निशाने पर राष्ट्रीय खेल
साइंस कॉलेज के मैदान में अनुशासन के साथ एक लाइन से छोटे-बड़े तीरंदाज खड़े हैं और वे अपने कोच के निर्देशों को ध्यान से सुन रहे हैं। कोच का इशारा मिलते हैं तीर चल पड़ते हैं अपने निशाने की तरफ। तीरंदाजी में कमान संभालने वाले ज्यादातर तीरंदाजों का इस समय एक ही मकसद है छत्तीसगढ़ की मेजबानी में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों में राज्य के लिए पदक जीतना।
करीब एक पखवाड़े से तीरंदाजी के गुर सिखाने वाले खिलाड़ियों में शामिल तीरंदाज अनिषा, तनिषा और नमिषा यादव के साथ जया साहू, कृति उपाध्याय, अमित वर्मा, आदित्य उपाध्याय, मोहनीश राजपूत, अभिनव मोहदीकर, छतरसिंह सिदार, शुभम कमवीसदार, दुर्गेश नंदनी का एक स्वर में कहना है कि हम नियमित रूप से तीरंदाजी सीख कर अपने राज्य और देश का नाम रौशन करना चाहते हैं। छोटे खिलाड़ियों को तो नहीं लेकिन बड़े खिलाड़ियों को जरूर यह मालूम है कि छत्तीसगढ़ की मेजबानी में राष्ट्रीय खेल होने हैं। ऐसे में इन खिलाड़ियों का कहना है कि हम जरूर प्रदेश की टीम में स्थान बनाकर अपने राज्य के लिए पदक जीतने का काम करेंगे। खिलाड़ी कहते हैं कि अब खेल विभाग ने नियमित प्रशिक्षण की व्यवस्था की है तो हम हर मौसम में अभ्यास करने जरूर आएंगे। प्रारंभ में सभी खिलाड़ियों को इंडियन राऊंड के बारे में बताया जा रहा है।
भिलाई से आते हैं रोज सुमित
प्रशिक्षण लेने के लिए भिलाई के सुमित भगत रोज आते हैं। वे पूछने पर बताते हैं कि मुझे इस खेल में शुरू से रुचि रही है, लेकिन भिलाई में इस खेल का प्रशिक्षण देने वाला कोई नहीं था। ऐसे में जब मुझे समाचार पत्रों के माध्यम से मालूम हुआ कि रायपुर में तीरंदाजी का नियमित प्रशिक्षण दिया जाने वाला है तो मैैं यहां आने लगा। वे पूछने पर कहते हैं कि मुझे रोज आने में कोई परेशानी नहीं होती है। सुमित कहते हैं कि उनका इरादा ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतने का है। सुमित का खेल के प्रति लगाव देखकर लगता है कि वे जरूर अपने राज्य और देश का नाम करेंगे, ऐसा उनके कोच टेकलाल कुर्रे का मानना है।
बिलासपुर के एनआईएस कोच भी शिविर में
बिलासपुर के एनआईएस कोच दुर्गेश प्रताप सिंह भी प्रशिक्षण शिविर में आ रहे हैं। वे नियमित तो नहीं लेकिन शिविर में लगातार आ रहे हैं और प्रशिक्षण ले रहे हैं। अब तक इंडियन राऊंड में राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने वाले दुर्गेश कहते हैं कि बिलासपुर में प्रशिक्षक न होने के कारण वे कपाऊंड में हाथ नहीं आजमा पा रहे थे, लेकिन अब वे राष्ट्रीय स्पर्धाओं में कंपाऊंड में खेलेंगे ताकि आगे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने का मौका मिल सके। वे बताते हैं कि वे बिलासपुर में गुरु घासीदास विवि की टीम को प्रशिक्षण देने का भी काम करते हैं। यहां पर जहां उनको सीखने का मौका मिल रहा है, वहीं प्रशिक्षक टेकलाल कुर्रे उनसे नवोदितों खिलाड़ियों को सिखाने में मदद लेते हैं।
लक्ष्य राष्ट्रीय खेल ही हैं: कुर्रे
प्रशिक्षक टेकलाल कुर्रे कहते हैं कि खेल विभाग का नियमित प्रशिक्षण शिविर प्रारंभ करने का मकसद छत्तीसगढ़ में होने वाले राष्ट्रीय खेल ही हैं। वे कहते हैं कि मैं कोई बड़ा दावा नहीं करता है लेकिन जितना समय हमारे पास है उससे तय है कि कुछ ऐसे खिलाड़ी जरूर तैयार हो जाएंगे जो राज्य के लिए पदक जीतने का काम करेंगे। वे बताते हैं कि नियमित प्रशिक्षण के लिए एक स्थाई सेड जरूरी है, फिलहाल तो एक अस्थाई सेड बनाया गया है, लेकिन यह सेड बारिश में काम नहीं आएगा। उन्होंने बताया कि खेल संचालक जीपी सिंह ने साफ कहा है कि किसी भी सुविधा में कमी आने नहीं दी जाएगी, आप बस खिलाड़ी तैयार करने पर ध्यान दें।
करीब एक पखवाड़े से तीरंदाजी के गुर सिखाने वाले खिलाड़ियों में शामिल तीरंदाज अनिषा, तनिषा और नमिषा यादव के साथ जया साहू, कृति उपाध्याय, अमित वर्मा, आदित्य उपाध्याय, मोहनीश राजपूत, अभिनव मोहदीकर, छतरसिंह सिदार, शुभम कमवीसदार, दुर्गेश नंदनी का एक स्वर में कहना है कि हम नियमित रूप से तीरंदाजी सीख कर अपने राज्य और देश का नाम रौशन करना चाहते हैं। छोटे खिलाड़ियों को तो नहीं लेकिन बड़े खिलाड़ियों को जरूर यह मालूम है कि छत्तीसगढ़ की मेजबानी में राष्ट्रीय खेल होने हैं। ऐसे में इन खिलाड़ियों का कहना है कि हम जरूर प्रदेश की टीम में स्थान बनाकर अपने राज्य के लिए पदक जीतने का काम करेंगे। खिलाड़ी कहते हैं कि अब खेल विभाग ने नियमित प्रशिक्षण की व्यवस्था की है तो हम हर मौसम में अभ्यास करने जरूर आएंगे। प्रारंभ में सभी खिलाड़ियों को इंडियन राऊंड के बारे में बताया जा रहा है।
भिलाई से आते हैं रोज सुमित
प्रशिक्षण लेने के लिए भिलाई के सुमित भगत रोज आते हैं। वे पूछने पर बताते हैं कि मुझे इस खेल में शुरू से रुचि रही है, लेकिन भिलाई में इस खेल का प्रशिक्षण देने वाला कोई नहीं था। ऐसे में जब मुझे समाचार पत्रों के माध्यम से मालूम हुआ कि रायपुर में तीरंदाजी का नियमित प्रशिक्षण दिया जाने वाला है तो मैैं यहां आने लगा। वे पूछने पर कहते हैं कि मुझे रोज आने में कोई परेशानी नहीं होती है। सुमित कहते हैं कि उनका इरादा ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतने का है। सुमित का खेल के प्रति लगाव देखकर लगता है कि वे जरूर अपने राज्य और देश का नाम करेंगे, ऐसा उनके कोच टेकलाल कुर्रे का मानना है।
बिलासपुर के एनआईएस कोच भी शिविर में
बिलासपुर के एनआईएस कोच दुर्गेश प्रताप सिंह भी प्रशिक्षण शिविर में आ रहे हैं। वे नियमित तो नहीं लेकिन शिविर में लगातार आ रहे हैं और प्रशिक्षण ले रहे हैं। अब तक इंडियन राऊंड में राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने वाले दुर्गेश कहते हैं कि बिलासपुर में प्रशिक्षक न होने के कारण वे कपाऊंड में हाथ नहीं आजमा पा रहे थे, लेकिन अब वे राष्ट्रीय स्पर्धाओं में कंपाऊंड में खेलेंगे ताकि आगे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने का मौका मिल सके। वे बताते हैं कि वे बिलासपुर में गुरु घासीदास विवि की टीम को प्रशिक्षण देने का भी काम करते हैं। यहां पर जहां उनको सीखने का मौका मिल रहा है, वहीं प्रशिक्षक टेकलाल कुर्रे उनसे नवोदितों खिलाड़ियों को सिखाने में मदद लेते हैं।
लक्ष्य राष्ट्रीय खेल ही हैं: कुर्रे
प्रशिक्षक टेकलाल कुर्रे कहते हैं कि खेल विभाग का नियमित प्रशिक्षण शिविर प्रारंभ करने का मकसद छत्तीसगढ़ में होने वाले राष्ट्रीय खेल ही हैं। वे कहते हैं कि मैं कोई बड़ा दावा नहीं करता है लेकिन जितना समय हमारे पास है उससे तय है कि कुछ ऐसे खिलाड़ी जरूर तैयार हो जाएंगे जो राज्य के लिए पदक जीतने का काम करेंगे। वे बताते हैं कि नियमित प्रशिक्षण के लिए एक स्थाई सेड जरूरी है, फिलहाल तो एक अस्थाई सेड बनाया गया है, लेकिन यह सेड बारिश में काम नहीं आएगा। उन्होंने बताया कि खेल संचालक जीपी सिंह ने साफ कहा है कि किसी भी सुविधा में कमी आने नहीं दी जाएगी, आप बस खिलाड़ी तैयार करने पर ध्यान दें।
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