अरमानों की चिता हमें जलाने दो
कर दो अंधेरा तन्हाई में हमें रोने दो
दिल के रिस्ते जख्मों को अश्कों से भिगोने दो।।
हुए अकेले उनके जुदा होने पर
कोई नहीं अपना ये अहसास करने दो।।
बदकिस्मती अपनी जो वो दूर हुए
दिल की ख्लाहिशों को अब मरने दो।।
उन्हें तो अब सब अपनी की फिक्र है
गम के सागर में हमें डुबने दो।।
टूट गया दिल, उजड़ गया आशियाना
अरमनों की चिता हमें अब जलाने दो।।
(यह कविता भी हमारी 20 साल पुरानी डायरी की है)
दिल के रिस्ते जख्मों को अश्कों से भिगोने दो।।
हुए अकेले उनके जुदा होने पर
कोई नहीं अपना ये अहसास करने दो।।
बदकिस्मती अपनी जो वो दूर हुए
दिल की ख्लाहिशों को अब मरने दो।।
उन्हें तो अब सब अपनी की फिक्र है
गम के सागर में हमें डुबने दो।।
टूट गया दिल, उजड़ गया आशियाना
अरमनों की चिता हमें अब जलाने दो।।
(यह कविता भी हमारी 20 साल पुरानी डायरी की है)
7 टिप्पणियाँ:
अब पुरानी यादों को इसी तरह संजोने दो। अपने सुविचारों से, भावनाओं से सरित प्रवाह होने दो। बहुत सुन्दर कविता राज भाई।
बहुत उम्दा रचना...आनन्द आ गया.
sundar...puranaa ''maal'' bhi samane aane do. taza bhi taiyar karo. tum kavitaa likh sakate ho.
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
आपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं
emotional kar diya aapne..
भावपूर्ण रचना...२० साल बाद अवश्य परिवर्तन आया होगा
20 साल पुरानी रचना भी दिल पर सीधे असर कर गयी, इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।
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पॉल बाबा की जादुई शक्ति के राज़।
सावधान, आपकी प्रोफाइल आपके कमेंट्स खा रही है।
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