हम बनाते हैं भगवान - बस्तर यात्रा -12
बस्तर यात्रा में जब हम लोग कांकेर के पास स्थित दुधवा बांध से लौट रहे थे तो रास्ते में एक गांव में एक स्थान पर भारी भीड़ देखकर हमने कार रोकी। कार रोककर जब हम लोग वहां गए जहां पर भीड़ लगी थी तो देखा कि वहां एक आदमी भगवान बनाने का काम कर रहा है। हमने उनसे पूछा कि इनको कैसे बनाते हैं तो उन्होंने बताया कि अगर आपके पास कोई भी पुराना बर्तन है तो हम उसे भगवान का रूप दे सकते हैं। हमने उनको बताया कि हम तो रायपुर के हैं हमारे पास ऐसा कोई बर्तन नहीं है, आपने ये जो भगवान सजा रखे हैं, उनमें से कुछ हमें भी पैसे लेकर दे दें, तो उन्होंने इंकार कर दिया और कहा कि आप हमें रायपुर का पता दे दें हम वहां पर जाते रहते हैं आपके घर पर ही आकर भगवान बना देंगे। हमने उन्हें पता तो दे दिया है, अब देखते हैं कि वो कलाकार सज्जन कब आते हैं हमारे घर भगवान बनाने के लिए।
3 टिप्पणियाँ:
उम्दा तस्वीरें.
घड़वा शिल्प बस्तर की पहचान है।
बहुत ही अच्छी पोस्ट राजकुमार भाई
राम राम
apni yaatraa kaa rachanaatmak upyog kiyaa, iske liye badhai ke paatr ho. ise ek sath print me bhi denaa. pathako ko achchha lagega.
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