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शुक्रवार, जुलाई 23, 2010

गोवा में लड़कियों से छेड़छाड़-जोर-जबरदस्ती का प्रयास

छत्तीसगढ़ के खेल जगत का वह काला दिन था गोवा में खेलने गई स्कूली खिलाडिय़ों से साथ उनके साथ गए प्रशिक्षकों ने छेड़छाड़ की और जोर-जबरदस्ती करने का प्रयास किया। इस घटना से पहले एक घटना भिलाई में तब हुई थी जब राज्य जूडो चैंपियनशप के अंतिम दिन कोरबा के एक कोच ठाकुर बहादुर ने अपने ही शहर की एक महज 13 साल की खिलाड़ी के साथ बलात्कार करने का घिनौना काम किया। उस कोच को ऐसा करने में सफलता मिली थी तो उसके पीछे भी कहानी है। यह तो मामला न जाने किसी कारण से खुल गया, वरना ऐसी न जाने राज्य और देश में कितनी चैंपियनशिप होती हैं जहां पर प्रशिक्षक आसानी से अपनी खिलाडिय़ों का यौन शोषण करने में सफल हो जाते हैं और किसी को कानों-कान खबर भी नहीं होती है। भिलाई वाले कांड की बात करें तो वहां पर कोच ने जिस तरह से रात को 12 बजे खिलाड़ी को प्रमाणपत्र देने के बहाने से अपने कमरे में बुलाया और अपनी हवस पूरी की, उससे एक बात का तो खुलासा हो गया कि किसी भी कोच द्वारा अपनी खिलाडिय़ों को रात को कमरे में बुलाना आम बात है। और जब खिलाड़ी कोच के साथ कमरे में रात को अकेले रहती हैं तो वह कोच आसानी से अपनी मनमर्जी करने लगते हैं। ऐसे समय में जब खिलाड़ी द्वारा विरोध किया जाता है तो उसे जहां राष्ट्रीय फिर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनाने और नौकरी आदि लगाने का प्रलोभन दिया जाता है, वहीं बात न बनने पर डराने का भी काम किया जाता है। यहां पर ज्यादातर खिलाड़ी समझौता कर लेती हैं, काफी कम खिलाड़ी ऐसी होती हैं जो वैसा साहस दिखा पाती है जैसा साहस दिखाने का काम कोरबा की उसी छोटी सी खिलाड़ी ने दिखाया। अब कोरबा की उस खिलाड़ी ने ऐसा साहस किया है तो इससे यौन शोषण का शिकार होने वाली खिलाडिय़ों को भी सबक लेते हुए अपने उन सफेदपोश प्रशिक्षकों को बेनकाब करने का काम करना चाहिए जो उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर अपनी हवस की आग बुझाने का काम करते हैं। वैसे कोरबा की खिलाड़ी वाला मामला तो एक तरह से बलात्कार का मामला है और ऐसा करने वाले कोच को जेल की हवा भी खानी पड़ी है। अब अगर ऐसे मामलों की बात करें तो खुल कर सामने नहीं आ पाते हैं तो वो भी एक तरह से बलात्कार के ही मामले हैं, पर चूंकि वे मामले सामने नहीं आ पाते हैं ऐसे में उन पर बलात्कार की धारा नहीं लग पाती है, लेकिन वास्तव में है तो वो भी बलात्कार। सोचने वाली बात है कि ऐसा क्या कारण है जो खेल और खिलाडिय़ों के साथ बलात्कार करने वालों को समाज के सामने करने का साहस खिलाड़ी नहीं दिखा पा रही हैं।

2 टिप्पणियाँ:

पट्ठा प्रिंस शुक्र जुल॰ 23, 08:46:00 am 2010  
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
कडुवासच शुक्र जुल॰ 23, 01:15:00 pm 2010  

..aise logon ko patak patak kar peetanaa chaahiye !!!!

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