अबे तुम पत्रकार क्या घुटना दिमाग होते हो? - बे-बात पर ही खफा होगा
''राज़''-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
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सभी को नमस्कार करता है आपका *राज*
अबे तुम पत्रकार क्या घुटना दिमाग होते हो?
एक मित्र का फोन आया और उसने एक सवाल दाग दिया कि क्या तुम पत्रकार घुटना
दि...
13 वर्ष पहले
2 टिप्पणियाँ:
प्रकृति तो भेदभाव जानती ही नही है। वह तो हम जैसे लोग हैं जो प्रकृति के विनाश के लिये कटिबद्ध हो चले हैं, पर्यावरण को प्रदूषित कर। बहुत सुंदर रचना।
gvaalani saahb aapne bat to thik khi lekin kai baar naak men zukaam vaalon ko khusbu fulon ki aek jesi nhin lgti . akhtar khaan akela kota rajsthan
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