उत्कृष्ट खिलाड़ियों से खिलवाड़
प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिए खेल विभाग के दरवाजे भी अब बंद हो गए। विभाग ने सेटअप के मंजूर न होने का हवाला देते हुए विभाग में आवेदन करने वाले खिलाड़ियों को सूचित किया है कि वे अपनी नौकरी के लिए सामान्य प्रशासन विभाग में संपर्क करें। पिछले एक साल के खिलाड़ी नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। राजपत्र में नियम प्रकाशित होने के एक माह बाद भी विभागों से खिलाड़ियों को एक ही जवाब मिल रहा है कि उनके पास किसी भी तरह से खिलाड़ियों को नौकरी देने की कोई जानकारी नहीं आई है।
प्रदेश के खेल विभाग में नौकरी की चाह रखने वाले उत्कृष्ट खिलाड़ियों को तब जोर का झटका जोर से लगा जब उनको विभाग ने एक पत्र थमाते हुए कह दिया कि उनके विभाग का सेटअप अब तक मंजूर न होने के कारण विभाग किसी भी खिलाड़ी को नौकरी देने में सक्षम नहीं है। खिलाड़ियों को विभाग ने जो पत्र दिया है, वह वही पत्र है जो विभाग ने ेसामान्य प्रशासन को भेजा है। इसी पत्र की प्रति खेल विभाग में नौकरी का आवेदन लगाने वाले खिलाड़ियों को दी गई है और उनसे कहा गया है कि वे अब सामान्य प्रशासन में संपर्क करके मालूम करें कि उनको कहां नौकरी मिल सकती है। कई खिलाड़ियों ने बताया कि वे सामान्य प्रशासन विभाग में चक्कर लगाकर देख चुके हैं, वहां से यही जवाब मिलता है कि उनके पास खेल विभाग का ऐसा कोई पत्र नहीं आया है।
राजपत्र में नियम प्रकाशन की जानकारी नहीं
खिलाड़ियों को इस बात को लेकर बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है कि वे जिस भी विभाग में जाते हैं, उनको एक ही जवाब मिलता है कि उनके विभाग में खिलाड़ियों को नौकरी देने के बारे में न तो कोई निर्देश मिले हैं और न ही उनको राजपत्र में खिलाड़ियों को नौकरी देने के नियमों के प्रकाशन के बारे में कोई जानकारी हैं। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि राजपत्र में सात दिसंबर को खिलाड़ियों को नौकरी देने के नियमों का प्रकाशन किया गया है और साफ कहा गया है कि जिस दिन से राजपत्र में इसका प्रकाशन हुआ है, उसी दिन से ये नियम लागू होंगे। राजपत्र में जिन विभागों में खिलाड़ियों को नौकरी देने की बात लिखी गई है, उन विभागों में पुलिस विभाग, (होमगार्ड सहित) वनविभाग, जेल विभाग, वाणिज्यि कर विभाग के अंतर्गत आबकारी विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, खेल एवं युवा कल्याण विभाग शामिल हैं। इन सारे विभागो में खिलाड़ी चक्कर काट कर देख चुके हैं लेकिन उनको कहीं से सही जानकारी नहीं मिल पा रही है।
हम कहां जाएं
खिलाड़ियों को सही जानकारी न मिलने के कारण ही खिलाड़ी परेशान हैं। खिलाड़ी एक स्वर में कहते हैं कि हम कहां जाए। न तो हमारे खेल संघों के पदाधिकारियों के पास कोई सही जानकारी हैं कि हमें नौकरी के लिए किससे मिलना चाहिए, वहीं खेल विभाग से भी कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। अखबारों में प्रकाशित खबरों के आधार पर जब हम लोग उन विभागों में जाते हैं जहां पर नौकरी देने की बात सरकार ने कहीं है तो वहां से भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है।
एक साल से भटक रहे हैं
खिलाड़ियों का कहना है कि पिछले साल जब हम लोगों को खेल विभाग ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के हाथों प्रमाणपत्र दिलवाए थे तो लगा था कि अब हम लोगों को जल्द ही नौकरी मिल जाएगी, लेकिन एक साल तक भटकने के बाद भी हालत यह है कि हम लोगों को यह मालूम नहीं है कि हम लोग आखिर अपनी नौकरी के लिए किसके पास जाएं। खिलाड़ी कहते हैं कि हम लोग एक साल से भटकते हुए बहुत ज्यादा निराश हो गए हैं।
एक कोच को नौकरी दे रहे हैं
खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि हमारे विभाग में 2002 के सेटअप के मुताबिक जो पद खाली हैं वे पद प्रशिक्षकों के ही हैं। प्रशिक्षकों के पद के लिए एक साल का एनआईएस कोच का डिप्लोमाा जरूरी है। इस योग्यता पर एक ही उत्कृष्ट खिलाड़ी खरे उतर रहे हैं जिनको जल्द ही विभाग में नौकरी दे दी जाएगी। इनको नौकरी देने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। उन्होंने पूछने पर बताया कि और कोई खिलाड़ी पात्र नहीं है जिसके कारण से और किसी खिलाड़ी को नौकरी देना संभव नहीं है।
सामान्य प्रशासन को पत्र लिखा है
खेल संचालक ने पूछने पर बताया कि उनके विभाग ने खिलाड़ियों की भलाई के लिए ही सामान्य प्रशासन को एक पत्र लिखकर यह आग्रह किया है कि उनके विभाग में खिलाड़ियों ने जो आवेदन किए हैं उनको वे वहां भेज रहे हैं, सामान्य प्रशासन ये आवेदन उन विभाग को भेज दे जहां पद रिक्त हैं ताकि खिलाड़ियों को नौकरी मिल सके।
प्रदेश के खेल विभाग में नौकरी की चाह रखने वाले उत्कृष्ट खिलाड़ियों को तब जोर का झटका जोर से लगा जब उनको विभाग ने एक पत्र थमाते हुए कह दिया कि उनके विभाग का सेटअप अब तक मंजूर न होने के कारण विभाग किसी भी खिलाड़ी को नौकरी देने में सक्षम नहीं है। खिलाड़ियों को विभाग ने जो पत्र दिया है, वह वही पत्र है जो विभाग ने ेसामान्य प्रशासन को भेजा है। इसी पत्र की प्रति खेल विभाग में नौकरी का आवेदन लगाने वाले खिलाड़ियों को दी गई है और उनसे कहा गया है कि वे अब सामान्य प्रशासन में संपर्क करके मालूम करें कि उनको कहां नौकरी मिल सकती है। कई खिलाड़ियों ने बताया कि वे सामान्य प्रशासन विभाग में चक्कर लगाकर देख चुके हैं, वहां से यही जवाब मिलता है कि उनके पास खेल विभाग का ऐसा कोई पत्र नहीं आया है।
राजपत्र में नियम प्रकाशन की जानकारी नहीं
खिलाड़ियों को इस बात को लेकर बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है कि वे जिस भी विभाग में जाते हैं, उनको एक ही जवाब मिलता है कि उनके विभाग में खिलाड़ियों को नौकरी देने के बारे में न तो कोई निर्देश मिले हैं और न ही उनको राजपत्र में खिलाड़ियों को नौकरी देने के नियमों के प्रकाशन के बारे में कोई जानकारी हैं। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि राजपत्र में सात दिसंबर को खिलाड़ियों को नौकरी देने के नियमों का प्रकाशन किया गया है और साफ कहा गया है कि जिस दिन से राजपत्र में इसका प्रकाशन हुआ है, उसी दिन से ये नियम लागू होंगे। राजपत्र में जिन विभागों में खिलाड़ियों को नौकरी देने की बात लिखी गई है, उन विभागों में पुलिस विभाग, (होमगार्ड सहित) वनविभाग, जेल विभाग, वाणिज्यि कर विभाग के अंतर्गत आबकारी विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, खेल एवं युवा कल्याण विभाग शामिल हैं। इन सारे विभागो में खिलाड़ी चक्कर काट कर देख चुके हैं लेकिन उनको कहीं से सही जानकारी नहीं मिल पा रही है।
हम कहां जाएं
खिलाड़ियों को सही जानकारी न मिलने के कारण ही खिलाड़ी परेशान हैं। खिलाड़ी एक स्वर में कहते हैं कि हम कहां जाए। न तो हमारे खेल संघों के पदाधिकारियों के पास कोई सही जानकारी हैं कि हमें नौकरी के लिए किससे मिलना चाहिए, वहीं खेल विभाग से भी कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। अखबारों में प्रकाशित खबरों के आधार पर जब हम लोग उन विभागों में जाते हैं जहां पर नौकरी देने की बात सरकार ने कहीं है तो वहां से भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है।
एक साल से भटक रहे हैं
खिलाड़ियों का कहना है कि पिछले साल जब हम लोगों को खेल विभाग ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के हाथों प्रमाणपत्र दिलवाए थे तो लगा था कि अब हम लोगों को जल्द ही नौकरी मिल जाएगी, लेकिन एक साल तक भटकने के बाद भी हालत यह है कि हम लोगों को यह मालूम नहीं है कि हम लोग आखिर अपनी नौकरी के लिए किसके पास जाएं। खिलाड़ी कहते हैं कि हम लोग एक साल से भटकते हुए बहुत ज्यादा निराश हो गए हैं।
एक कोच को नौकरी दे रहे हैं
खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि हमारे विभाग में 2002 के सेटअप के मुताबिक जो पद खाली हैं वे पद प्रशिक्षकों के ही हैं। प्रशिक्षकों के पद के लिए एक साल का एनआईएस कोच का डिप्लोमाा जरूरी है। इस योग्यता पर एक ही उत्कृष्ट खिलाड़ी खरे उतर रहे हैं जिनको जल्द ही विभाग में नौकरी दे दी जाएगी। इनको नौकरी देने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। उन्होंने पूछने पर बताया कि और कोई खिलाड़ी पात्र नहीं है जिसके कारण से और किसी खिलाड़ी को नौकरी देना संभव नहीं है।
सामान्य प्रशासन को पत्र लिखा है
खेल संचालक ने पूछने पर बताया कि उनके विभाग ने खिलाड़ियों की भलाई के लिए ही सामान्य प्रशासन को एक पत्र लिखकर यह आग्रह किया है कि उनके विभाग में खिलाड़ियों ने जो आवेदन किए हैं उनको वे वहां भेज रहे हैं, सामान्य प्रशासन ये आवेदन उन विभाग को भेज दे जहां पद रिक्त हैं ताकि खिलाड़ियों को नौकरी मिल सके।
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दुर्दशा है !
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