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सोमवार, जनवरी 17, 2011

दौड़-दौड़ कर खरीदा ट्रेक्टर

राज्य मैराथन में दौड़-दौड़ कर बस्तर की कश्यप बहनों ने अपने परिवार के लिए एक ट्रेक्टर खरीदा और परिवार जिंदगी को ही बदल दिया। कश्यप बहनें मैराथन में इतना दौड़ी की उन पर लगातार पैसों की बारिश होती रही। इनामी राशि से इन्होंने अपने पापा के लिए बाइक भी खरीदी है। परिवार की पांच बहनों में से तीन बहनें ललिता, प्रमिला और चन्द्रावती ने अब तक राज्य मैराथन में ही आठ लाख की इनामी राशि जीत ली है। इस राशि से परिवार की बदहाली दूर हो गई है।
पाटन में राज्य मैराथन का खिताब एक बार फिर से जीतने के साथ एक लाख की इनामी राशि पर कब्जा जमाने वाली ललिता ने बताया कि वह अब तक राज्य मैराथन में जहां तीन बार विजेता बनीं हैं, वहींं एक बार दूसरे और तीसरे स्थान के साथ एक बार सातवें स्थान पर रहीं हैं। इसी के साथ उनकी बहनें प्रमिला और चन्द्रावती भी राज्य मैराथन में नकद राशि जीतती रही है। कुल मिलाकर कश्यप बहनों ने अब तक 8 लाख की राशि जीती है।
ललित कहती हैं कि उनकी तमन्ना अपने देश के साथ विश्व में छत्तीसगढ़ का नाम रौशन करने की है। पूछने पर वह कहती हैं कि अगर उनके बस्तर में सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षक की व्यवस्था कर दें तो मेरी जैसी और कई खिलाड़ी राज्य को मिल सकती हैं। वह बताती हैं कि उनको बचपन से धर्मपाल सैनी ही प्रशिक्षण दे रहे हैं। ललिता एक बार दिल्ली की एक मैराथन में भाग ले चुकी हैं, वहां उनको तीसरा स्थान मिला था। ललिता ने बताया कि बड़ौदा में एक बार पैदल चाल में भी उनको तीसरा स्थान मिला था।
इन खिलाड़ियों के कोच और माता रुकमणी सेवा संस्थान के अध्यक्ष पद्मश्री धर्मपाल सैनी बताते हैं कि उनके आश्रम में बचपन से पढ़ाई करने वाली कश्यप बहनों ने 8 लाख की इनामी राशि जीतकर अपने परिवार की बदहाली को दूर किया है। इनको मिली इनामी राशि से परिवार ने न सिर्फ एक ट्रेक्टर खरीदा है, बल्कि कश्यप बहनों ने अपने पिता के लिए एक बाइक खरीदी है। अपने घर को पक्का बनाने के साथ एक छोटी सी दुकान भी खोल ली है। श्री सैनी ने बताया कि ललिता का परिवार संगकरमरी गांव में रहता है। यह गांव जंगल में है।

2 टिप्पणियाँ:

Rahul Singh सोम जन॰ 17, 02:24:00 pm 2011  

उन्‍हें इसी तरह जीवन की दौड़ में लगातार सफलता मिले.

उम्मतें सोम जन॰ 17, 08:04:00 pm 2011  

उन बेचारियों को भागना पड़ा जबकि 'वाहियात लोग' घर बैठे ही जुगाड लेते हैं :(

हमने भी पैदल पैदल चलके संदकरमरी में चुनाव ड्यूटी की थी कभी !

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