कराते छोड़ा, तीरंदाजी से नाता जोड़ा
साइंस कॉलेज के मैदान में तीर-कमान संभाले एक, दो नहीं बल्कि तीन-तीन बहनें रोज सुबह-शाम अभ्यास में जुटी हुई हैं। इन बहनों में दो बड़ी बहनें तनिषा और अनिषा यादव कराते की राष्ट्रीय स्पर्धा में न सिर्फ खेल चुकी हैं, बल्कि पदक भी जीते हैं। कराते संघ में विवाद के चलते उनको तीरंदाजी से नाता जोड़ना पड़ा है। अब यादव बहनें तीरंदाजी में ही अपना खेल जीवन बनाने के लिए गंभीर हैं। उनके पिता कराते में ब्लेक बैल्ट हैं।
तीरंदाजी से कुछ माह पहले ही नाता जोड़ने वाली यादव बहनें बताती हैं कि उनके पिता कृष्ण कुमार यादव कराते खिलाड़ी रहे हैं। ऐसे में पिता के कारण तनिषा और अनिषा भी कराते से जुड़ी गर्इं। कराते में जुड़ने के बाद इन बहनों ने राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने में सफलता ही नहीं पाई बल्कि पदक भी जीते। बड़ी बहन तनिषा बताती हैं कि सबसे पहले दोनों बहनें 2007 में जयपुर में राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलीं। यहां पदक नहीं मिला, लेकिन अगले साल 2008 में भुवनेश्वर की राष्ट्रीय स्पर्धा में तनिषा ने कुमिते में स्वर्ण और काता में कांस्य पदक जीता। अगले साल 2009 में कोलकाता में खेली गई राष्ट्रीय स्पर्धा में उन्होंने कुमिते में रजत जीता। 2010 में औरंगाबाद में खेली गई राष्ट्रीय स्पर्धा में तनिषा ने जहां कुमिते में कांस्य जीता, वहीं उनकी बहन अनिषा ने कुमिते में स्वर्ण जीता।
दोनों बहनें कहती हैं कि हम तो कराते में बहुत आगे जाने का सपना संजोय बैठीं थी, लेकिन 2010 के बाद संघ में विवाद के कारण खेलने का मौका ही नहीं मिल रहा है। ऐसे में हमने पहले कराते छोड़ ताइक्वांडो से नाता जोड़ा और इसमें भी पिछले साल राष्ट्रीय स्कूली स्पर्धा में खेलीं और कांस्य पदक जीता लेकिन इस खेल में प्रशिक्षक की कमी के कारण हमने राज्य खेल महोत्सव के समय तीरंदाजी से नाता जोड़ा और राज्य महोत्सव में 30 से 50 मीटर वर्ग में कांस्य पदक जीता। पदक जीतने का बाद अब हमने इसी खेल में आगे जाने का फैसला किया है। जब हम लोगों को मालूम हुआ कि साइंस कॉलेज में तीरंदाजी का नियमित प्रशिक्षण प्रारंभ किया है तो हम पहले दिन से यहां आकर नियमित अभ्यास कर रही हैं। इन्होंने बताया कि इनके साथ उनकी छोटी बहन नमिषा यादव भी आ रही हैं। नमिषा अभी दूसरी कक्षा में है और वह भी तीरंदाजी ही खेलना चाहती हैं।
तीरंदाजी से कुछ माह पहले ही नाता जोड़ने वाली यादव बहनें बताती हैं कि उनके पिता कृष्ण कुमार यादव कराते खिलाड़ी रहे हैं। ऐसे में पिता के कारण तनिषा और अनिषा भी कराते से जुड़ी गर्इं। कराते में जुड़ने के बाद इन बहनों ने राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने में सफलता ही नहीं पाई बल्कि पदक भी जीते। बड़ी बहन तनिषा बताती हैं कि सबसे पहले दोनों बहनें 2007 में जयपुर में राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलीं। यहां पदक नहीं मिला, लेकिन अगले साल 2008 में भुवनेश्वर की राष्ट्रीय स्पर्धा में तनिषा ने कुमिते में स्वर्ण और काता में कांस्य पदक जीता। अगले साल 2009 में कोलकाता में खेली गई राष्ट्रीय स्पर्धा में उन्होंने कुमिते में रजत जीता। 2010 में औरंगाबाद में खेली गई राष्ट्रीय स्पर्धा में तनिषा ने जहां कुमिते में कांस्य जीता, वहीं उनकी बहन अनिषा ने कुमिते में स्वर्ण जीता।
दोनों बहनें कहती हैं कि हम तो कराते में बहुत आगे जाने का सपना संजोय बैठीं थी, लेकिन 2010 के बाद संघ में विवाद के कारण खेलने का मौका ही नहीं मिल रहा है। ऐसे में हमने पहले कराते छोड़ ताइक्वांडो से नाता जोड़ा और इसमें भी पिछले साल राष्ट्रीय स्कूली स्पर्धा में खेलीं और कांस्य पदक जीता लेकिन इस खेल में प्रशिक्षक की कमी के कारण हमने राज्य खेल महोत्सव के समय तीरंदाजी से नाता जोड़ा और राज्य महोत्सव में 30 से 50 मीटर वर्ग में कांस्य पदक जीता। पदक जीतने का बाद अब हमने इसी खेल में आगे जाने का फैसला किया है। जब हम लोगों को मालूम हुआ कि साइंस कॉलेज में तीरंदाजी का नियमित प्रशिक्षण प्रारंभ किया है तो हम पहले दिन से यहां आकर नियमित अभ्यास कर रही हैं। इन्होंने बताया कि इनके साथ उनकी छोटी बहन नमिषा यादव भी आ रही हैं। नमिषा अभी दूसरी कक्षा में है और वह भी तीरंदाजी ही खेलना चाहती हैं।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें