भारत में भी खेल कानून अधिकरण बनेगा
भारत में भी जल्द खेल कानून के लिए एक भारतीय खेल अधिकरण बनेगा। इसको बनाने की जिम्मेदारी भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को दी गई है। अगर आईओए ने इस मामले में कोताही की तो उसकी मान्यता अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद समाप्त कर देगा। राष्ट्रीय खेलों के समय 12 फरवरी को झारखंड में होने वाली सामान्य सभा में इस अधिकरण के बनाने का प्रस्ताव मंजूर कर दिया जाएगा।
ये बातें यहां पर चर्चा करते हुए खेल कानून के ज्ञाता दिल्ली के अमरेश कुमार ने कहीं। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में बहुत ही दुर्भाग्यजनक है कि खेल कानून की नींव भारत में ही 1994 में रखी गई थी, लेकिन इसके बाद भी भारत में अब तक खेल कानून के लिए अधिकरण का गठन नहीं हो सका है। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद के अंर्तगत अंतरराष्ट्रीय खेल कानून अधिकरण है। इस अधिकरण का मुख्यालय लूसान (स्विटजरलैंड) में है। कई देशों में तो इसकी शाखाएं हैं, लेकिन भारत में अब तक इसकी शाखा नहीं बन पाई है। अब अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद ने इसके लिए भारतीय ओलंपिक संघ को गंभीरता से पहल करने के लिए कहा है। भारतीय ओलंपिक संघ से जल्द से जल्द अधिकरण बनाने कहा गया है। उन्होंने बताया कि इस बारे में अंतरराष्ट्रीय परिषद को आईओए ने सूचित किया है कि झारखंड के राष्ट्रीय खेलों के समय 12 फरवरी को होने वाली सामान्य सभा में इस अधिकरण को बनाने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया जाएगा। यहां यह बताना लाजिमी है कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद से मिले निर्देशों के मुताबिक इसी सामान्य सभा में राज्य ओलंपिक संघों का भी भविष्य तय होना है।
विवादों का तुंरत होगा निपटारा
अमरेश कुमार ने बताया कि भारत में अधिकरण बनने के बाद यहां पर खेल संघों के बीच जो विवाद होते हैं उनका जल्द निपटारा होगा। उन्होंने बताया कि अपने देश में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे खेल हैं जिनके दो-दो राष्ट्रीय संघ हैं । ऐसे में इनके मामले कोर्ट में चल रहे हैं। कोर्ट के मामले लंबे समय तक चलने के कारण खिलाड़ियों को नुकसान होता है। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय खेल कानून परिषद में जब कोई मामला जाता है तो उसका निराकण 48 घंटे में कर दिया जाता है। ओलंपिक, एशियाड, कामनवेल्थ और अन्य अंतरराष्ट्रीय आयोजन में अधिकरण के कोर्ट लगाए जाते हैं। कोई मामला कठिन लगता है तो उसके लिए लूसान के मुख्यालय में अपील की जाती है। इस अपील पर फैसला करने के लिए अधिकतम 48 दिनों की समय सीमा तय है। उन्होंने बताया कि जब भारत में भी अधिकरण बनाया जाएगा तो यहां भी वही नियम लागू होगा। उन्होंने बताया कि एक खेल संघ का मामला तो 1988 से चल रहा है इसका फैसला अभी तक नहीं हो सका है।
खेल कानून के जानकार कम
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया है जहां तक भारत में खेल कानून के जानकारों की बात है तो अपने देश में इस समय मेरे अलावा दो और जानकार हैं। उन्होंने बताया कि एक और जानकार दिल्ली और एक मुंबई में हैं। उन्होंने बताया कि खेल कानून के जानकारों की संख्या बढ़ाने के लिए दिल्ली में खेल कानून पर एक सेमिन्नार का आयोजन 26 फरवरी को किया जा रहा है। इसमें खेल कानून के अंतरराष्ट्रीय जानकारों को बुलाया जा रहा है जिसमें कोरिया के एक जानकार और इंग्लैंड के डॉ. लिंक क्रिस को बुलाया गया है। इनके द्वारा जो खेल कानून से जुड़ना चाहते हैं उनको जानकारी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी के साथ महासचिव राजा रणधीर सिंह भी खेल कानून अधिकरण बनाने के लिए गंभीर है। इसके पहले पूर्व केन्द्रीय खेल मंत्री एमएस गिल भी इस अधिकरण को बनाने की सिफारिश कर चुके हैं।
ये बातें यहां पर चर्चा करते हुए खेल कानून के ज्ञाता दिल्ली के अमरेश कुमार ने कहीं। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में बहुत ही दुर्भाग्यजनक है कि खेल कानून की नींव भारत में ही 1994 में रखी गई थी, लेकिन इसके बाद भी भारत में अब तक खेल कानून के लिए अधिकरण का गठन नहीं हो सका है। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद के अंर्तगत अंतरराष्ट्रीय खेल कानून अधिकरण है। इस अधिकरण का मुख्यालय लूसान (स्विटजरलैंड) में है। कई देशों में तो इसकी शाखाएं हैं, लेकिन भारत में अब तक इसकी शाखा नहीं बन पाई है। अब अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद ने इसके लिए भारतीय ओलंपिक संघ को गंभीरता से पहल करने के लिए कहा है। भारतीय ओलंपिक संघ से जल्द से जल्द अधिकरण बनाने कहा गया है। उन्होंने बताया कि इस बारे में अंतरराष्ट्रीय परिषद को आईओए ने सूचित किया है कि झारखंड के राष्ट्रीय खेलों के समय 12 फरवरी को होने वाली सामान्य सभा में इस अधिकरण को बनाने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया जाएगा। यहां यह बताना लाजिमी है कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद से मिले निर्देशों के मुताबिक इसी सामान्य सभा में राज्य ओलंपिक संघों का भी भविष्य तय होना है।
विवादों का तुंरत होगा निपटारा
अमरेश कुमार ने बताया कि भारत में अधिकरण बनने के बाद यहां पर खेल संघों के बीच जो विवाद होते हैं उनका जल्द निपटारा होगा। उन्होंने बताया कि अपने देश में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे खेल हैं जिनके दो-दो राष्ट्रीय संघ हैं । ऐसे में इनके मामले कोर्ट में चल रहे हैं। कोर्ट के मामले लंबे समय तक चलने के कारण खिलाड़ियों को नुकसान होता है। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय खेल कानून परिषद में जब कोई मामला जाता है तो उसका निराकण 48 घंटे में कर दिया जाता है। ओलंपिक, एशियाड, कामनवेल्थ और अन्य अंतरराष्ट्रीय आयोजन में अधिकरण के कोर्ट लगाए जाते हैं। कोई मामला कठिन लगता है तो उसके लिए लूसान के मुख्यालय में अपील की जाती है। इस अपील पर फैसला करने के लिए अधिकतम 48 दिनों की समय सीमा तय है। उन्होंने बताया कि जब भारत में भी अधिकरण बनाया जाएगा तो यहां भी वही नियम लागू होगा। उन्होंने बताया कि एक खेल संघ का मामला तो 1988 से चल रहा है इसका फैसला अभी तक नहीं हो सका है।
खेल कानून के जानकार कम
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया है जहां तक भारत में खेल कानून के जानकारों की बात है तो अपने देश में इस समय मेरे अलावा दो और जानकार हैं। उन्होंने बताया कि एक और जानकार दिल्ली और एक मुंबई में हैं। उन्होंने बताया कि खेल कानून के जानकारों की संख्या बढ़ाने के लिए दिल्ली में खेल कानून पर एक सेमिन्नार का आयोजन 26 फरवरी को किया जा रहा है। इसमें खेल कानून के अंतरराष्ट्रीय जानकारों को बुलाया जा रहा है जिसमें कोरिया के एक जानकार और इंग्लैंड के डॉ. लिंक क्रिस को बुलाया गया है। इनके द्वारा जो खेल कानून से जुड़ना चाहते हैं उनको जानकारी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी के साथ महासचिव राजा रणधीर सिंह भी खेल कानून अधिकरण बनाने के लिए गंभीर है। इसके पहले पूर्व केन्द्रीय खेल मंत्री एमएस गिल भी इस अधिकरण को बनाने की सिफारिश कर चुके हैं।
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