ये 31 और 34 का क्या लोचा है
कल हमने अपने ब्लाग राजतंत्र का सक्रियता क्रमांक अपने ब्लाग में 31 देखा। जब हम चिट्ठा जगत में गए तो वहां हमें अपने ब्लाग का सक्रियता क्रमांक 34 नजर आया। ऐसा महज हमारे ब्लाग के साथ नहीं बल्कि और भी कई ब्लागों के साथ नजर आया। आखिर ये लोचा क्या है। क्या इसके पीछे तकनीकी गड़बड़ी है या फिर और कोई कारण है। आज वैसे सब ठीक हो गया है। आज हमारे ब्लाग का सक्रियता क्रमांक ब्लाग और चिट्ठा जगत में एक जैसा है।
6 टिप्पणियाँ:
तुम जैसे ब्लाग जगत के नासूरों के कारण ही अच्छा लिखने वाले नहीं लिख पाते हैं। हम नहीं चाहते हैं कि अपने ब्लाग में टिप्पणियों का रास्ता बंद करें, लेकिन तुम जैसे लोग यूं ही परेशान करते रहे तो हमें ऐसा करना पडेगा। हम ब्लाग जगत में टिप्पणी पाने नहीं आए हैं समझे फर्जी आदमी
एक बात और हमारी कल की पोस्ट गुमराह करने वाली नहीं सच्ची है। हम लगातार यौन शोषण के मुद्दे पर लिख रहे हैं।
कृपया इस विवाद को इतना ना बढ़ाएं, इतने निचले स्तर तक ना ले जायें, भाषा का सम्मान बरकरार रखने की कृपा करें। हम माफी मांगते हुए अपनी टिप्पणी को वापस ले लेते हैं। लेकिन इतनी जिद भी ठीक नहीं है। आप 20 साल से पत्रकारिता कर रहे हैं, ताकतवर हैं। लेकिन ताकत का इतना नशा भी ठीक नहीं होता है भाई साहब।
न तो हम निचले स्तर तक जाते हैं, न ही ताकत का नशा करते हैं। लेकिन तुम जैसे फर्जी आदमी से बात करने का क्या फायदा जिसमें अपने सही नाम से सामने आने की हिम्मत ही नहीं है। वैसे हम जानते हैं कि इसके पहले भी तुम और कुछ नामों से हमारे ब्लाग में आते रहे हो अगर हमसे इतनी ही दिक्कत है या डर है तो बता दें। हमें ब्लाग लिखने के लिए पैसे नहीं मिलते हैं। एक तरह से हम अपना समय ही खराब करते हैं। समय खराब करने के बाद तुम जैसे फर्जी लोगों की सुनने का हमें शौक नहीं है। हम ब्लाग जगत में समाज की सेवा करने आएं हैं, लेकिन यहां तुम जैसे लोग अच्छा काम करने वालों के रास्ते में आकर उनको रोकने का काम करते हैं।
भाई साहब, हमने माफी मांग ली ना, खत्म कीजिये इस विवाद को। हमको ना आपसे कोई दिक्कत है हां डर अवश्य है, क्योंकि आप मीडिया में हैं। आपकी समाज सेवा में रोड़े अटकाने का हमारा कई इरादा नहीं है। आप गुस्सा जल्दी हो जाते हैं। हमारा मानना है कि टिप्पणियों को खेल भावना से लेना चाहिये। आप तो वैसे भी दो दशक से ज़्यादा से स्थानीय स्तर की खेल पत्रकारिता कर रहे हैं, इसे आपसे ज़्यादा कौन समझ सकता है।
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