14वीं शताब्दी के गणेश जी- बस्तर यात्रा 4
दंतेवाड़ा के बाद हमारा पड़ाव वापस गीदम आया और यहां से करीब 20 किलो मीटर की दूरी पर स्थित बारसूर की तरफ चल पड़ा। बारसूर भी एक पर्यटन स्थल है जहां पर पुराने मंदिर हैं। यहां पर हमें सबसे पहले 14वीं शताब्दी के गणेश जी की विशालकाय मूर्ति देखने को मिली। इस मूर्ति को पत्थर से तराश कर बनाया गया है। इसी के साथ यहां पर एक बत्तीस खंबों वाला शिवजी की मंदिर मिला। इस मंदिर में शिवलिंग जहां अलग तरह का है, वहीं शिवजी के सामने रहने वाले नंदी का मुंह सीधा न होकर थोड़ा ढेड़ा है। इस मंदिर के अलावा एक मामा-भांजा का मंदिर भी देखने को मिला।
2 टिप्पणियाँ:
जय गणपति बप्पा!
जय शंकर भोले!!
वाह अद्भुत हैं गणपति बप्पा !
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