लाल बत्ती मिलने पर भी नहीं बदले अशोक बजाज
अपने ब्लागर मित्र अशोक बजाज को छत्तीसगढ़ सरकार में लाल बत्ती मिल गई है। वे वेयर हाउसिंग के अध्यक्ष हैं। लेकिन इसके बाद भी वे नहीं बदले हैं और उनका व्यवहार आज भी पहले की तरह सामान्य है। एक कार्यक्रम में उनसे मुलाकात होने पर वे अपने पुराने अंदाज में ही मिले और हमसे गले मिलकर एक फोटो भी खींचवाई।
राजधानी में राज्य तीरंदाजी के समापन अवसर पर भाई अशोक बजाज आए और जैसे ही उनकी नजरें हम पर पड़ीं वे अपने पुराने अंदाज में बोले और आदरणीय क्या हाल है।
हमने कहा ठीक है।
उन्होंने हमें गले लगाया और फोटोग्राफर से कहा कि यार एक फोटो खींचो।
हमने उनसे मजाक में कहा कि क्या ब्लाग में फोटो डालनी है।
वे जवाब में मुस्कुरा दिए।
इसके बाद कार्यक्रम के मंच पर उनसे कुछ देर तक चर्चा हुई।
हमने उनसे कहा कि, मानना पड़ेगा आप तो पक्के ब्लागर हंै, इतनी व्यस्तता के बाद भी आप नियमित लिख रहे हैं। वास्तव में यह अपने आप में बड़ी बात है कि लाल बत्ती मिलने के साथ अशोक बजाज का काम बहुत बढ़ गया है लेकिन इसके बाद भी वे लगातार लिख रहे हैं। उनकी इस लगन को हम सलाम करते हैं। ब्लाग जगत को ऐसेे ब्लागर मित्रों की ही जरूरत है। बजाज जी एक नहीं बल्कि चार-चार ब्लाग हैं।
बहरहाल हम अशोक बजाज को बरसों से जानते हैं, वे पुराने रेडियो श्रोता हंै और भी वे रेडियों श्रोताओं के बहुत करीब हैं। उनके मार्गदर्शन में यहां कई श्रोता सम्मेलन भी हो चुके हैं। श्री बजाज पहले जितने सरल और सहज थे, आज भी लालबत्ती मिलने के बाद वे उतने ही सरल हैं। वरना कहां, जब किसी के हाथ में पॉवर आ जाता है तो वे आसमान में उडऩे लगते हैं, लेकिन अपने बजाज जी के कदम अब भी जमीन पर हैं। इसी को कहते हैं असली शालीनता। इंसान को कभी पॉवर में आने पर उडऩा नहीं चाहिए, क्योंकि समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता है। इंसान का व्यवहार ही उनके काम आता है। जिनका व्यवहार शालीन होता है उनको सब पसंद करते हैं।
बजाज जी भी शायद इसलिए अपने मित्रों के दिलों में बसते हैं। बजाज जी से कुछ समय चर्चा के बाद हमने कहा कि अब हम इजाजत चाहते हैं क्योंकि हमें प्रेस जाना है। उन्होंने कहा कि चलो ठीक है फिर मिलते हैं। बजाज जी से अक्सर किसी न किसी कार्यक्रम में मुलाकात हो ही जाती है, जब भी मिलना होता है एक अलग ही आनंद मिलता है। अब देखें उनसे कब मुलाकात होती है।
राजधानी में राज्य तीरंदाजी के समापन अवसर पर भाई अशोक बजाज आए और जैसे ही उनकी नजरें हम पर पड़ीं वे अपने पुराने अंदाज में बोले और आदरणीय क्या हाल है।
हमने कहा ठीक है।
उन्होंने हमें गले लगाया और फोटोग्राफर से कहा कि यार एक फोटो खींचो।
हमने उनसे मजाक में कहा कि क्या ब्लाग में फोटो डालनी है।
वे जवाब में मुस्कुरा दिए।
इसके बाद कार्यक्रम के मंच पर उनसे कुछ देर तक चर्चा हुई।
हमने उनसे कहा कि, मानना पड़ेगा आप तो पक्के ब्लागर हंै, इतनी व्यस्तता के बाद भी आप नियमित लिख रहे हैं। वास्तव में यह अपने आप में बड़ी बात है कि लाल बत्ती मिलने के साथ अशोक बजाज का काम बहुत बढ़ गया है लेकिन इसके बाद भी वे लगातार लिख रहे हैं। उनकी इस लगन को हम सलाम करते हैं। ब्लाग जगत को ऐसेे ब्लागर मित्रों की ही जरूरत है। बजाज जी एक नहीं बल्कि चार-चार ब्लाग हैं।
बहरहाल हम अशोक बजाज को बरसों से जानते हैं, वे पुराने रेडियो श्रोता हंै और भी वे रेडियों श्रोताओं के बहुत करीब हैं। उनके मार्गदर्शन में यहां कई श्रोता सम्मेलन भी हो चुके हैं। श्री बजाज पहले जितने सरल और सहज थे, आज भी लालबत्ती मिलने के बाद वे उतने ही सरल हैं। वरना कहां, जब किसी के हाथ में पॉवर आ जाता है तो वे आसमान में उडऩे लगते हैं, लेकिन अपने बजाज जी के कदम अब भी जमीन पर हैं। इसी को कहते हैं असली शालीनता। इंसान को कभी पॉवर में आने पर उडऩा नहीं चाहिए, क्योंकि समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता है। इंसान का व्यवहार ही उनके काम आता है। जिनका व्यवहार शालीन होता है उनको सब पसंद करते हैं।
बजाज जी भी शायद इसलिए अपने मित्रों के दिलों में बसते हैं। बजाज जी से कुछ समय चर्चा के बाद हमने कहा कि अब हम इजाजत चाहते हैं क्योंकि हमें प्रेस जाना है। उन्होंने कहा कि चलो ठीक है फिर मिलते हैं। बजाज जी से अक्सर किसी न किसी कार्यक्रम में मुलाकात हो ही जाती है, जब भी मिलना होता है एक अलग ही आनंद मिलता है। अब देखें उनसे कब मुलाकात होती है।
5 टिप्पणियाँ:
ashok bhai zindaabad vese llit ji bhi ashok ji ki bhut prshnsa krte hen . akhtar khan akela kota rajsthan
हम भी नहीं बदले भैया
बिना लाल बत्ती के।
एक बार दिला दो फ़िर नजारा देखना:)
@ पोस्ट ,
ये तो अच्छी बात है !
@ टिप्पणी ,
ललित जी के नज़ारे का इंतज़ार रहेगा :)
बढ़िया रही यह मुलाकात
अज के समय मे इस से अच्छी बात क्या हो सकती है। आशोक बजाज जी को शुभकामनायें।
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