बनेगी पदकवीर तैयार करने की योजना
छत्तीसगढ़ में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों में राज्य को ज्यादा पदक दिलाने के लिए पदकवीर तैयार करने की योजना बनेगी। इस बात का फैसला खेलों संघों के साथ उद्योगों की बैठक में लिया गया।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की पहल पर खेल संघों को उद्योगों द्वारा गोद लिए जाने के बाद खेल संघों और उद्योगों की पहली बैठक का आयोजन खेल विभाग ने नए विश्राम गृह में किया। उद्योग सचिव दिनेश श्रीवास्तव की अध्यक्षता और खेल सचिव सुब्रत साहू एवं खेल संचालक जीपी सिंह की उपस्थित में हुई इस बैठक में तय किया गया कि मुख्यमंत्री द्वारा उद्योगों और खेल संघों को जोड़ने के पीछे पहला मकसद छत्तीसगढ़ में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेल हैं। इन खेलों में राज्य को पदक तालिका में शीर्ष में पहुंचाना है। ऐसे में उद्योगों के माध्यम से खेल संघों को मदद दिलाकर पदकवीर खिलाड़ी तैयार करने हैं।
उद्योग सचिव दिनेश श्रीवास्तव ने कहा कि सबसे पहले खेल संघ मई के अंतिम सप्ताह तक अपनी कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर उद्योगों के एक प्रतिनिधि को संघ में उपाध्यक्ष बनाने का काम करें। खेल सचिव सुब्रत साहू ने कहा कि इनमें कोई दो मत नहीं है कि निजी क्षेत्र को जब किसी के साथ जोड़ा जाता है तो उसका विकास तेजी से होता है, ऐसा ही अब खेलों के साथ होगा।
खेल संचालक जीपी सिंह ने खेल संघों से उद्योगों के साथ मिलकर पांच साल की योजना बनाने की बात कहीं। उन्होंने साफ कहा कि हमारा मकसद राज्य के लिए पदकवीर तैयार करना है। ज्यादा से ज्यादा खर्च खिलाड़ियों को तैयार करने पर करना है, उन्होंने कहा कि खेल संघ अपनी योजनाओं में प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दें। प्रशिक्षण से मेरा मतलब अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के कोच बुलाकर खिलाड़ी तैयार करने से हैं।
संयुक्त बैठक में बनेगी योजना
बैठक के बाद खेल संचालक ने बताया कि खेल संघों को उद्योगों के साथ मिलकर संयुक्त रूप से योजना बनाने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि कुछ खेलों की उद्योगों से अदला-बदली की गई है। श्री सिंह ने बताया कि गोदावरी इस्पात ने वालीबॉल को लेने की बात कहीं तो उनको यह खेल दिया गया है। उनके पास कराते था, जिसे एसआर को दिया गया है। ताइक्वांडो संघ की मांग पर उसे इफ्को को दिया गया है। पहले यह खेल बीएससीके के पास था। स्क्वैश को वंदना ग्रुप को दिया गया है। कुछ इसी तरह से छोटे-छोटे बदलाव खेल संघों और उद्योगों की सहमति से किए गए हैं।
आयोजन का जिम्मा भी उद्योगों को
बैठक में उद्योगों को ही आयोजन का जिम्मा उठाने के लिए कहा गया। अब राज्य स्तर के आयोजन उद्योग खेल संघों के साथ मिलकर करेंगे। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि खेल विभाग द्वारा खेल संघों के साथ मिलकर किए जाने वाले आयोजन पर अब प्रतिबंध लग गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की पहल पर खेल संघों को उद्योगों द्वारा गोद लिए जाने के बाद खेल संघों और उद्योगों की पहली बैठक का आयोजन खेल विभाग ने नए विश्राम गृह में किया। उद्योग सचिव दिनेश श्रीवास्तव की अध्यक्षता और खेल सचिव सुब्रत साहू एवं खेल संचालक जीपी सिंह की उपस्थित में हुई इस बैठक में तय किया गया कि मुख्यमंत्री द्वारा उद्योगों और खेल संघों को जोड़ने के पीछे पहला मकसद छत्तीसगढ़ में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेल हैं। इन खेलों में राज्य को पदक तालिका में शीर्ष में पहुंचाना है। ऐसे में उद्योगों के माध्यम से खेल संघों को मदद दिलाकर पदकवीर खिलाड़ी तैयार करने हैं।
उद्योग सचिव दिनेश श्रीवास्तव ने कहा कि सबसे पहले खेल संघ मई के अंतिम सप्ताह तक अपनी कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर उद्योगों के एक प्रतिनिधि को संघ में उपाध्यक्ष बनाने का काम करें। खेल सचिव सुब्रत साहू ने कहा कि इनमें कोई दो मत नहीं है कि निजी क्षेत्र को जब किसी के साथ जोड़ा जाता है तो उसका विकास तेजी से होता है, ऐसा ही अब खेलों के साथ होगा।
खेल संचालक जीपी सिंह ने खेल संघों से उद्योगों के साथ मिलकर पांच साल की योजना बनाने की बात कहीं। उन्होंने साफ कहा कि हमारा मकसद राज्य के लिए पदकवीर तैयार करना है। ज्यादा से ज्यादा खर्च खिलाड़ियों को तैयार करने पर करना है, उन्होंने कहा कि खेल संघ अपनी योजनाओं में प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दें। प्रशिक्षण से मेरा मतलब अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के कोच बुलाकर खिलाड़ी तैयार करने से हैं।
संयुक्त बैठक में बनेगी योजना
बैठक के बाद खेल संचालक ने बताया कि खेल संघों को उद्योगों के साथ मिलकर संयुक्त रूप से योजना बनाने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि कुछ खेलों की उद्योगों से अदला-बदली की गई है। श्री सिंह ने बताया कि गोदावरी इस्पात ने वालीबॉल को लेने की बात कहीं तो उनको यह खेल दिया गया है। उनके पास कराते था, जिसे एसआर को दिया गया है। ताइक्वांडो संघ की मांग पर उसे इफ्को को दिया गया है। पहले यह खेल बीएससीके के पास था। स्क्वैश को वंदना ग्रुप को दिया गया है। कुछ इसी तरह से छोटे-छोटे बदलाव खेल संघों और उद्योगों की सहमति से किए गए हैं।
आयोजन का जिम्मा भी उद्योगों को
बैठक में उद्योगों को ही आयोजन का जिम्मा उठाने के लिए कहा गया। अब राज्य स्तर के आयोजन उद्योग खेल संघों के साथ मिलकर करेंगे। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि खेल विभाग द्वारा खेल संघों के साथ मिलकर किए जाने वाले आयोजन पर अब प्रतिबंध लग गया है।
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