पाक पहुंचते ही अपनी औकात दिखा दी अफरीदी ने
पाकिस्तानी टीम के कप्तान शाहिद अफरीदी ने अपने देश पहुंचते ही अपनी औकात दिखा दी, और भारतीयों के दिल को छोटा कहने के साथ भारतीय मीडिया को भी गलत बताते हुए कहा कि भारतीय मीडिया की सोच नकारात्मक है। बकौल अफरीदी भारत-पाक के रिश्तों को खराब करने में मीडिया का गंदा रोल है। अफरीदी के इस बयान के बाद अब भारतीयों को सोचना पड़ रहा है अफरीदी ने भारतीय टीम को जीत पर जो बधाई दी थी, वह महज एक दिखावा था। अफरीदी की बधाई से भारत में वे हीरो बन गए थे, लेकिन अब उन्होंने जैसा बयान पाक टीवी को दिया है उसके बाद अब वे जरूर भारतीयों की नजरों में खलनायक बन गए हैं।
भारतीय टीम से जब पाकिस्तान की टीम विश्व कप के सेमीफाइनल में हारी थी तो पाक टीम के कप्तान शाहिद अफरीदी ने जिस तरह से भारतीय टीम को बधाई देने के साथ अपने देश से हार के लिए माफी मांगी थी, उससे लगा था कि वास्तव में अफरीदी का दिल बड़ा है। उनके इस कदम की पूरे देश में तारीफ भी हुई। लेकिन कहते हैं न कि असलीयत बहुत जल्द सामने आ जाती है, तो अफरीदी की भी असलीयत सामने आ गई। पाक पहुंचते ही जिस तरह से अफरीदी ने सूर बदले, उसके बारे में किसी ने सोचा नहीं था। अफरीदी ने भारतीयों के बारे में जो कहा है कि वह निंदनीय है, इसी के साथ भारतीय मीडिया पर उन्होंने जिस तरह से कीचड़ उछालने का काम किया है, वह भी क्षमा योग्य नहीं है। अफरीदी कौन होते हैं, यह फैसला करने वाले की भारतीय मीडिया की सोच नकारात्मक है। जरा अपने मीडिया के गिरेबां में झांककर देख लें कि उसकी सोच कितनी सकारात्मक है। भारत ने हमेशा पाक की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, जबकि हर भारतीय इस बात को अच्छी तरह से जानता है कि पाक कभी दोस्ती के लायक रहा ही नहीं है।
यह अपने देश के बस की ही बात है जो वह पाक की कई करतूतों को बर्दाश्त करता रहा है, भारत के स्थान पर कोई दूसरा देश होता तो अब तक न जाने क्या हो जाता। इतना सब होने के बाद अफरीदी साहब कहते हैं कि भारतीयों का दिल छोटा है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारतीयों का नहीं बल्कि पाकिस्तानियों का दिल छोटा और साथ ही कमजोर भी है। अगर ऐसा नहीं होता तो अफरीदी भारत में कुछ और पाक में जाकर कुछ और नहीं कहते। अगर अफरीदी का दिल इतना ही बड़ा है तो उन्होंने वही बात भारत में मैच हारने के बाद क्यों नहीं कहीं जो वे अब कह रहे हैं। इसके पीछे दो कारण है, एक तो अफरीदी में इतना दम नहीं था कि वे भारत में ऐसी बात कह पाते, दूसरे यह कि वे भारत में रहते हुए यहां हीरो बनना चाहते थे, और अपने देश में जाकर वे भारत की बुराई करके वहां भारत से मिली हार की तरफ से लोगों का ध्यान हटाना चाहते थे। अफरीदी इस बात अच्छी तरह से जानते हैं कि पाकिस्तानी आवाम किसी भी देश से हार बर्दाश्त कर सकता है, भारत से नहीं। ऐसे में अफरीदी को यही एक रास्ता नजर आया कि आवाम का ध्यान हार से हटाने के लिए भारतीयों की जितनी हो सके बुराई की जाए, और उन्होंने वहीं किया है। वैसे भी पाकिस्तानी कब भरोसे के लायक रहे हैं कि उनका भरोसा किया जाए। उन्होंने हमेशा धोखा दिया है और धोखा देते रहेंगे।
भारतीय टीम से जब पाकिस्तान की टीम विश्व कप के सेमीफाइनल में हारी थी तो पाक टीम के कप्तान शाहिद अफरीदी ने जिस तरह से भारतीय टीम को बधाई देने के साथ अपने देश से हार के लिए माफी मांगी थी, उससे लगा था कि वास्तव में अफरीदी का दिल बड़ा है। उनके इस कदम की पूरे देश में तारीफ भी हुई। लेकिन कहते हैं न कि असलीयत बहुत जल्द सामने आ जाती है, तो अफरीदी की भी असलीयत सामने आ गई। पाक पहुंचते ही जिस तरह से अफरीदी ने सूर बदले, उसके बारे में किसी ने सोचा नहीं था। अफरीदी ने भारतीयों के बारे में जो कहा है कि वह निंदनीय है, इसी के साथ भारतीय मीडिया पर उन्होंने जिस तरह से कीचड़ उछालने का काम किया है, वह भी क्षमा योग्य नहीं है। अफरीदी कौन होते हैं, यह फैसला करने वाले की भारतीय मीडिया की सोच नकारात्मक है। जरा अपने मीडिया के गिरेबां में झांककर देख लें कि उसकी सोच कितनी सकारात्मक है। भारत ने हमेशा पाक की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, जबकि हर भारतीय इस बात को अच्छी तरह से जानता है कि पाक कभी दोस्ती के लायक रहा ही नहीं है।
यह अपने देश के बस की ही बात है जो वह पाक की कई करतूतों को बर्दाश्त करता रहा है, भारत के स्थान पर कोई दूसरा देश होता तो अब तक न जाने क्या हो जाता। इतना सब होने के बाद अफरीदी साहब कहते हैं कि भारतीयों का दिल छोटा है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारतीयों का नहीं बल्कि पाकिस्तानियों का दिल छोटा और साथ ही कमजोर भी है। अगर ऐसा नहीं होता तो अफरीदी भारत में कुछ और पाक में जाकर कुछ और नहीं कहते। अगर अफरीदी का दिल इतना ही बड़ा है तो उन्होंने वही बात भारत में मैच हारने के बाद क्यों नहीं कहीं जो वे अब कह रहे हैं। इसके पीछे दो कारण है, एक तो अफरीदी में इतना दम नहीं था कि वे भारत में ऐसी बात कह पाते, दूसरे यह कि वे भारत में रहते हुए यहां हीरो बनना चाहते थे, और अपने देश में जाकर वे भारत की बुराई करके वहां भारत से मिली हार की तरफ से लोगों का ध्यान हटाना चाहते थे। अफरीदी इस बात अच्छी तरह से जानते हैं कि पाकिस्तानी आवाम किसी भी देश से हार बर्दाश्त कर सकता है, भारत से नहीं। ऐसे में अफरीदी को यही एक रास्ता नजर आया कि आवाम का ध्यान हार से हटाने के लिए भारतीयों की जितनी हो सके बुराई की जाए, और उन्होंने वहीं किया है। वैसे भी पाकिस्तानी कब भरोसे के लायक रहे हैं कि उनका भरोसा किया जाए। उन्होंने हमेशा धोखा दिया है और धोखा देते रहेंगे।
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