पेन किलर खाना भारी पड़ा
डोप टेस्ट में फंसे छत्तीसगढ़ के वेटलिफ्टर ओमप्रकाश साहू का कहना है कि उनको पेन किलर खाना भारी पड़ा और वे पहले (ए) डोप टेस्ट में फेल हो गए। अब उनको बी टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार है। इस टेस्ट में फेल होने पर उन पर एक साल का प्रतिबंध लगने के साथ 50 हजार का जर्माना होगा।
बेंगलुरु के प्रशिक्षण शिविर से बाहर किए जाने के बाद रायपुर लौटे ओमप्रकाश साहू ने बताया कि वे प्रशिक्षण शिविर में एक जून को लिए गए उनके डोप टेस्ट की रिपोर्ट 17 जून को आई तो उसमें वे फेल हो गए। टेस्ट में फेल होने पर उन्होंने भारतीय भारोत्तोलन फेडरेशन के महासचिव सहदेव यादव से सीधे बात की तो उनको शिविर से वापस छत्तीसगढ़ जाने के निर्देश दिए गए। श्री साहू ने पूछने पर बताया कि वे प्रशिक्षण शिविर में 30 मई को शामिल हुए थे, वैसे उनको शिविर में 15 मई को जाना था, लेकिन हिप और अंडर आर्म में फूंसी होने के कारण वे नहीं जा सके थे। फूंसी को ठीक करने के लिए ही उन्होंने पेन किलर और उसको सूखाने की दवाई का सहारा लिया था। बकौल श्री साहू उनसे यही गलती हो गई कि उन्होंने किसी डॉक्टर की सलाह लिए बिना ही मेडिकल स्टोर से पेन किलर लेकर खा ली थी पूछने पर उन्होंने बताया कि शिविर में जाने के बाद उन्होंने कोई गोली नहीं खाई थी। डोप टेस्ट लेने वाले अधिकारियों को उन्होंने जानकारी दी थी कि उन्होंने फूंसी के कारण पेन किलर का सेवन किया था। श्री साहू कहते हैं कि उनको इस बात की जानकारी नहीं थी कि वे जिस पेन किलर का सेवन कर रहे हैं, उसमें प्रतिबंध डग्स के अंश हैं। श्री साहू ने कहा कि उन्होंने पेन किलर लेने की जानकारी अपने कोच तेजा सिंह साहू को भी नहीं दी थी।
जुर्माना लगा तो देंगे
श्री साहू पूछने पर कहते हैं कि अगर बी टेस्ट में भी मैं फेल हो जाता हूं तो एक साल का प्रतिबंध लगेगा और मुझ पर 50 हजार का जुर्माना किया जाएगा। वे कहते हैं कि अपने खेल जीवन को बचाने के लिए वे 50 की राशि जरूर फेडरेशन में जमा करेंगे। श्री साहू ने पूछने पर बताया कि वे इसके पहले चार बार डोप टेस्ट दे चुके हैं। तीन बार राष्ट्रीय ग्रामीण खेलों में और एक बार इस साल हरियाणा में खेली गई सब जूनियर चैंपियनशिप में। इन चारों चैंपियनशिप में ओमप्रकाश साहू ने स्वर्ण पदक जीते हैं। वे कहते हैं कि मैं हमेशा डोप टेस्ट में पास हुआ हूं, पहली बार पेन किलर खाने की वजह से फंसा हूं। वे कहते हैं कि मुझे थोड़ा सा भी अंदेशा रहता कि पेन किलर खाने से मैं डोप टेस्ट में फंस सकता हूं तो मैं उसका सेवन कभी नहीं करता।
बेंगलुरु के प्रशिक्षण शिविर से बाहर किए जाने के बाद रायपुर लौटे ओमप्रकाश साहू ने बताया कि वे प्रशिक्षण शिविर में एक जून को लिए गए उनके डोप टेस्ट की रिपोर्ट 17 जून को आई तो उसमें वे फेल हो गए। टेस्ट में फेल होने पर उन्होंने भारतीय भारोत्तोलन फेडरेशन के महासचिव सहदेव यादव से सीधे बात की तो उनको शिविर से वापस छत्तीसगढ़ जाने के निर्देश दिए गए। श्री साहू ने पूछने पर बताया कि वे प्रशिक्षण शिविर में 30 मई को शामिल हुए थे, वैसे उनको शिविर में 15 मई को जाना था, लेकिन हिप और अंडर आर्म में फूंसी होने के कारण वे नहीं जा सके थे। फूंसी को ठीक करने के लिए ही उन्होंने पेन किलर और उसको सूखाने की दवाई का सहारा लिया था। बकौल श्री साहू उनसे यही गलती हो गई कि उन्होंने किसी डॉक्टर की सलाह लिए बिना ही मेडिकल स्टोर से पेन किलर लेकर खा ली थी पूछने पर उन्होंने बताया कि शिविर में जाने के बाद उन्होंने कोई गोली नहीं खाई थी। डोप टेस्ट लेने वाले अधिकारियों को उन्होंने जानकारी दी थी कि उन्होंने फूंसी के कारण पेन किलर का सेवन किया था। श्री साहू कहते हैं कि उनको इस बात की जानकारी नहीं थी कि वे जिस पेन किलर का सेवन कर रहे हैं, उसमें प्रतिबंध डग्स के अंश हैं। श्री साहू ने कहा कि उन्होंने पेन किलर लेने की जानकारी अपने कोच तेजा सिंह साहू को भी नहीं दी थी।
जुर्माना लगा तो देंगे
श्री साहू पूछने पर कहते हैं कि अगर बी टेस्ट में भी मैं फेल हो जाता हूं तो एक साल का प्रतिबंध लगेगा और मुझ पर 50 हजार का जुर्माना किया जाएगा। वे कहते हैं कि अपने खेल जीवन को बचाने के लिए वे 50 की राशि जरूर फेडरेशन में जमा करेंगे। श्री साहू ने पूछने पर बताया कि वे इसके पहले चार बार डोप टेस्ट दे चुके हैं। तीन बार राष्ट्रीय ग्रामीण खेलों में और एक बार इस साल हरियाणा में खेली गई सब जूनियर चैंपियनशिप में। इन चारों चैंपियनशिप में ओमप्रकाश साहू ने स्वर्ण पदक जीते हैं। वे कहते हैं कि मैं हमेशा डोप टेस्ट में पास हुआ हूं, पहली बार पेन किलर खाने की वजह से फंसा हूं। वे कहते हैं कि मुझे थोड़ा सा भी अंदेशा रहता कि पेन किलर खाने से मैं डोप टेस्ट में फंस सकता हूं तो मैं उसका सेवन कभी नहीं करता।
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