वो हमारे पीछे खड़े मुस्कुराते रहे
प्यार के इन टेड़े रास्तों पर हम
कभी रोते तो कभी मुस्कुराते रहे।।
जानते हुए भी खतरनाक रास्तों पर
हम अपने कदम बढ़ाते रहे।।
शहर-शहर अजनबी बन हम
उनको तलाशते रहे।।
हर किसी के दरवाजे को
उनका घर समझ खटखटाते रहे।।
गलियों की खाक खाकर
उनको हर जगह पुकारते रहे।।
थककर चूर हुए तो पता चला
वो हमारे पीछे खड़े मुस्कुराते रहे।।
3 टिप्पणियाँ:
बहुत बढ़िया....आपकी यह रचना पढ़ कर याद आ गया वो शेर जो मेरे महबूब पिक्चर में जॉनी वाकर सुनाते हैं...
जिनको हम ढूँढते हैं गली गली
वो हमारे घर के पिछवाड़े मिली.
are waaah
अब ध्यान रखियेगा पहले पास में देखियेगा फ़िर बाद में कहीं ढ़ूँढने निकलियेगा। :)
0 तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – १० [श्रीकालाहस्ती शिवजी के दर्शन..] (Hilarious Moment.. इंडिब्लॉगर पर मेरी इस पोस्ट को प्रमोट कीजिये, वोट दीजिये
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