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गुरुवार, मई 05, 2011

दस साल बाद भी नहीं मिले मैदान

छत्तीसगढ़ बनने के दस साल बाद भी प्रदेश कई खेलों के मैदानों के लिए तरस रहा है। हॉकी को जहां अब तक एस्ट्रो टर्फ नहीं मिल सका है, वहीं एथलीटों को सिंथेटिक ट्रैक का इंतजार है। तीरंदाजों के लिए एक भी नियमित मैदान नहीं है। तैराकी के लिए राष्ट्रीय स्तर का एक भी पूल न होने के कारण संघ राज्य में राष्ट्रीय स्पर्धाओं की मेजबानी नहीं ले पाता है। छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलने के बाद अब खिलाड़ियों की उम्मीद जागी है उनको मैदान मिल जाएंगे।
प्रदेश में ज्यादातर खेलों के मैदानों का टोटा है। राज्य बनने के दस साल बाद भी खिलाड़ी मैदान नहीं मिलने से निराश हैं। कई खेलों में सुविधाएं न होने से खिलाड़ी पलायन करके दूसरे राज्यों में जाकर खेल रहे हैं।
हॉकी खिलाड़ी पलायन कर गए
प्रदेश महिला हॉकी संघ की सचिव और पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नीता डुमरे बताती हैं कि राज्य बनने के बाद एक भी एस्ट्रो टर्फ न होने के कारण अपने राज्य की महिला खिलाड़ी पलायन कर रही हैं। इस समय प्रदेश की छह खिलाड़ी बलविंदर कौर, रेणु राजपूत, पूजा राजपूत, हेमलता, सेवंती और किरण भोपाल के साई सेंटर में हैं। इन खिलाड़ियों के दम पर ही साई भोपाल ने पिछले माह राष्ट्रीय स्पर्धा में तीसरा स्थान प्राप्त किया। नीता कहती हैं कि राज्य की राजधानी में तो एस्ट्रो टर्फ जरूरी है। वह कहती हैं कि राज्य में जशपुर के साथ राजनांदगांव और रायपुर में एस्ट्रो टर्फ लगाने की घोषणा काफी पहले हो चुकी है, लेकिन अब तक कहीं भी एस्ट्रो टर्फ नहीं लगा है। इसके बिना राष्ट्रीय स्तर पर सफलता संभव नहीं है।
राजधानी में बने सिंथेटिक ट्रैक
अंतरराष्ट्रीय एथलीट पवन धनगर का कहना है कि यह अपने राज्य का दुर्भाग्य है कि दस साल बाद भी राज्य में एक भी सिंथेटिक ट्रैक नहीं है। इसके बिना राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता संभव नहीं है। वे बताते हैं कि रविशंकर विश्व विद्यालय में एक सिंडर ट्रैक है। ऐसा ही एक ट्रैक भिलाई में भी है। वे कहते हैं कि बस्तर की प्रतिभाओं को देखते हुए एक सिंथेटिक ट्रैक वहां भी होना चाहिए। पद्मश्री रूकमणी सेवा आश्रम  बस्तर के धर्मपाल सैनी भी कहते हैं कि बस्तर में आदिवासी प्रतिभाएं इतनी ज्यादा हैं कि वहां पर एथलेटिक्स का ट्रैक होने से वहां से राष्ट्रीय स्तर की बहुत खिलाड़ी निकल सकती हैं।
राष्ट्रीय स्तर का एक भी स्वीमिंग पूल नहीं
प्रदेश तैराकी संघ के अध्यक्ष गोपाल खंडेलवाल के साथ सचिव साई राम जाखंड कहते हैं कि अपने राज्य में राष्ट्रीय स्तर का एक भी स्वीमिंग पूल न होने के कारण हम राष्ट्रीय स्पर्धाओ का आयोजन नहीं कर पाते हैं। संघ ने खेल विभाग को भिलाई में राष्ट्रीय स्तर का पूल बनाने का प्रस्ताव दिया है।
दस साल में नहीं मिली तीरंदाजी अकादमी 
तीरंदाजी संघ के सचिव कैलाश मुरारका का कहना है कि हमने राज्य में दस सालों में एक हजार से ज्यादा तीरंदाज तैयार कर दिए हैं, लेकिन हमारी अकादमी खोलने की मांग अब तक खेल विभाग ने पूरी नहीं की है। इसी के साथ विभाग से संघ को अब तक कोई सामान भी नहीं मिला है, जबकि तीरंदाजी का सामान बहुत मंहगा आता है। श्री मुरारका ने बताया कि राजधानी में खिलाड़ियों के नियमित अभ्यास के लिए एक मैदान भी नहीं है।
सुविधाएं देने का प्रयास कर रहे हैं: खेल संचालक
खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि हम हर खेल की सुविधाएं देने का प्रयास कर रहे हैं। तीरंदाजी और हॉकी की अकादमी बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। साइंस कॉलेज में हॉकी के लिए एस्ट्रो टर्फ लगाने का काम भी तेजी से चल रहा है। बहुत जल्द लोक निर्माण विभाग इसके लिए टेंडर करेगा। तैराकी संघ की मांग पर भिलाई स्टील प्लांट को स्वीमिंग पूल बनाने के लिए पत्र लिखा जा रहा है। बीएसपी ने ही तैराकी को गोद लिया है, इसलिए उसको पूल बनाने कहा जा रहा है। एक स्वीमिंग पूल नगर निगम रायपुर संस्कृत कॉलेज में बनाने वाला है। जहां तक एथलेटिक्स के सिंथेटिक ट्रैक का सवाल है, तो वह साइंस कॉलेज में प्रस्तावित खेल हब में शामिल है, इसके लिए जल्द ही प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा जाएगा।  

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