चारुलता को नौकरी से हटाया जाएगा !
वन विभाग के महासमुन्द वन विद्यालय में शारीरिक शिक्षक के पद पर कार्यरत चारुलता गजपाल को नौकरी से हटाने की तैयारी वन विभाग कर रहा है। इनकी नियुक्ति को गलत मानते हुए विभाग ने उनको कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। जांच में खिलाड़ी का गलत तरीके से नौकरी पाना पाया गया है।
वन विभाग के महासमुन्द वन विद्यालय में खेल शिक्षक के पद पर कार्यरत शिक्षिका चारुलता गजपाल को विभाग ने एक नोटिस जारी करके उनसे स्पष्टीकरण मांगा है कि उन्होंने गलत तरीके से नौकरी प्राप्त की है, ऐसे में क्यों ने उनकी नियुक्ति को शून्य घोषित करते हुए उनको नौकरी से हटाया जाए।
वन विभाग ने जो नोटिस दिया है उसमें लिखा गया है कि महासमुन्द के वन विद्यालय में खेल शिक्षक की भर्ती करने राजधानी के एक अखबार में विज्ञापन प्रकाशित किया गया था जिसमें यह साफ लिखा गया था कि इस पद के लिए वहीं उम्मीदवार पात्र होंगे जिनको व्यायाम अनुदेशक पद का कम से कम तीन साल का अनुभव होगा। इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर खेल संघों द्वारा मान्यता प्राप्त स्पर्धाओं में जिन्होंने पदक जीते होंगे। विज्ञापन में आवेदन देने की अंतिम तिथि 5 फरवरी 2009 और साक्षात्कार की तिथि 18 फरवरी थी।
मुख्य वन संरक्षक रायपुर बीके सिंहा द्वारा चारुलता को लिखे गए पत्र में लिखा गया है कि साक्षात्कार की तिथि अचानक बदली गई और साक्षात्कार के महज दो दिन पहले वेबसाइड पर इसकी सूचना दी गई जिसके कारण 25 में से मात्र 15 उम्मीदवार की चयन के लिए आ स्के। नियमानुसार 15 दिन्न पहले पर उम्मीदवारों को साक्षात्कार की सूचना देनी थी। विज्ञापन में उम्मीदवार के लिए दिए गए अनुभव को भी किनारे कर दिया गया। इस शर्त को बिना वजह हटाने के कारण ही आपको फायदा हुआ। अगर अनुभव की शर्त लागू रहती तो आपका चयन होता ही नहीं। चयन प्रक्रिया में एथलेटिक्स के अंकों के आधार पर चयन किया, इससे भी साफ है कि यह सिर्फ आपको फायदा पहुंंचाने के लिए किया गया। पत्र में यह भी लिखा गया है कि महासमुन्द के पद के लिए चयन प्रक्रिया में महासमुन्द के वन मंडलाधिकारी और अनुदेशक महासमुन्द स्कूल को भी शामिल न करना संदेह को जन्म देता है।
कुल मिलाकर वन विभाग ने माना है कि चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं और पक्षपात पूर्ण थी जिसके कारण चारुलता का चयन हो गया है। विभाग ने साफ लिखा है कि यह पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में है ऐसे में क्यों ने रायपुर वन वृत्त के आदेश क्रंमाक 108 दिनांक दो मार्च को शून्य घोषित करके आपको नौकरी से पृथक किया जाए। इस मामले में चारुलता से तो संपर्क नहीं हो सका लेकिन उनके कोच आरके पिल्ले का कहना है कि चारुलता ने अपना जवाब विभाग को दे दिया है और विभाग उनके जवाब से संतुष्ट है। इधर इस पद के उम्मीदवारों की दौड़ में शामिल कुछ उम्मीदवारों का कहना है कि विभाग के अधिकारी अपनी गलती छुपाने के प्रयास में अब भी लगे हैं।
डेकाटे- पिल्ले पर भी संदेह
वन विभाग ने इस चयन प्रक्रिया में शामिल किए गए प्रदेश एथलेटिक्स संघ के सचिव और चारुलता के कोच आरके पिल्ले के साथ राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे को शामिल करने पर भी संदेह जताया है। इस बारे में जहां आरके पिल्ले का कहना है कि मैं चयन प्रक्रिया में शामिल नहीं था। वहीं श्री डेकाटे ने बताया कि वे साक्षात्कार लेने गए थे इससे ज्यादा वे कुछ नहीं जानते हैं।
वन विभाग के महासमुन्द वन विद्यालय में खेल शिक्षक के पद पर कार्यरत शिक्षिका चारुलता गजपाल को विभाग ने एक नोटिस जारी करके उनसे स्पष्टीकरण मांगा है कि उन्होंने गलत तरीके से नौकरी प्राप्त की है, ऐसे में क्यों ने उनकी नियुक्ति को शून्य घोषित करते हुए उनको नौकरी से हटाया जाए।
वन विभाग ने जो नोटिस दिया है उसमें लिखा गया है कि महासमुन्द के वन विद्यालय में खेल शिक्षक की भर्ती करने राजधानी के एक अखबार में विज्ञापन प्रकाशित किया गया था जिसमें यह साफ लिखा गया था कि इस पद के लिए वहीं उम्मीदवार पात्र होंगे जिनको व्यायाम अनुदेशक पद का कम से कम तीन साल का अनुभव होगा। इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर खेल संघों द्वारा मान्यता प्राप्त स्पर्धाओं में जिन्होंने पदक जीते होंगे। विज्ञापन में आवेदन देने की अंतिम तिथि 5 फरवरी 2009 और साक्षात्कार की तिथि 18 फरवरी थी।
मुख्य वन संरक्षक रायपुर बीके सिंहा द्वारा चारुलता को लिखे गए पत्र में लिखा गया है कि साक्षात्कार की तिथि अचानक बदली गई और साक्षात्कार के महज दो दिन पहले वेबसाइड पर इसकी सूचना दी गई जिसके कारण 25 में से मात्र 15 उम्मीदवार की चयन के लिए आ स्के। नियमानुसार 15 दिन्न पहले पर उम्मीदवारों को साक्षात्कार की सूचना देनी थी। विज्ञापन में उम्मीदवार के लिए दिए गए अनुभव को भी किनारे कर दिया गया। इस शर्त को बिना वजह हटाने के कारण ही आपको फायदा हुआ। अगर अनुभव की शर्त लागू रहती तो आपका चयन होता ही नहीं। चयन प्रक्रिया में एथलेटिक्स के अंकों के आधार पर चयन किया, इससे भी साफ है कि यह सिर्फ आपको फायदा पहुंंचाने के लिए किया गया। पत्र में यह भी लिखा गया है कि महासमुन्द के पद के लिए चयन प्रक्रिया में महासमुन्द के वन मंडलाधिकारी और अनुदेशक महासमुन्द स्कूल को भी शामिल न करना संदेह को जन्म देता है।
कुल मिलाकर वन विभाग ने माना है कि चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं और पक्षपात पूर्ण थी जिसके कारण चारुलता का चयन हो गया है। विभाग ने साफ लिखा है कि यह पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में है ऐसे में क्यों ने रायपुर वन वृत्त के आदेश क्रंमाक 108 दिनांक दो मार्च को शून्य घोषित करके आपको नौकरी से पृथक किया जाए। इस मामले में चारुलता से तो संपर्क नहीं हो सका लेकिन उनके कोच आरके पिल्ले का कहना है कि चारुलता ने अपना जवाब विभाग को दे दिया है और विभाग उनके जवाब से संतुष्ट है। इधर इस पद के उम्मीदवारों की दौड़ में शामिल कुछ उम्मीदवारों का कहना है कि विभाग के अधिकारी अपनी गलती छुपाने के प्रयास में अब भी लगे हैं।
डेकाटे- पिल्ले पर भी संदेह
वन विभाग ने इस चयन प्रक्रिया में शामिल किए गए प्रदेश एथलेटिक्स संघ के सचिव और चारुलता के कोच आरके पिल्ले के साथ राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे को शामिल करने पर भी संदेह जताया है। इस बारे में जहां आरके पिल्ले का कहना है कि मैं चयन प्रक्रिया में शामिल नहीं था। वहीं श्री डेकाटे ने बताया कि वे साक्षात्कार लेने गए थे इससे ज्यादा वे कुछ नहीं जानते हैं।
2 टिप्पणियाँ:
इतना ही क्यों , अब इसमें कोर्ट कचेहरी भी होगी !
ऐसा भी होता है.
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनांए.
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