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शनिवार, मई 28, 2011

डियो लगाने से लड़की नहीं पटती बेवकूफ

एक खबर पर कल नजरें पड़ीं, सात साल तक डियो लगाने  के बाद भी लड़की नहीं पटी, तो कंपनी पर दिल्ली के एक युवक ने दावा कर दिया। अब ऐसे युवकों को कौन समझाए कि डियो लगाने से भला कभी लड़की पटती है। विज्ञापन और फिल्मों के पीछे भागने वाले या तो दीवाने होते हैं या फिर बेवकूफ। ऐसे बेवकूफों की वजह से तो डियो जैसी कंपनियों की चांदी हो रही है।
वास्तव में अपने देश की युवा पीढ़ी पर तरस आता है कि वह आखिर जा कहा रही हैं। कल की एक खबर इस बात का बहुत बड़ा उदाहरण है कि वास्तव में अपने युवा वर्ग की सोच कितनी बेवकूफाना है। अब एक कंपनी डियो अपने विज्ञापन में यह दिखाती है कि डियो का एएक्सई का प्रयोग करने वालों के पीछे लड़कियां भागती हैं। अब इस विज्ञापन से प्रेरित होकर दिल्ली के एक युवक ने सात साल तक इसका इस्तेमाल किया, लेकिन उसके पास कोई लड़की नहीं फटकी तो उन्होंने कंपनी पर दावा कर दिया। अब सोचने वाली बात यह है कि हर कोई अगर विज्ञापनों को सही मानकर उसके पीछे भागने लगेगा तो इसमें किसी कंपनी की क्या गलती है। हमारा मकसद किसी भी तरह से किसी कंपनी का पक्ष लेना का नहीं है। लेकिन आज की युवा पीढ़ी जिस तरह से हरकतें कर रही हैं उससे यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा रहा है कि हमारी यह पीढ़ी जिसे देश का भविष्य माना जाता है, आखिर किस दिशा में जा रही है। न जाने टीवी पर कैसे-कैसे विज्ञापन दिखाए जाते हैं। अगर हर युवा विज्ञापनों का अनुशरण करने लगेगा तो रोज कई घटनाएं हो जाएंगी। अब एक विज्ञापन थम्सअप की बात करें तो इसकी एक बोतल के लिए अपने अक्षय कुमार खाई में छलांग लगा देते हैं। अब कोई युवक खाई में छलांग लगाकर अपनी जान गंवा बैठे या फिर टांग तुड़वा बैठे तो क्या इसके लिए वह पेय कंपनी जिम्मेदार है। एक गोल्ड ड्रिंग्स के विज्ञापन में चीते के मुंह से एक मॉडल पेय का केन निकालते हैं। अब कोई ऐसा करने लगे तो इसे मुर्खता के अलावा क्या कहा जा सकता है। पहली बात को कोई चीता ऐसा पेय पीता नहीं है। अगर वह पी जाए कोई पहलवानी करने के लिए उसके मुंह में हाथ डालने का काम करेगा तो क्या चीता उसका छोड़ देगा।
हमारे कहने का मतलब यह है कि किसी भी विज्ञापन को देखकर उसकी तरफ भागने की गलती कभी नहीं करनी चाहिए। विज्ञापन तो होते ही है लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए और अपने देश के लोग आसानी से बेवकूफ बन जाते हैं। एक कहावत है कि जब तक बेवकूफ जिंदा है अक्लमंद भूखे नहीं मर सकते हैं। अब इसके आगे क्या कहा जा सकता है।

1 टिप्पणियाँ:

The Free Thinker गुरु सित॰ 15, 08:58:00 pm 2011  

किस समाचार पत्र में ये छपा था ?

- Lucky

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