गांवों में दस्तक देकर तलाशेंगे प्रतिभाएं
प्रदेश के खेल विभाग ने अब गांव-गांव में दस्तक देकर खेल की प्रतिभाओं को तलाश कर तराशने की योजना बनाई है। इस योजना में स्कूल स्तर के साथ विकासखंड और जिले के बाद राज्य स्तर पर प्रतिभाओं को परखने के बाद ही चुना जाएगा। चुनी गई सभी प्रतिभाओं को उनकी रुचि के मुताबिक खेलों में प्रशिक्षण दिलाने का काम सरकार करेगी। इस योजना के पहले चरण के अंत में कम से कम 50 खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा। गांवों में खिलाड़ियों को तलाशने का जिम्मा क्रीड़ाश्री को दिया गया है।
खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार की खेल नीति में ही ग्रामीण प्रतिभाओं को तराशने की बात है। ऐसे में प्रतिभा खोज योजना के तहत प्रदेश के हर गांव में प्रतिभाएं तलाशने के लिए विस्तृत योजना बनाई गई है। इस योजना के अंत में राज्य स्तर पर चयन किया जाएगा। योजना चार चरणों में होगी। पहले चरण में स्कूल स्तर को रखा गया है, इसके बाद विकासखंड स्तर फिर जिला स्तर और अंत में राज्य स्तर है। इस योजना में 10 से 14 साल के बच्चों को शामिल किया जाएगा। इसके लिए यह जरूरी नहीं है कि बच्चा किसी खेल से जुड़ा हो, लेकिन उसकी खेलों में रुचि होनी चाहिए।
स्कूल स्तर पर प्रतिभाओं के चयन के लिए जिम्मा स्कूलों के प्रधान पाठक को दिया गया है। इसके लिए प्रतिभाओं की लंबाई के साथ उनकी तेजी देखने के लिए 50 मीटर की दौड़ करवाई जाएगी। इसमें 10 से लेकर 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए हर वर्ग में अलग-अलग चयन किया जाएगा। हर वर्ग में बालक और बालिकाओं में पहले तीन स्थानों पर आने वालों का चयन होगा। विकासखंड स्तर पर हर वर्ग में 5-5 खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा। यहां भी बच्चों की लंबाई के साथ दौड़ में उनकी तेजी देखी जाएगी। विकासखंड स्तर पर चयन का जिम्मा विकासखंड अधिकारियों को दिया गया है। इस स्तर पर ही क्रीड़ाश्री की मदद ली जा रही है।
स्कूल स्तर और विकासखंड स्तर से आने वाले खिलाड़ियों की प्रतिभाओं को परखने के लिए जिला स्तर पर आयोजन किया जाएगा। हर जिले में यह जिम्मा जिले के खेल अधिकारियों का होगा। यहां पर भी जहां बच्चों की लंबाई को देखा जाएगा, वहीं 50 मीटर की दौड़ के अतिरिक्त क्रिकेट बॉल को फेंकने की प्रतिस्पर्धा होगी। इन तीनों के अंक जोड़कर ही जिनके अंक ज्यादा होंगे उनका चयन किया जाएगा। यहां पर हर वर्ग से 4-4 प्रतिभागियों का चयन किया जाएगा। ये प्रतिभागी ही राज्य स्तर की चयन स्पर्धा में शामिल हो सकेंगे।
हर जिले से हर वर्ग के जो बच्चे चुनकर आएंगे उनके लिए एक चयन स्पर्धा का आयोजन राजधानी रायपुर में किया जाएगा। पूरे राज्य से कम से कम 400 प्रतिभागी शामिल होंगे। इन प्रतिभागियों में से हर वर्ग में 5-5 खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा, यानी कम से कम 50 प्रतियोगियों का अंतिम चयन होगा। यहां पर चयन प्रक्रिया कुछ ज्यादा कठिन होगी। चयन के पहले दिन सबसे पहले लंबार्ई के बाद प्रतियोगियों का सीना देखा जाएगा कि उनका सीना फूलाने पर कितना होता है। इसके बाद लंबी कूद में प्रतियागियों को परखा जाएगा। यहां पर बास्केटबॉल को बैठकर थ्रो करने की प्रतियोगिता होगी। इसके अलावा 800 मीटर की दौड़ होगी। यह दौड़ साधारण जूतों के साथ या फिर नंगे पैर होगी। खड़े होकर कूदने की प्रतियोगिता के साथ क्रिकेट बॉल थ्रो, 30 मीटर की तेज दौड़ के साथ ही 10 मीटर जाना और 10 मीटर वापस आने की दौड़ होगी। इन सब मुकाबलों में जिनके ज्याादा होंगे वही पहले पांच स्थानों पर आने वाले प्रतियोगी चुने जाएंगे। यहां पर प्रतियोगियों के चयन के लिए एक चयन समिति बनाई जाएगी। किसी भी स्तर पर शामिल होने वाले प्रतियोगियों के परिजनों से यह लिखवाया जाएगा कि उनका चयन होने पर उनको वे छात्रावास में रहने की अनुमति दे रहे हैं। कई जिलों में पहले स्तर की चयन प्रक्रिया हो गई है। सभी जिलों में जिला स्तर के चयन के बाद राज्य स्तर का आयोजन किया जाएगा। इसकी तिथि अभी तय नहीं है।
खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार की खेल नीति में ही ग्रामीण प्रतिभाओं को तराशने की बात है। ऐसे में प्रतिभा खोज योजना के तहत प्रदेश के हर गांव में प्रतिभाएं तलाशने के लिए विस्तृत योजना बनाई गई है। इस योजना के अंत में राज्य स्तर पर चयन किया जाएगा। योजना चार चरणों में होगी। पहले चरण में स्कूल स्तर को रखा गया है, इसके बाद विकासखंड स्तर फिर जिला स्तर और अंत में राज्य स्तर है। इस योजना में 10 से 14 साल के बच्चों को शामिल किया जाएगा। इसके लिए यह जरूरी नहीं है कि बच्चा किसी खेल से जुड़ा हो, लेकिन उसकी खेलों में रुचि होनी चाहिए।
स्कूल स्तर पर प्रतिभाओं के चयन के लिए जिम्मा स्कूलों के प्रधान पाठक को दिया गया है। इसके लिए प्रतिभाओं की लंबाई के साथ उनकी तेजी देखने के लिए 50 मीटर की दौड़ करवाई जाएगी। इसमें 10 से लेकर 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए हर वर्ग में अलग-अलग चयन किया जाएगा। हर वर्ग में बालक और बालिकाओं में पहले तीन स्थानों पर आने वालों का चयन होगा। विकासखंड स्तर पर हर वर्ग में 5-5 खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा। यहां भी बच्चों की लंबाई के साथ दौड़ में उनकी तेजी देखी जाएगी। विकासखंड स्तर पर चयन का जिम्मा विकासखंड अधिकारियों को दिया गया है। इस स्तर पर ही क्रीड़ाश्री की मदद ली जा रही है।
स्कूल स्तर और विकासखंड स्तर से आने वाले खिलाड़ियों की प्रतिभाओं को परखने के लिए जिला स्तर पर आयोजन किया जाएगा। हर जिले में यह जिम्मा जिले के खेल अधिकारियों का होगा। यहां पर भी जहां बच्चों की लंबाई को देखा जाएगा, वहीं 50 मीटर की दौड़ के अतिरिक्त क्रिकेट बॉल को फेंकने की प्रतिस्पर्धा होगी। इन तीनों के अंक जोड़कर ही जिनके अंक ज्यादा होंगे उनका चयन किया जाएगा। यहां पर हर वर्ग से 4-4 प्रतिभागियों का चयन किया जाएगा। ये प्रतिभागी ही राज्य स्तर की चयन स्पर्धा में शामिल हो सकेंगे।
हर जिले से हर वर्ग के जो बच्चे चुनकर आएंगे उनके लिए एक चयन स्पर्धा का आयोजन राजधानी रायपुर में किया जाएगा। पूरे राज्य से कम से कम 400 प्रतिभागी शामिल होंगे। इन प्रतिभागियों में से हर वर्ग में 5-5 खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा, यानी कम से कम 50 प्रतियोगियों का अंतिम चयन होगा। यहां पर चयन प्रक्रिया कुछ ज्यादा कठिन होगी। चयन के पहले दिन सबसे पहले लंबार्ई के बाद प्रतियोगियों का सीना देखा जाएगा कि उनका सीना फूलाने पर कितना होता है। इसके बाद लंबी कूद में प्रतियागियों को परखा जाएगा। यहां पर बास्केटबॉल को बैठकर थ्रो करने की प्रतियोगिता होगी। इसके अलावा 800 मीटर की दौड़ होगी। यह दौड़ साधारण जूतों के साथ या फिर नंगे पैर होगी। खड़े होकर कूदने की प्रतियोगिता के साथ क्रिकेट बॉल थ्रो, 30 मीटर की तेज दौड़ के साथ ही 10 मीटर जाना और 10 मीटर वापस आने की दौड़ होगी। इन सब मुकाबलों में जिनके ज्याादा होंगे वही पहले पांच स्थानों पर आने वाले प्रतियोगी चुने जाएंगे। यहां पर प्रतियोगियों के चयन के लिए एक चयन समिति बनाई जाएगी। किसी भी स्तर पर शामिल होने वाले प्रतियोगियों के परिजनों से यह लिखवाया जाएगा कि उनका चयन होने पर उनको वे छात्रावास में रहने की अनुमति दे रहे हैं। कई जिलों में पहले स्तर की चयन प्रक्रिया हो गई है। सभी जिलों में जिला स्तर के चयन के बाद राज्य स्तर का आयोजन किया जाएगा। इसकी तिथि अभी तय नहीं है।
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