने वाली नहीं है।
0 अपने खेल के बारे में क्या संभावना दिखाती है राष्ट्रीय खेलों में?
00 अगर अभी से टीमें तैयार करके उनको राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षकों से लगातार प्रशिक्षण दिलाया जाएगा तो जरूर फुटबॉल में पदक मिल सकता है। महिला वर्ग में ज्यादा संभावना दिखाती है, क्योंकि अभी जूनियर वर्ग में बहुत अच्छी खिलाड़ी हैं, यहीं सीनियर वर्ग में पहुंच कर पदक दिलाने का काम करेंगी। 2003 से मैं पेशेवर तरीके से खिलाड़ी तैयार करने का काम कर रही हूं। मैंने अब तक 30 राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी तैयार करने का काम किया है। दो खिलाड़ी सुप्रिया कुकरेती और निकिता स्विसपन्ना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेली हैं। सात खिलाड़ी भारतीय टीम के प्रशिक्षण शिविरों में गर्इं है। इन खिलाड़ियों को अगर अच्छा प्रशिक्षण मिले तो राज्य के लिए राष्ट्रीय खेलों में पदक पक्का है।
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