बच्चे पहले, फिल्में बाद में
मैंने आइटम सांग में पूरे कपड़े पहने हैं: रवीना
सात साल बाद बुड्ढा होगा तेरा बाप से फिल्मों में वापसी करने वाली फिल्म स्टार रवीना टंडन का कहना है कि अब पहले बच्चे, फिल्में बाद में। जिस दिन बच्चे कह देंगे कि मम्मी अब हम आपके बिना घर में रह सकते हैं उस दिन ज्यादा फिल्मों के बारे में सोचूंगी। अभी बच्चों को मेरी ज्यादा जरुरत है।
यहां पर ओलंपिक दौड़ में शामिल होने आई रवीना ने शाम को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि उनको फिल्मों में वापसी की खुशी है और सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि उनको बिग-बी अमिताभ बच्चन के साथ फिल्मों में वापसी करने का मौका मिल रहा है। रवीना पूछने पर कहती हैं कि लगातार 18-19 साल काम करने के बाद एक ब्रेक जरूरी था, और वह ब्रेक मुझे शादी करने से मिला। आज मेरे लिए अपना परिवार प्राथमिकता है। अभी मेरे बच्चे छोटे हैं, इसलिए मैं ज्यादा फिल्मों के बारे में भी नहीं सोच रही हूं। जिस दिन बच्चे कहेंगे कि मम्मी अब हम आपके बिना रह सकते हैं, तब सोचूंगी।
रवीना एक सवाल पर खुश होते हुए कहती हैं कि उनसे भी फिल्म जगत में कहा जा रहा है कि मेरा आइटम सांग मुन्नी और शीला को पीछे छोड़ देगा। इस बात की मुझे खुशी होती है। लेकिन मैं एक बात साफ कर देना चाहता हूं कि एक तो मेरे गाने को आइटम सांग कहना ठीक नहीं है, दूसरे यह कि मैंने इस गाने में पूरे कपड़े पहने हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि उनकी फिल्मों में सत्ता, अंदाज अपना-अपना, शूल, पत्थर के फूल उनकी पंसदीदा फिल्में हैं। रवीना को मुंबई फिल्म जगत को वालीबुड कहने पर आपति है, वह कहती हैं कि फिल्म उद्योग, फिल्म जगत कहना ज्यादा ठीक है।
खेलों को मिले सपोट
ओलंपिक दौड़ में शामिल होने आई रवीना का कहना है कि अपने देश में खेलों को सपोट की जरूरत है। हमारे जैसे हर स्टार को खेलों को आगे बढ़ाने के लिए आगे आना चाहिए। यह अपने देश का दुर्भाग्य है कि देश का राष्ट्रीय खेल हॉकी होने के बाद भी क्रिकेट को ज्यादा महत्व मिलता है। आज हर खेल में साधनों की कमी है। उन्होंने कहा कि मुझे छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के महासचिव बलदेव सिंह भाटिया ने बताया कि छत्तीसगढ़ में खेलों को उद्योगों से गोद दिलाने का काम किया गया है। ऐसी ही पहल पूरे देश में होनी चाहिए। निजी क्षेत्र के आगे आए बिना खेलों का विकास संभव नहीं है। रवीना कहती हैं कि चक दे इंडिया जैसे फिल्में बननी चाहिए। उनको इस बात पर आश्चर्य होता है कि चक दे इंडिया तो हॉकी के लिए बनी थी, लेकिन क्रिकेट में जीतने के लिए भी चक दे इंडिया कहा जाता है।
मल्लेश्वरी का आटोग्राफ लूंगी
पत्रकारों से चर्चा के समय साथ में बैठी ओलंपियन कर्णम मल्लेश्वरी के बारे में उन्होंने कहा कि देश के असली स्टार तो ये लोग हैं। उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि आज मैं मंच पर मल्लेश्वरी के साथ बैठी हूं। मैं तो इनका आटोग्राफ लेकर जाऊंगी।
एयरपोर्ट भी खींची चिडिया की फोटो
रवीना ने बताया कि वह दूसरी बार रायपुर आई हैं। इसके पहले सात-आठ साल पहले आई थीं, तब भी रायपुर खुबसूरत था आज भी है। मैं जैसे ही एयरपोर्ट से बाहर निकली तो वहां पर खुबसूरत चिडिया को देखकर फोटो खींचने लगी, तो सुरक्षाकर्मियों ने कहा कि मैडम यहां फोटो खींचना मना है। मैंने देखा कि सुरक्षा कर्मियों के साथी मेरी फोटो खींच रहे थे, मैंने उनसे कहा भाई साहब पहले इनको तो मना करो, मैं तो फिर भी चिडिया की फोटो खींच रही हूं, ये तो मेरी खींच रहे हैं।
सात साल बाद बुड्ढा होगा तेरा बाप से फिल्मों में वापसी करने वाली फिल्म स्टार रवीना टंडन का कहना है कि अब पहले बच्चे, फिल्में बाद में। जिस दिन बच्चे कह देंगे कि मम्मी अब हम आपके बिना घर में रह सकते हैं उस दिन ज्यादा फिल्मों के बारे में सोचूंगी। अभी बच्चों को मेरी ज्यादा जरुरत है।
यहां पर ओलंपिक दौड़ में शामिल होने आई रवीना ने शाम को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि उनको फिल्मों में वापसी की खुशी है और सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि उनको बिग-बी अमिताभ बच्चन के साथ फिल्मों में वापसी करने का मौका मिल रहा है। रवीना पूछने पर कहती हैं कि लगातार 18-19 साल काम करने के बाद एक ब्रेक जरूरी था, और वह ब्रेक मुझे शादी करने से मिला। आज मेरे लिए अपना परिवार प्राथमिकता है। अभी मेरे बच्चे छोटे हैं, इसलिए मैं ज्यादा फिल्मों के बारे में भी नहीं सोच रही हूं। जिस दिन बच्चे कहेंगे कि मम्मी अब हम आपके बिना रह सकते हैं, तब सोचूंगी।
रवीना एक सवाल पर खुश होते हुए कहती हैं कि उनसे भी फिल्म जगत में कहा जा रहा है कि मेरा आइटम सांग मुन्नी और शीला को पीछे छोड़ देगा। इस बात की मुझे खुशी होती है। लेकिन मैं एक बात साफ कर देना चाहता हूं कि एक तो मेरे गाने को आइटम सांग कहना ठीक नहीं है, दूसरे यह कि मैंने इस गाने में पूरे कपड़े पहने हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि उनकी फिल्मों में सत्ता, अंदाज अपना-अपना, शूल, पत्थर के फूल उनकी पंसदीदा फिल्में हैं। रवीना को मुंबई फिल्म जगत को वालीबुड कहने पर आपति है, वह कहती हैं कि फिल्म उद्योग, फिल्म जगत कहना ज्यादा ठीक है।
खेलों को मिले सपोट
ओलंपिक दौड़ में शामिल होने आई रवीना का कहना है कि अपने देश में खेलों को सपोट की जरूरत है। हमारे जैसे हर स्टार को खेलों को आगे बढ़ाने के लिए आगे आना चाहिए। यह अपने देश का दुर्भाग्य है कि देश का राष्ट्रीय खेल हॉकी होने के बाद भी क्रिकेट को ज्यादा महत्व मिलता है। आज हर खेल में साधनों की कमी है। उन्होंने कहा कि मुझे छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के महासचिव बलदेव सिंह भाटिया ने बताया कि छत्तीसगढ़ में खेलों को उद्योगों से गोद दिलाने का काम किया गया है। ऐसी ही पहल पूरे देश में होनी चाहिए। निजी क्षेत्र के आगे आए बिना खेलों का विकास संभव नहीं है। रवीना कहती हैं कि चक दे इंडिया जैसे फिल्में बननी चाहिए। उनको इस बात पर आश्चर्य होता है कि चक दे इंडिया तो हॉकी के लिए बनी थी, लेकिन क्रिकेट में जीतने के लिए भी चक दे इंडिया कहा जाता है।
मल्लेश्वरी का आटोग्राफ लूंगी
पत्रकारों से चर्चा के समय साथ में बैठी ओलंपियन कर्णम मल्लेश्वरी के बारे में उन्होंने कहा कि देश के असली स्टार तो ये लोग हैं। उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि आज मैं मंच पर मल्लेश्वरी के साथ बैठी हूं। मैं तो इनका आटोग्राफ लेकर जाऊंगी।
एयरपोर्ट भी खींची चिडिया की फोटो
रवीना ने बताया कि वह दूसरी बार रायपुर आई हैं। इसके पहले सात-आठ साल पहले आई थीं, तब भी रायपुर खुबसूरत था आज भी है। मैं जैसे ही एयरपोर्ट से बाहर निकली तो वहां पर खुबसूरत चिडिया को देखकर फोटो खींचने लगी, तो सुरक्षाकर्मियों ने कहा कि मैडम यहां फोटो खींचना मना है। मैंने देखा कि सुरक्षा कर्मियों के साथी मेरी फोटो खींच रहे थे, मैंने उनसे कहा भाई साहब पहले इनको तो मना करो, मैं तो फिर भी चिडिया की फोटो खींच रही हूं, ये तो मेरी खींच रहे हैं।
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