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सोमवार, अप्रैल 04, 2011

अब हम नहीं होते तंग-टिप्पणी के रास्ते कर दिए हैं बंद

व्यक्त करने वाले कम और काड़ी करने वाले ज्यादा हैं। वैसे ऐसे काड़ीबाज ज्यादा नहीं हैं, लेकिन नाम बदल-बदल कर काड़ी करना इनकी आदत है। ऐसे में हमने तंग होने की बजाए टिप्पणियों का रास्ता ही बंद कर दिया। वैसे भी हम ब्लाग जगत में न तो टिप्पणियां पाने आए हैं और न ही अपनी वाह-वाही करवाने आए हैं। वैसे भी सच्चे मन से वाह-वाही करने वाले कम हैं, जिनको टिप्पणियों की भूख होती है, वहीं दूसरे की ­ाूठी तारीफ करते हैं, ताकि उनका टिप्पणी बाक्स भरा रहे।
हमने जब से अपने ब्लागों में टिप्पणियों के रास्ते बदं किए हैं, हम अब तंग नहीं होते हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि हम लाख कोशिश कर लें लेकिन बिना वजह की गई टिप्पणियों के कारण परेशानी तो होती है। हमने बहुत कोशिश की थी कि हम अपने ब्लागों में टिप्पणी के रास्ते बंद न करें। ऐसा हम इसलिए नहीं सोच रहे थे कि हमें टिप्पणियों की तरदार रहती है, लेकिन हमारे कई मित्र ऐसे हैं जो वास्तव में अपने विचारों से हमें अवगत करवाना चाहते हैं। ऐसे मित्रों से अब फोन पर बातें हो जाती है, कुछ मेल करके अपनी भावनाओं से अवगत करवा देते हैं। इन्हीं लिए रास्ते खुले रखना चाहते थे, लेकिन क्या करें कुछ काले, पीलो को यह बात रास नहीं आ रही थी। बहरहाल अब जिनको जहां जाकर जो करना है करें हम तो अब तंग नहीं होते हैं। हमारा ऐसा मानना है कि टिप्पणियों से खास फर्क नहीं पड़ता है।
हमने पहले सोचा था कि हम लिखना ही बंद कर दें कुछ समय लिखने का मन नहीं हो रहा था तो लिखना ही बंद कर दिया था, फिर कुछ मित्रों ने कहा कि यार मैदान छोड़ना ठीक नहीं है। ऐसे में हम वापस मैदान में आ गए हैं, कुछ अच्छा लिखने के लिए। और हमें अपने अच्छा लिखने के एवज में कभी टिप्पणियों की न तो दरकार रही है और न कभी रहेगी। 

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