यौन शोषण की जानकारी रखने वाले सामने आएं
हम बात करें ऐसे कुछ मामलों की जो यह बताते हैं कि किस तरह से प्रदेश की महिला खिलाडिय़ों का यौन शोषण हो रहा है। जब जगदलपुर में एक बार स्कूली खेलों की राज्य चैंपियनशिप का आयोजन किया गया तो वहां पर टीम के साथ गए हॉकी टीम के कुछ खिलाडिय़ों ने हॉकी टीम की बालिका खिलाडिय़ों के साथ बस में खुले आम गंदी हरकतें कीं। इन सबकी शिकायत होने पर जांच हुई और दोषी खिलाडिय़ों के खेलने पर प्रतिंबध लगा दिया गया।
शिक्षा विभाग का यह काम तारीफ के काबिल तो था, पर उस समय शिक्षा विभाग के अधिकारियों को क्यों सांप सूंघ जाता है जब ऐसे मामलों में उनके विभाग से जुड़े लोग शामिल रहते हैं। तब ऐसे लोगों पर क्यों कार्रवाई नहीं की जाती है। गोवा कांड के सामने आने के बाद कुछ खेल शिक्षकों पर कार्रवाई हुई, फिर इनकी बहाली के साथ ही मामला दबा दया गया। ऐसे लोगों पर आज तक कोई ठोस कार्रवाई न होने के बारे में मालूम किया गया तो यह बातें सामने आईं कि ऐसे लोगों पर इसलिए भी कार्रवाई नहीं होती है क्योंकि ऐसे लोग अपने अधिकारियों के लिए भी वह सब इंतजाम कर देते हैं जिसकी उनको जरूरत रहती है। इन जरूरतों में पैसों से लेकर शराब और शबाब भी शामिल है।
ऐसे में यह बात आसानी से समझी जा सकती है कि जिन खिलाडिय़ों का यौन शोषण होता है वो इसलिए भी सामने नहीं आतीं क्योंकि उनको मालूम रहता है कि उनका जो यौन शोषण कर रहे हैं उनकी पहुंच ऊपर तक है। जो बातें स्कूली खेलों में हैं वहीं कॉलेज और ओपन वर्ग में भी हैं। ओपन वर्ग में यह ज्यादा है। कारण साफ है जहां ओपन वर्ग का महत्व ज्यादा है, वहीं ओपन वर्ग में टीमें भेजने का काम खेल संघ करते हैं और खेल संघों पर कोई सरकारी लगाम नहीं होती है। स्कूली और कॉलेज स्तर पर तो सरकारी लगाम के कारण कुछ खौफ रहता है, पर ओपन वर्ग में किसी कोच या खेल संघ का पदाधिकारी का सरकार क्या कर लेगी। आज यही कारण है कि खेलों में महिला खिलाडिय़ों की कमी होती जा रही है।
कोई भी पालक आज अपनी लड़कियों को खेलने भेजने की मंजूरी नहीं देते हैं। ज्यादातर जो लड़कियां खेलों में आ रही हैं उनके साथ पालक हर पल साथ लग रहते हैं, या फिर उनको अपनी लड़की या फिर जिसके संरक्षण में वे उसको दे रहे हैं उन पर उनको पूरा भरोसा है। हमारे इस लेख का यह मतलब कदापि नहीं है कि खेलों से जुड़े सभी कोच, खेल संघों से जुड़े लोग या फिर पुरुष खिलाड़ी यौन शोषण करने वाले ही होते हैं। पर ऐसे लोग समाज में हैं तो जरूर। वैसे भी यह प्रकृति का नियम है कि अच्छाई के साथ बुराई भी होती है। ऐसे में खेल जगत इससे कैसे अछूता रह सकता है। खेलों में जहां खेलों को गंदा करने वाले हैं, वहीं ऐसे भी कई कोच, खेलों से जुड़े लोग और खिलाड़ी हैं जो वास्तव में खेल और खिलाडिय़ों के लिए कुछ करना चाहते हैं। यही कारण है कि खेलों में भारी गंदगी होने के बाद भी खेल जिंदा हैं और ऐसे जिंदा दिल लोग भी जिंदा हैं जो सब कुछ जानने के बाद भी अपनी लड़कियों को खेलों में भेजने का साहस करते हैं। ऐसे सभी लोग साधूवाद और सलाम के पात्र हैं। हम ऐसे लोगों को सलाम करते हैं और साथ ही यह भी चाहते हैं कि ऐसी खिलाडिय़ों को जरूर सामने आना चाहिए जिनका यौन शोषण किया जाता है। एक तो सबसे पहले इसका विरोध होना चाहिए। अगर इसका विरोध नहीं होगा तो वह दिन दूर नहीं जब अपने राज्य ही क्या पूरे देश में महिला खिलाडिय़ों का अकाल पड़ जाएगा। और ऐसा हो भी रहा है।
आज लगातार देश में महिला खिलाडिय़ों की कमी होती जा रही हैं। और इनमें अपना राज्य भी शामिल है। अब इससे पहले की महिला खिलाडिय़ों का पूरी तरह से अकाल पड़ जाए, कुछ तो करना होगा। जब यह बात जगजाहिर है कि यौन शोषण करने वालों के अलावा अच्छे लोग भी खेलों से जुड़े हुए हैं तो क्या ऐसे में अब ऐसे लोगों को भी उस आदिवासी खिलाड़ी की तरह सामने आने का साहस नहीं करना चाहिए जिस खिलाड़ी ने अपने कोच पर आरोप लगाया था। अगर उस खिलाड़ी की तरह से और कुछ खिलाड़ी और यौन शोषण की जानकारी रखने वाले सामने आ जाए तो यह बात तय है कि खेलों को गंदा करने वालों को आसानी से खेलों से आउट किया जा सकता है। बस जरूरत है एक साहसिक पहल की। इसी आशा के साथ की ऐसा साहस जरूर अपने राज्य की खिलाड़ी दिखाएंगी उनको ऐसा साहस करने की हिम्मत भगवान दे ऐसी दुआ करते हैं।
शिक्षा विभाग का यह काम तारीफ के काबिल तो था, पर उस समय शिक्षा विभाग के अधिकारियों को क्यों सांप सूंघ जाता है जब ऐसे मामलों में उनके विभाग से जुड़े लोग शामिल रहते हैं। तब ऐसे लोगों पर क्यों कार्रवाई नहीं की जाती है। गोवा कांड के सामने आने के बाद कुछ खेल शिक्षकों पर कार्रवाई हुई, फिर इनकी बहाली के साथ ही मामला दबा दया गया। ऐसे लोगों पर आज तक कोई ठोस कार्रवाई न होने के बारे में मालूम किया गया तो यह बातें सामने आईं कि ऐसे लोगों पर इसलिए भी कार्रवाई नहीं होती है क्योंकि ऐसे लोग अपने अधिकारियों के लिए भी वह सब इंतजाम कर देते हैं जिसकी उनको जरूरत रहती है। इन जरूरतों में पैसों से लेकर शराब और शबाब भी शामिल है।
ऐसे में यह बात आसानी से समझी जा सकती है कि जिन खिलाडिय़ों का यौन शोषण होता है वो इसलिए भी सामने नहीं आतीं क्योंकि उनको मालूम रहता है कि उनका जो यौन शोषण कर रहे हैं उनकी पहुंच ऊपर तक है। जो बातें स्कूली खेलों में हैं वहीं कॉलेज और ओपन वर्ग में भी हैं। ओपन वर्ग में यह ज्यादा है। कारण साफ है जहां ओपन वर्ग का महत्व ज्यादा है, वहीं ओपन वर्ग में टीमें भेजने का काम खेल संघ करते हैं और खेल संघों पर कोई सरकारी लगाम नहीं होती है। स्कूली और कॉलेज स्तर पर तो सरकारी लगाम के कारण कुछ खौफ रहता है, पर ओपन वर्ग में किसी कोच या खेल संघ का पदाधिकारी का सरकार क्या कर लेगी। आज यही कारण है कि खेलों में महिला खिलाडिय़ों की कमी होती जा रही है।
कोई भी पालक आज अपनी लड़कियों को खेलने भेजने की मंजूरी नहीं देते हैं। ज्यादातर जो लड़कियां खेलों में आ रही हैं उनके साथ पालक हर पल साथ लग रहते हैं, या फिर उनको अपनी लड़की या फिर जिसके संरक्षण में वे उसको दे रहे हैं उन पर उनको पूरा भरोसा है। हमारे इस लेख का यह मतलब कदापि नहीं है कि खेलों से जुड़े सभी कोच, खेल संघों से जुड़े लोग या फिर पुरुष खिलाड़ी यौन शोषण करने वाले ही होते हैं। पर ऐसे लोग समाज में हैं तो जरूर। वैसे भी यह प्रकृति का नियम है कि अच्छाई के साथ बुराई भी होती है। ऐसे में खेल जगत इससे कैसे अछूता रह सकता है। खेलों में जहां खेलों को गंदा करने वाले हैं, वहीं ऐसे भी कई कोच, खेलों से जुड़े लोग और खिलाड़ी हैं जो वास्तव में खेल और खिलाडिय़ों के लिए कुछ करना चाहते हैं। यही कारण है कि खेलों में भारी गंदगी होने के बाद भी खेल जिंदा हैं और ऐसे जिंदा दिल लोग भी जिंदा हैं जो सब कुछ जानने के बाद भी अपनी लड़कियों को खेलों में भेजने का साहस करते हैं। ऐसे सभी लोग साधूवाद और सलाम के पात्र हैं। हम ऐसे लोगों को सलाम करते हैं और साथ ही यह भी चाहते हैं कि ऐसी खिलाडिय़ों को जरूर सामने आना चाहिए जिनका यौन शोषण किया जाता है। एक तो सबसे पहले इसका विरोध होना चाहिए। अगर इसका विरोध नहीं होगा तो वह दिन दूर नहीं जब अपने राज्य ही क्या पूरे देश में महिला खिलाडिय़ों का अकाल पड़ जाएगा। और ऐसा हो भी रहा है।
आज लगातार देश में महिला खिलाडिय़ों की कमी होती जा रही हैं। और इनमें अपना राज्य भी शामिल है। अब इससे पहले की महिला खिलाडिय़ों का पूरी तरह से अकाल पड़ जाए, कुछ तो करना होगा। जब यह बात जगजाहिर है कि यौन शोषण करने वालों के अलावा अच्छे लोग भी खेलों से जुड़े हुए हैं तो क्या ऐसे में अब ऐसे लोगों को भी उस आदिवासी खिलाड़ी की तरह सामने आने का साहस नहीं करना चाहिए जिस खिलाड़ी ने अपने कोच पर आरोप लगाया था। अगर उस खिलाड़ी की तरह से और कुछ खिलाड़ी और यौन शोषण की जानकारी रखने वाले सामने आ जाए तो यह बात तय है कि खेलों को गंदा करने वालों को आसानी से खेलों से आउट किया जा सकता है। बस जरूरत है एक साहसिक पहल की। इसी आशा के साथ की ऐसा साहस जरूर अपने राज्य की खिलाड़ी दिखाएंगी उनको ऐसा साहस करने की हिम्मत भगवान दे ऐसी दुआ करते हैं।
2 टिप्पणियाँ:
Paragraph?
nice
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