विक्षिप्त मानसिकता वाले होते हैं काड़ीबाज
अपने ब्लाग जगत के लिए यह एक गंभीर बात है कि यहां पर फर्जी आईडी बनाकर काड़ी करने वाले काड़ीबाजों की कमी नहीं है। अगर किसी की आपसे किसी बात पर नहीं बनती है तो मानकर चलिए कि वह बंदा आपको जरूर परेशान करेगा। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आपकी जब किसी से नहीं बनेगी तभी कोई आपको परेशान करेगा। यहां तो बिना वजह भी काड़ी करने वालों की कमी नहीं है। हमारी तो किसी के साथ कोई अदावत नहीं है उसके बाद भी न जाने क्यों कर वह कौन सा बंदा है जो लगातार नाम बदल बदलकर हमें परेशान करने का काम कर रहा है। एक बार मन होता है कि अपने ब्लागों से टिप्पणी का रास्ता ही बंद कर दिया जाए। महज माडरेशन लगाने से कुछ नहीं होता है। लेकिन फिर सोचते हैं कि यार किसी एक विक्षिप्त मानसिकता वाले बंदे के कारण दूसरे मित्रों को क्यों कर अपने विचार व्यक्त करने से रोका जाए।
हम काफी समय से देख रहे हैं कि ब्लाग जगत में गंदगी करने वालों की संख्या में लगातार इजाफा होते जा रहा है। आज अगर आपको कोई किसी फर्जी नाम से परेशान कर रहा है और आपने लगातार उनके खिलाफ कुछ लिखा तो संभव है कि वह अपनी हरकतों से बाज आ जाए, लेकिन यहां तो ऐसे बेशर्मों की कमी नहीं है जो कुत्ते की पूंछ को भी मात देने का काम करते हैं।
न जाने ऐसे लोगों की मानसिकता क्या रहती है। हमें तो लगता है कि ऐसे लोग विकृत और विक्षिप्त मानसिकता वाले होते हैं जो लोगों के काम में बिना वजह काड़ी करने का काम करते हैं। ऐसा काम करने के बाद कहते हैं कि हम स्वस्थ्य आलोचना कर रहे हैं। अरे भई अगर स्वस्थ्य आलोचना करने वाले हैं तो अपने असली नाम से करें। क्या अपने असली नाम से आलोचना करने में डर लगता है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर असली नाम से सामने आएं। आलोचना करना अच्छी बात है, लेकिन बिना वजह किसी को परेशान करना अच्छी बात नहीं है। आलोचना से हर लिखने वाले के लेखन में निखार आता है, अगर वह आलोचना वास्तव में स्वस्थ्य आलोचना है तो। अब कोर्ई बिना वजह किसी भी बात पर काड़ी करे और दावा करे कि वह स्वस्थ्य आलोचना कर रहा है तो ऐसे विक्षिप्त मानसिकता वालों से तो भगवान भी डरेगा। क्योंकि कहा जाता है कि नंगों से खुदा भी डरता है। और जो लोग यह मानकर चलते हैं कि हम नंगे हैं अब उनसे भला कौन उलझ सकता है। लेकिन इतना जरूर है कि ऐसे नंगों की बातों का जवाब जरूर देना चाहिए, अगर जवाब भी न दिया जाए तो ये नंगे और ज्यादा नंगाई करने का काम करेंगे। हमने हमेशा गलत बात का विरोध किया है और करते रहेंगे। ऐसे काड़ीबाजों से हमें फर्क नहीं पड़ता है। हम बहुत संयम रखते हैं, लेकिन जब लगता है कि हद पार होते जा रही है, तब लिखना ही पड़ता है। हमने कई बार सोचा कि यार चलो टिप्पणी का रास्ता ही बंद कर दिया जाए ताकि न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी। लेकिन फिर सोचा कि ऐसा करने का मतलब होगा अपने उन ब्लागर मित्रों के विचारों पर रोक लगाना जो अच्छे विचारों को सांझा करते हैं। ऐसे में फिलहाल यह इरादा हमने बदल दिया है और काड़ीबाजी करने वालों को कचरे का रास्ता दिखाने का काम कर रहे हैं।
हम काफी समय से देख रहे हैं कि ब्लाग जगत में गंदगी करने वालों की संख्या में लगातार इजाफा होते जा रहा है। आज अगर आपको कोई किसी फर्जी नाम से परेशान कर रहा है और आपने लगातार उनके खिलाफ कुछ लिखा तो संभव है कि वह अपनी हरकतों से बाज आ जाए, लेकिन यहां तो ऐसे बेशर्मों की कमी नहीं है जो कुत्ते की पूंछ को भी मात देने का काम करते हैं।
न जाने ऐसे लोगों की मानसिकता क्या रहती है। हमें तो लगता है कि ऐसे लोग विकृत और विक्षिप्त मानसिकता वाले होते हैं जो लोगों के काम में बिना वजह काड़ी करने का काम करते हैं। ऐसा काम करने के बाद कहते हैं कि हम स्वस्थ्य आलोचना कर रहे हैं। अरे भई अगर स्वस्थ्य आलोचना करने वाले हैं तो अपने असली नाम से करें। क्या अपने असली नाम से आलोचना करने में डर लगता है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर असली नाम से सामने आएं। आलोचना करना अच्छी बात है, लेकिन बिना वजह किसी को परेशान करना अच्छी बात नहीं है। आलोचना से हर लिखने वाले के लेखन में निखार आता है, अगर वह आलोचना वास्तव में स्वस्थ्य आलोचना है तो। अब कोर्ई बिना वजह किसी भी बात पर काड़ी करे और दावा करे कि वह स्वस्थ्य आलोचना कर रहा है तो ऐसे विक्षिप्त मानसिकता वालों से तो भगवान भी डरेगा। क्योंकि कहा जाता है कि नंगों से खुदा भी डरता है। और जो लोग यह मानकर चलते हैं कि हम नंगे हैं अब उनसे भला कौन उलझ सकता है। लेकिन इतना जरूर है कि ऐसे नंगों की बातों का जवाब जरूर देना चाहिए, अगर जवाब भी न दिया जाए तो ये नंगे और ज्यादा नंगाई करने का काम करेंगे। हमने हमेशा गलत बात का विरोध किया है और करते रहेंगे। ऐसे काड़ीबाजों से हमें फर्क नहीं पड़ता है। हम बहुत संयम रखते हैं, लेकिन जब लगता है कि हद पार होते जा रही है, तब लिखना ही पड़ता है। हमने कई बार सोचा कि यार चलो टिप्पणी का रास्ता ही बंद कर दिया जाए ताकि न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी। लेकिन फिर सोचा कि ऐसा करने का मतलब होगा अपने उन ब्लागर मित्रों के विचारों पर रोक लगाना जो अच्छे विचारों को सांझा करते हैं। ऐसे में फिलहाल यह इरादा हमने बदल दिया है और काड़ीबाजी करने वालों को कचरे का रास्ता दिखाने का काम कर रहे हैं।
2 टिप्पणियाँ:
जी सच्चा बोले कबीर की तरह
क्या बात है गुरु
बहुत सार्थक बात कही आपने।
एक टिप्पणी भेजें