उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को नौकरी जल्द
प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को नौकरी दिलाने के लिए खेलमंत्री लता उसेंडी ने कमर कस ली है। खेलमंत्री लगातार सामान्य प्रशासन विभाग से बात रही हैं कि नियमों का क्या हुआ। खेलमंत्री की मानें तो जुलाई का माह खिलाडिय़ों के लिए खुशखबरी लेकर आएगा। सामान्य प्रशासन विभाग नियम बनाने में लगा हुआ है। नियम बनने के बाद ही जिन विभागों में पद खाली होंगे उन विभागों में इनकी भर्ती की जाएगी। खेल विभाग ने अपने विभाग में भी उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की भर्ती करने की मांग शासन के सामने रखी है। इस समय खेल विभाग में कई पद खाली हैं।
प्रदेश सरकार ने राज्य के ७० खिलाडिय़ों को करीब सात माह पहले उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया है। उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होने के बाद खिलाडिय़ों को उम्मीद थी कि अब उनको नौकरी मिल जाएगी और उनका लंबा इंतजार समाप्त हो जाएगा। लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है और खिलाड़ी लगातार खेल विभाग में फोन करके यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि आखिर उनको नौकरी कब मिलेगी। खिलाड़ी मीडिया से भी लगातार पूछ रहे हैं कि उनकी नौकरी का क्या हुआ। कई खिलाड़ी निरंतर हरिभूमि से जानने का प्रयास कर रहे हैं कि उनको नौकरी कब मिलेगी। ऐसे में जब हरिभूमि ने इस बारे में खेलमंत्री लता उसेंडी से बात की तो उन्होंने बताया कि हमारा विभाग तो लगातार इस प्रयास में है कि खिलाडिय़ों को जल्द से जल्द नौकरी मिल जाए। इसके लिए विभाग सामान्य प्रशासन के साथ मिलकर नौकरी के नियम बनाने में लगा है। विभाग चाहता है कि एक बार ऐसे नियम बन जाए जिससे खिलाडिय़ों को परेशानी न हो। उन्होंने बताया कि सामान्य प्रशासन में नियम बनाने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि वह खुद लगातार इस बारे में सामान्य प्रशासन विभाग में बात कर रही है कि नियमों का क्या हो रहा है। खेलमंत्री बताया कि संभवत: जुलाई का माह खिलाडिय़ों के लिए खुशखबरी लेकर आएगा।
मुख्यमंत्री से भी मिल चुके हैं खिलाड़ी
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दरबार में राज्य के करीब एक दर्जन उत्कृष्ट खिलाड़ी पिछले माह गए थे। इन्होंने मुख्यमंत्री को बताया था कि उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होने के छह माह बाद भी वे लोग भटक रहे हैं और उनको नौकरी नहीं दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने खिलाडिय़ों की व्यथा सुनने के बाद खेल सचिव से इस दिशा में तत्काल कार्रवाई करने कहा था। मुख्यमंत्री के दरबार में रीना साहू, इशरत जहां, सुनीता टोपो, डी. राजु, विनिता, इम्तियाज, इशरत अंजुम, साइमा अंजुम सहित करीब एक दर्जन खिलाड़ी गए थे और उनके सामने अपनी व्यथा रखी थी। खेल और खिलाडिय़ों के प्रति हमेशा अच्छा सोचने वाले मुख्यमंत्री ने खिलाडिय़ों से विस्तार से बात की थी और उनको आश्वासन दिया कि राज्य के खिलाडिय़ों को सरकार जल्द ही नौकरी देने का काम करेगी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए राज्य के खेल सचिव को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के आश्वासन के एक माह बाद भी इस दिशा में कुछ नहीं हो सका है।
खिलाड़ी प्रमाणपत्र वापस करने की तैयारी में
मुख्यमंत्री के दरबार में फरियाद करने के बाद भी कुछ न होने से परेशान खिलाडिय़ों ने अब मन बनाया है कि अगर उनको जल्द नौकरी नहीं मिलती है तो वे अपने प्रमाणपत्र मुख्यमंत्री को लौट देंगे। इनका कहना है कि ऐसे प्रमाणपत्र को लेकर क्या करें जिसके मिलने के बाद भी नौकरी के लिए भटकना पड़ रहा है। खिलाड़ी कहते हैं कि एक तो राज्य बनने के १० साल बाद खिलाडिय़ों के लिए मौका आया तो उसमें भी इतना विलंब किया जा रहा है। खिलाड़ी कहते हैं कि होना तो यह चाहिए कि प्रमाणपत्र के साथ नौकरी की नियुक्त पत्र भी दिया जाए।
प्रमाणपत्र के साथ नियुक्ति पत्र भी
प्रदेश की खेलमंत्री लता उसेंडी मानती है कि खिलाडिय़ों को नौकरी मिलने में विलंब हो रहा है, लेकिन इसी के साथ वह कहती हैं कि यह एक बार की ही परेशानी है एक बार नियम बन जाए तो परेशानी नहीं होगी। एक सवाल के जवाब में वह कहती हैं कि उनका भी ऐसा मानना है कि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को प्रमाणपत्र के साथ नियुक्ति पत्र भी दिया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रयास किया जाएगा कि यह संभव हो और अगली बार जब मुख्यमंत्री खिलाडिय़ों को प्रमाणपत्र दें तो इसके साथ उनको नियुक्ति पत्र भी दिलाया जाए।
खेल विभाग में भर्ती हो
खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि एक तो खिलाड़ी भी चाहते हैं कि उनकी भर्ती खेल विभाग में हो विभाग भी चाहता है कि खिलाडिय़ों की भर्ती इस विभाग में हो। इस समय खेल विभाग ही ऐसा विभाग है जिसमें सबसे कम स्टाप है। ऐसे में विभाग ने शासन को इस विभाग में भी उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को भी भर्ती करने की मांग रखी है। इसके अलावा शिक्षा विभाग और आदिम जाति और कल्याण विभाग में भी खिलाडिय़ों को भर्ती करने की मांग रखी गई है। उन्होंने बताया कि तृतीय वर्ग के लिए हर विभाग में भर्ती होगी, लेकिन द्वितीय वर्ग के लिए कुछ चुने गए विभाग ही रखे गए हैं। इसी के साथ इसके लिए पीएससी से भी अनुमति लेनी पड़ेगी।
प्रदेश सरकार ने राज्य के ७० खिलाडिय़ों को करीब सात माह पहले उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया है। उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होने के बाद खिलाडिय़ों को उम्मीद थी कि अब उनको नौकरी मिल जाएगी और उनका लंबा इंतजार समाप्त हो जाएगा। लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है और खिलाड़ी लगातार खेल विभाग में फोन करके यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि आखिर उनको नौकरी कब मिलेगी। खिलाड़ी मीडिया से भी लगातार पूछ रहे हैं कि उनकी नौकरी का क्या हुआ। कई खिलाड़ी निरंतर हरिभूमि से जानने का प्रयास कर रहे हैं कि उनको नौकरी कब मिलेगी। ऐसे में जब हरिभूमि ने इस बारे में खेलमंत्री लता उसेंडी से बात की तो उन्होंने बताया कि हमारा विभाग तो लगातार इस प्रयास में है कि खिलाडिय़ों को जल्द से जल्द नौकरी मिल जाए। इसके लिए विभाग सामान्य प्रशासन के साथ मिलकर नौकरी के नियम बनाने में लगा है। विभाग चाहता है कि एक बार ऐसे नियम बन जाए जिससे खिलाडिय़ों को परेशानी न हो। उन्होंने बताया कि सामान्य प्रशासन में नियम बनाने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि वह खुद लगातार इस बारे में सामान्य प्रशासन विभाग में बात कर रही है कि नियमों का क्या हो रहा है। खेलमंत्री बताया कि संभवत: जुलाई का माह खिलाडिय़ों के लिए खुशखबरी लेकर आएगा।
मुख्यमंत्री से भी मिल चुके हैं खिलाड़ी
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दरबार में राज्य के करीब एक दर्जन उत्कृष्ट खिलाड़ी पिछले माह गए थे। इन्होंने मुख्यमंत्री को बताया था कि उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होने के छह माह बाद भी वे लोग भटक रहे हैं और उनको नौकरी नहीं दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने खिलाडिय़ों की व्यथा सुनने के बाद खेल सचिव से इस दिशा में तत्काल कार्रवाई करने कहा था। मुख्यमंत्री के दरबार में रीना साहू, इशरत जहां, सुनीता टोपो, डी. राजु, विनिता, इम्तियाज, इशरत अंजुम, साइमा अंजुम सहित करीब एक दर्जन खिलाड़ी गए थे और उनके सामने अपनी व्यथा रखी थी। खेल और खिलाडिय़ों के प्रति हमेशा अच्छा सोचने वाले मुख्यमंत्री ने खिलाडिय़ों से विस्तार से बात की थी और उनको आश्वासन दिया कि राज्य के खिलाडिय़ों को सरकार जल्द ही नौकरी देने का काम करेगी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए राज्य के खेल सचिव को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के आश्वासन के एक माह बाद भी इस दिशा में कुछ नहीं हो सका है।
खिलाड़ी प्रमाणपत्र वापस करने की तैयारी में
मुख्यमंत्री के दरबार में फरियाद करने के बाद भी कुछ न होने से परेशान खिलाडिय़ों ने अब मन बनाया है कि अगर उनको जल्द नौकरी नहीं मिलती है तो वे अपने प्रमाणपत्र मुख्यमंत्री को लौट देंगे। इनका कहना है कि ऐसे प्रमाणपत्र को लेकर क्या करें जिसके मिलने के बाद भी नौकरी के लिए भटकना पड़ रहा है। खिलाड़ी कहते हैं कि एक तो राज्य बनने के १० साल बाद खिलाडिय़ों के लिए मौका आया तो उसमें भी इतना विलंब किया जा रहा है। खिलाड़ी कहते हैं कि होना तो यह चाहिए कि प्रमाणपत्र के साथ नौकरी की नियुक्त पत्र भी दिया जाए।
प्रमाणपत्र के साथ नियुक्ति पत्र भी
प्रदेश की खेलमंत्री लता उसेंडी मानती है कि खिलाडिय़ों को नौकरी मिलने में विलंब हो रहा है, लेकिन इसी के साथ वह कहती हैं कि यह एक बार की ही परेशानी है एक बार नियम बन जाए तो परेशानी नहीं होगी। एक सवाल के जवाब में वह कहती हैं कि उनका भी ऐसा मानना है कि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को प्रमाणपत्र के साथ नियुक्ति पत्र भी दिया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रयास किया जाएगा कि यह संभव हो और अगली बार जब मुख्यमंत्री खिलाडिय़ों को प्रमाणपत्र दें तो इसके साथ उनको नियुक्ति पत्र भी दिलाया जाए।
खेल विभाग में भर्ती हो
खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि एक तो खिलाड़ी भी चाहते हैं कि उनकी भर्ती खेल विभाग में हो विभाग भी चाहता है कि खिलाडिय़ों की भर्ती इस विभाग में हो। इस समय खेल विभाग ही ऐसा विभाग है जिसमें सबसे कम स्टाप है। ऐसे में विभाग ने शासन को इस विभाग में भी उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को भी भर्ती करने की मांग रखी है। इसके अलावा शिक्षा विभाग और आदिम जाति और कल्याण विभाग में भी खिलाडिय़ों को भर्ती करने की मांग रखी गई है। उन्होंने बताया कि तृतीय वर्ग के लिए हर विभाग में भर्ती होगी, लेकिन द्वितीय वर्ग के लिए कुछ चुने गए विभाग ही रखे गए हैं। इसी के साथ इसके लिए पीएससी से भी अनुमति लेनी पड़ेगी।
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