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बुधवार, अप्रैल 14, 2010

सबसे पहले किए दंतेश्वरी माता के दर्शन- बस्तर यात्रा-1


बस्तर यात्रा के पहले पड़ाव में हम बुधवार की रात को जगदलपुर पहुंचे और सुबह ही निकल गए माता दंतेश्वरी के दर्शन के लिए। जगदलपुर से करीब 90 किलो मीटर की यात्रा करके हम लोग पहुंचे माता के दरबार में।

माता के दरबार में माता के दर्शन करने जब हम लोग गए तो वहां पर एक अजीब बात यह मालूम हुई की माता के दरबार में जाने के लिए धोती पहननी होगी। यह धोती वहां पर उपलब्ध थी जिसे नि:शुल्क दिया गया। पेंट वहीं सुरक्षाकर्मियों के पास रखी और माता के दर्शन किए। मंदिर में हजारों साल पुरानी कई मूर्तियों भी थीं। हम यहां पर ज्यादा कुछ लिखने की बजाए ज्यादा से ज्यादा फोटो प्रस्तुत कर रहे हैं।

3 टिप्पणियाँ:

बेनामी,  बुध अप्रैल 14, 06:39:00 am 2010  

चित्रमयी प्रस्तुति से आपकी यात्रा का बयां हो रहा

बेनामी,  बुध अप्रैल 14, 10:38:00 am 2010  

वैसे तो हम अब आपके ब्लॉग पर लिखना नहीं चाहते थे लेकिन मन नहीं माना। हम सिर्फ इतना जानना चाहते हैं कि क्या तारीफ की टिप्पणियां करना कोई गुनाह है। आपकी लेखन की शैली हमको अच्छी लगती है इसलिये हम पढ़ने के बाद टिप्पणी करते हैं, लेकिन आपने उसे पता नहीं क्यों इस तरह से अन्यथा ले लिया। इश्तहारनुमा इतना बड़ा लेख छाप दिया। हमको तो नहीं लगता कि हमने आपकी शान में कोई गुस्ताखी की हो। रही बात आईपी एड्रेस पता लगाने की तो हम कोई अपराधी तो हैं नहीं जो आप इस तरह से विवाद खड़ा कर रहे हैं। आप अपना Email बताइये हम अपना नाम, पता, फोटो सब कुछ भिजवा देते हैं आपको। रही बात फर्जी आईडी की तो आईडी बिल्कुल सही है, क्या तहसीलदार कोई नाम नहीं हो सकता है। हम बहुत ज्यादा तकनीक के जानकार नहीं हैं इसलिये अब तक प्रोफाइल बनाने से कतरा रहे हैं। बहरहाल हमको सफाई देने की कोई ज़रुरत वैसे तो नहीं है लेकिन आपको लगता है कि हमने कोई गलती की है तो हम माफी चाहते हैं और भविष्य में आपके ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं करेंगे। लेकिन हम आपसे निवेदन करना चाहते हैं कि आप ये ना सोचें कि हम आपके खिलाफ कोई साजिश रच रहे हैं या हमको आपसे दुश्मनी है। हम तो आपको निजी तौर पर जानते तक नहीं हैं। IP Address की तहकीकात करवाइये आपको सर्विस प्रोवाइडर से हमारे बारे में सब कुछ पता चल जायेगा कि हम कौन हैं। लेकिन आपने जिस तरह से बेवजह विवाद खड़ा करने की कोशिश की हमको बहुत दुख हुआ। एक बार फिर हमने जाने अनजाने में आपकी शान में कोई गुस्ताखी की हो तो माफ करें, लेकिन इतना तय है कि हमारा मकसद आपके लेखों की तारीफ करना था व्यंग्य करना या मज़ाक बनाना नहीं। हमको बाद में खुद भी लगा कि तारीफ बहुत ज़्यादा हो गई। और बहुत ज़्यादा मीठे से शुगर हो ही जाती है।

राजकुमार ग्वालानी बुध अप्रैल 14, 03:21:00 pm 2010  

तहसीलदार जी,
हमने आपके नाम से पोस्ट इसलिए लिखी है क्योंकि आपकी भाषा को हमारी भाषा होने का आरोप लगाया जा रहा था। सभी यही समझ रहे थे कि तहसीलदार के नाम से आईडी बनाकर हम खुद ही अपनी पोस्ट में अपनी तारीफ कर रहे हैं। ऐसे में हमारे पास इसके अलावा कोई चारा नहीं था कि हम तहसीलदार की सच्चाई जानने के लिए पोस्ट लिखे। अगर वास्तव में आप सच्चे हैं तो केवल हमें मेल करके क्यों अपना नाम , पता, फोटो भेजना चाहते हैं। आप ब्लाग जगत के सामने अपनी पहचान रखे ताकि हम पर आरोप लगाने वालों को सीधा जवाब मिल सके। अगर आप हमें अपना नाम पता भेजेंगे तो हम साफ तौर पर बता दें कि हम तो उसे उजागर करेंगे ही, फिर शायद यह बात आपको पसंद न आए। अगर वास्तव में आप हमारे प्रसंशक हैं तो अपना पहचान सबके सामने उजागर करने का काम करें। उम्मीद है आप ऐसा करने का जरूर साहस करेंगे, अगर आपने ऐसा नहीं किया तो हम तो यही समझते रहेंगे कि हमें परेशान करने के लिए कोई बिना वजह हमारी तारीफ में टिप्पणियां कर रहा था। वैसे हम फिर भी अपना ई-मेल दे रहे हैं। जैसा आप उचित समझे निर्णय करें। हमारा मसकद कभी किसी का दिल दुखाना नहीं रहा है।

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