संघों के विवाद से साई सेंटर में हॉकी नहीं
राजधानी रायपुर के साई सेंटर में हॉकी के शामिल न होने का एक सबसे बड़ा कारण संघों का विवाद सामने आया है। इस समय राष्ट्रीय स्तर पर ही दो फेडरेशन होने के कारण देश के राष्ट्रीय खेल को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। संघों का विवाद सुलझते ही हॉकी को साई सेंटर में शामिल करने की बात सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान कहते हैं।
रायपुर के साई सेंटर में सात खेलों को शामिल किया गया है। इस सेंटर के प्रारंभ होने से पहले इस बात की उम्मीद थी कि सेंटर में हॉकी को प्रमुखता से रखा जाएगा, क्योंकि जहां हॉकी देश का राष्ट्रीय खेल है, वहीं इस खेल की छत्तीसगढ़ में बहुत ज्यादा प्रतिभाएं हैं। छत्तीसगढ़ के सब जूनियर और जूनियर राष्ट्रीय खिलाड़ी राज्य में एस्ट्रो टर्फ न होने के बाद भी राष्ट्रीय स्तर पर जोरदार खेल दिखाते रहे हैं। केडी सिंह बाबू हॉकी में छत्तीसगढ़ की टीम एक बार उपविजेता रही है। अभी मुंबई में खेली गई अंडर 17 चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ की टीम ने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए क्वार्टर फाइनल में स्थान बनाया। यहां उसे मेजबान मुंबई से भले हार का सामना करना पड़ा, लेकिन छत्तीसगढ़ ने लीग मैचों में जोरदार प्रदर्शन करके कई टीमों को चौका दिया।
साई सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान भी मानते हैं कि छत्तीसगढ़ में हॉकी की प्रतिभाओं की भरमार है। छत्तीसगढ़ का जशपुर क्षेत्र तो हॉकी का गढ़ माना जाता है, इसी तरह से राजनांदगांव को हॉकी की नर्सरी के नाम से जाना जाता है। श्री खान बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में हॉकी की प्रतिभाओं का एक सबसे बड़ा सबूत यह है कि छत्तीसगढ़ की आधा दर्जन बालिका खिलाड़ी साई के भोपाल सेंटर में हैं। यहां यह भी बताना लाजिमी होगा कि छत्तीसगढ़ में साई सेंटर की सुविधा न होने के कारण ही अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सबा अंजुम के साथ मृणाल चौबे को दूसरे राज्यों की शरण में जाना पड़ा था।
विवाद सुलझते ही हॉकी होगा शामिल
सेंटर के प्रभारी कहते हैं कि हॉकी इंडिया और भारतीय हॉकी फेडरेशन के बीच चल रहा विवाद सुलझते ही साई में हॉकी को शामिल करने की पहल होगी। ऐसा होने पर साई भोपाल में प्रशिक्षण लेने वाली खिलाड़ियों को भी अपने राज्य में वापस आने का मौका मिलेगा।
रायपुर के साई सेंटर में सात खेलों को शामिल किया गया है। इस सेंटर के प्रारंभ होने से पहले इस बात की उम्मीद थी कि सेंटर में हॉकी को प्रमुखता से रखा जाएगा, क्योंकि जहां हॉकी देश का राष्ट्रीय खेल है, वहीं इस खेल की छत्तीसगढ़ में बहुत ज्यादा प्रतिभाएं हैं। छत्तीसगढ़ के सब जूनियर और जूनियर राष्ट्रीय खिलाड़ी राज्य में एस्ट्रो टर्फ न होने के बाद भी राष्ट्रीय स्तर पर जोरदार खेल दिखाते रहे हैं। केडी सिंह बाबू हॉकी में छत्तीसगढ़ की टीम एक बार उपविजेता रही है। अभी मुंबई में खेली गई अंडर 17 चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ की टीम ने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए क्वार्टर फाइनल में स्थान बनाया। यहां उसे मेजबान मुंबई से भले हार का सामना करना पड़ा, लेकिन छत्तीसगढ़ ने लीग मैचों में जोरदार प्रदर्शन करके कई टीमों को चौका दिया।
साई सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान भी मानते हैं कि छत्तीसगढ़ में हॉकी की प्रतिभाओं की भरमार है। छत्तीसगढ़ का जशपुर क्षेत्र तो हॉकी का गढ़ माना जाता है, इसी तरह से राजनांदगांव को हॉकी की नर्सरी के नाम से जाना जाता है। श्री खान बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में हॉकी की प्रतिभाओं का एक सबसे बड़ा सबूत यह है कि छत्तीसगढ़ की आधा दर्जन बालिका खिलाड़ी साई के भोपाल सेंटर में हैं। यहां यह भी बताना लाजिमी होगा कि छत्तीसगढ़ में साई सेंटर की सुविधा न होने के कारण ही अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सबा अंजुम के साथ मृणाल चौबे को दूसरे राज्यों की शरण में जाना पड़ा था।
विवाद सुलझते ही हॉकी होगा शामिल
सेंटर के प्रभारी कहते हैं कि हॉकी इंडिया और भारतीय हॉकी फेडरेशन के बीच चल रहा विवाद सुलझते ही साई में हॉकी को शामिल करने की पहल होगी। ऐसा होने पर साई भोपाल में प्रशिक्षण लेने वाली खिलाड़ियों को भी अपने राज्य में वापस आने का मौका मिलेगा।
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