मैदान पर भिड़े गौरी-किरण
अखिल भारतीय हिन्द स्पोर्टिंग फुटबॉल के उद्घाटन में मैदान पर ही खनिज निगम के अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल और महापौर किरणमयी नायक फुटबॉल मैदान को लेकर भिड़ गए। दोनों के बीच चले शब्द भेदी बाणों से आयोजनों को भी लगा कि उन्होंने दो अलग-अलग पार्टी के नेताओं को एक मंच पर बिठाकर गलती कर दी है।
लाखेनगर के मैदान में फुटबॉल के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता कर रही महापौर किरणमयी नायक को जब उद्बोधन के लिए बुलाया गया तो उन्होंने सीधे सरकार और खेल विभाग को निशाना बनाते हुए कहा कि मैदानों को बनाने का काम खेल विभाग का है, लेकिन राज्य बनने के दस साल बाद भी खेल विभाग ने एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को छोड़कर और कोई मैदान नहीं बनाया है। हिन्द स्पोर्टिंग एसोसिएशन के पदाधिकारियों को चाहिए कि इस मैदान में स्टेडियम बनवाने के लिए वे खेल विभाग से संपर्क करें और विभाग से कहा जाए कि अगर उनके बजट में पैसे न हो तो अगले बजट में यहां पर स्टेडियम बनाने के लिए बजट मांगा जाए। महापौर ने कहा कि जो काम खेल विभाग को करना चाहिए, वह नहीं कर रहा है लेकिन निगम निजी कंपनियों से जरूर मदद लेकर राजधानी के मैदानों को बचाने और बनाने के प्रयास में जुटा है। उन्होंने कहा कि निगम चाहता है कि मैदानों को खेल के लिए ही सुरक्षित रखा जाए, लेकिन इसका क्या किया जाए कि अपने बीच के लोग की सिफारिश लेकर आ जाते हैं कि नियमों को शीथिल करके दूसरे आयोजनों के लिए मैदान दिए जाए। उन्होंने कहा कि राजधानी में आयोजनों के लिए वैसे भी स्थानों की कमी है, ऐसे में हिन्द स्पोर्टिंग के मैदान को बनाते समय अगर इस बात का ध्यान रखा जाए कि यहां पर खेल के समय खेल हो और बाकी समय में दूसरे आयोजनों के लिए इसका उपयोग हो तो अच्छा रहेगा। उन्होंने कहा कि यह मेरा सुझाव है।
खेल मैदान में राजनीति न हो
महापौर के उद्बोधन के बाद जब मुख्यअतिथि खनिज निगम के अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के बोलने की बारी आई तो उन्होंने महापौर पर हमला बोलते हुए कहा कि खेल के मैदान में राजानीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नियम कानून भी कोई चीज होती है या नहीं। उन्होंने कहा कि जहां तक मुझे नियमों की जानकारी है, उसके मुताबिक चूंकि हिन्द स्पोर्टिंग का मैदान निजी संपति है ऐसे में यहां पर खेल विभाग निर्माण नहीं करवा सकता है। उन्होंने कहा कि यह बात अलग है कि खेल भावना को देखते हुए सरकार और निगम का अमला बैठकर कोई रास्ता निकाले ताकि यहां पर स्टेडियम बन सके। उन्होंने कहा कि सरकार पर यह आरोप लगाना ठीक नहीं है कि सरकार ने दस साल में सिर्फ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम दिया है। सरकार ने राज्य के हर विकासखंड में एक-एक स्टेडियम बनाने की मंजूरी दी है और ये स्टेडियम बन भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में जो इंडोर स्टेडियम बनकर तैयार है, उसके लिए निगम एजेंसी है, बाकी बजट तो सरकार ने दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के शासन काल में जितना विकास खेलों की दिशा में हुआ है, उतना पहले नहीं हुआ। श्री अग्रवाल ने अंत में एक बार फिर से कहा कि मेरा ऐसा मानना है कि खेल के मैदान में राजनीति होनी ही नहीं चाहिए।
लाखेनगर के मैदान में फुटबॉल के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता कर रही महापौर किरणमयी नायक को जब उद्बोधन के लिए बुलाया गया तो उन्होंने सीधे सरकार और खेल विभाग को निशाना बनाते हुए कहा कि मैदानों को बनाने का काम खेल विभाग का है, लेकिन राज्य बनने के दस साल बाद भी खेल विभाग ने एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को छोड़कर और कोई मैदान नहीं बनाया है। हिन्द स्पोर्टिंग एसोसिएशन के पदाधिकारियों को चाहिए कि इस मैदान में स्टेडियम बनवाने के लिए वे खेल विभाग से संपर्क करें और विभाग से कहा जाए कि अगर उनके बजट में पैसे न हो तो अगले बजट में यहां पर स्टेडियम बनाने के लिए बजट मांगा जाए। महापौर ने कहा कि जो काम खेल विभाग को करना चाहिए, वह नहीं कर रहा है लेकिन निगम निजी कंपनियों से जरूर मदद लेकर राजधानी के मैदानों को बचाने और बनाने के प्रयास में जुटा है। उन्होंने कहा कि निगम चाहता है कि मैदानों को खेल के लिए ही सुरक्षित रखा जाए, लेकिन इसका क्या किया जाए कि अपने बीच के लोग की सिफारिश लेकर आ जाते हैं कि नियमों को शीथिल करके दूसरे आयोजनों के लिए मैदान दिए जाए। उन्होंने कहा कि राजधानी में आयोजनों के लिए वैसे भी स्थानों की कमी है, ऐसे में हिन्द स्पोर्टिंग के मैदान को बनाते समय अगर इस बात का ध्यान रखा जाए कि यहां पर खेल के समय खेल हो और बाकी समय में दूसरे आयोजनों के लिए इसका उपयोग हो तो अच्छा रहेगा। उन्होंने कहा कि यह मेरा सुझाव है।
खेल मैदान में राजनीति न हो
महापौर के उद्बोधन के बाद जब मुख्यअतिथि खनिज निगम के अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के बोलने की बारी आई तो उन्होंने महापौर पर हमला बोलते हुए कहा कि खेल के मैदान में राजानीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नियम कानून भी कोई चीज होती है या नहीं। उन्होंने कहा कि जहां तक मुझे नियमों की जानकारी है, उसके मुताबिक चूंकि हिन्द स्पोर्टिंग का मैदान निजी संपति है ऐसे में यहां पर खेल विभाग निर्माण नहीं करवा सकता है। उन्होंने कहा कि यह बात अलग है कि खेल भावना को देखते हुए सरकार और निगम का अमला बैठकर कोई रास्ता निकाले ताकि यहां पर स्टेडियम बन सके। उन्होंने कहा कि सरकार पर यह आरोप लगाना ठीक नहीं है कि सरकार ने दस साल में सिर्फ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम दिया है। सरकार ने राज्य के हर विकासखंड में एक-एक स्टेडियम बनाने की मंजूरी दी है और ये स्टेडियम बन भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में जो इंडोर स्टेडियम बनकर तैयार है, उसके लिए निगम एजेंसी है, बाकी बजट तो सरकार ने दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के शासन काल में जितना विकास खेलों की दिशा में हुआ है, उतना पहले नहीं हुआ। श्री अग्रवाल ने अंत में एक बार फिर से कहा कि मेरा ऐसा मानना है कि खेल के मैदान में राजनीति होनी ही नहीं चाहिए।
1 टिप्पणियाँ:
आलेख पढके भ्रम टूटा वर्ना ...
शीर्षक में उल्लिखित नामों से लगा कि जैसे दो स्त्रियां भिड गई हों :)
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