नवोदित पहले बनते हैं अंपायर फिर खिलाड़ी
रविशंकर विश्व विद्यालय के मैदान में चल रहे साफ्टबॉल के प्रशिक्षण शिविर में आने वाले हर नए खिलाड़ी को बल्लेबाज के पीछे खड़े करके पहले अंपायर बनाया जाता है। अंपायरिंग को समझने के बाद ही खिलाड़ियों को बल्ला दिया जाता है। इस समय प्रशिक्षण लेने वाले 60 खिलाड़ियों में 20 से ज्यादा खिलाड़ी नए हैं।
इस खेल का प्रशिक्षण लेने के लिए रोज सुबह के सत्र में 60 खिलाड़ी आ रहे हैं। इन खिलाड़ियों में 20 से ज्यादा नए खिलाड़ी हैं जो साफ्टबॉल से जुड़े हैं। इन खिलाड़ियों में शामिल शुभांगी, सजल अग्रवाल, रजनी चक्रवर्ती, हातिम हुसैन, ऐजान, उत्सव, शमनदीप सिंह, कौशल, परमेश्वर, निखिल नायक, किशन, कैलाश पटेल, दया सागर, छोटू महानंद, किशन महानंद, रौशनी निषाद, रोहित, वीरू बाग, नरेश निर्मलकर और कैलाश कहते हैं कि वे इस खेल में आए हैं तो उनको इसमें बिलकुल क्रिकेट जैसा रोमांच लग रहा है। सभी एक स्वर में कहते हैं कि हम इस खेल से नियमित रूप से जुड़े रहना चाहते हैं। इन्होंने बताया कि इस खेल की खासियत यह है कि यहां पर हमारे कोच निंगराज रेड्डी सबसे पहले अंपायरिंग कराते हैं, उसके बाद बल्लेबाजी करने या फिर गेंदबाजी करने का मौका देते हैं।
प्रशिक्षक निंगराज रेड्डी ने पूछने पर बताया कि हम नए खिलाड़ियों से अंपायरिंग इसलिए कराते हैं क्योंकि वे जब बल्लेबाज के पीछे खड़े होते हैं तो उनको समझ में आता है कि बॉल किस गति से आती है और बॉल की दिशा किस तरह की होती है। इसी के साथ उनको नियमों के बारे में भी बताया जाता है। खिलाड़ी खेलने से पहले अगर नियमों के बारे में जान जाए तो उनको अच्छा खिलाड़ी बनने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने बताया कि हम नए खिलाड़ियों को बेसिक जानकारी देते हैं इसमें हिटिंग, पीचिंग, थ्रोइंग, और फील्डिंग शामिल हैं। वे कहते हैं कि साफ्टबॉल में भी क्रिकेट जैसा रोमांच है इसलिए इस खेल में खिलाड़ियों को मजा आता है। उन्होंने बताया कि हर साल प्रशिक्षण शिविर में आने वाले नए खिलाड़ियों में कम से कम 50 प्रतिशत खिलाड़ी नियमित अभ्यास करने जरूर आते हैं। प्रशिक्षकों में श्री रेड्डी के साथ प्रदीप साहू और अमित वरु भी दे रहे हैं।
इस खेल का प्रशिक्षण लेने के लिए रोज सुबह के सत्र में 60 खिलाड़ी आ रहे हैं। इन खिलाड़ियों में 20 से ज्यादा नए खिलाड़ी हैं जो साफ्टबॉल से जुड़े हैं। इन खिलाड़ियों में शामिल शुभांगी, सजल अग्रवाल, रजनी चक्रवर्ती, हातिम हुसैन, ऐजान, उत्सव, शमनदीप सिंह, कौशल, परमेश्वर, निखिल नायक, किशन, कैलाश पटेल, दया सागर, छोटू महानंद, किशन महानंद, रौशनी निषाद, रोहित, वीरू बाग, नरेश निर्मलकर और कैलाश कहते हैं कि वे इस खेल में आए हैं तो उनको इसमें बिलकुल क्रिकेट जैसा रोमांच लग रहा है। सभी एक स्वर में कहते हैं कि हम इस खेल से नियमित रूप से जुड़े रहना चाहते हैं। इन्होंने बताया कि इस खेल की खासियत यह है कि यहां पर हमारे कोच निंगराज रेड्डी सबसे पहले अंपायरिंग कराते हैं, उसके बाद बल्लेबाजी करने या फिर गेंदबाजी करने का मौका देते हैं।
प्रशिक्षक निंगराज रेड्डी ने पूछने पर बताया कि हम नए खिलाड़ियों से अंपायरिंग इसलिए कराते हैं क्योंकि वे जब बल्लेबाज के पीछे खड़े होते हैं तो उनको समझ में आता है कि बॉल किस गति से आती है और बॉल की दिशा किस तरह की होती है। इसी के साथ उनको नियमों के बारे में भी बताया जाता है। खिलाड़ी खेलने से पहले अगर नियमों के बारे में जान जाए तो उनको अच्छा खिलाड़ी बनने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने बताया कि हम नए खिलाड़ियों को बेसिक जानकारी देते हैं इसमें हिटिंग, पीचिंग, थ्रोइंग, और फील्डिंग शामिल हैं। वे कहते हैं कि साफ्टबॉल में भी क्रिकेट जैसा रोमांच है इसलिए इस खेल में खिलाड़ियों को मजा आता है। उन्होंने बताया कि हर साल प्रशिक्षण शिविर में आने वाले नए खिलाड़ियों में कम से कम 50 प्रतिशत खिलाड़ी नियमित अभ्यास करने जरूर आते हैं। प्रशिक्षकों में श्री रेड्डी के साथ प्रदीप साहू और अमित वरु भी दे रहे हैं।
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